ड़ जाएं तो उसे दुबारा नहाने जाना पड़ता है।
रपटे से आगे जाते हुए मैं और गंदी होती जाती हूं। 40 साल पहले यहां शहर का ड्रेनेज सीधे मुझमे खोल दिया गया। अपने सफर के अंतिम चरण में मैं सब्जी के खेतों के पास से गुजरती हूं। मेरा इतिहास और वर्तमान यही है। मैं जीवनदायिनी नदी से एक गंभीर खतरे में तब्दील हो चुकी हूं मेरे इतिहास के उस दुष्चक्र को पूरा कर दिया है जिसमें आज हर नदी फंसी है।
गुनिया नदी अतिक्रमण की चपेट में
गुनिया नदी जिसमें कभी साफ पानी बहता था, वह आजकल जहां एक ओर अतिक्रमण से सकरी हो गई है, वहीं दूसरी ओर बड़े पुल के पास बन रहे सीवर ट्रीटमेन्ट की मिट्टी और मुरम ने इस नदी को और सकरी कर दिया है। सौ फीट चौड़ी नदी आज काला पाठा, लूशन का बगीचा और बसंत बिहार कालोनी आदि के आसपास 100 फीट की गुनिया नदी 20 फीट में तब्दील हो गई।इसके साथ ही पानी के मुहाने भी बंद हो गए हैं।
नदी में बना दिए गए मकान
सिंगवासा से बहकर आ रही गुनिया नदी में कई जगह लोगों ने नदी में ही मकान बना लिए हैं। कई लोगोंं ने नदी किनारे खाली पड़ी जमीन को अपनी बताकर मनमाने भाव में बेच कर लाखों कमाए। इनमें वे भी लोग शामिल हैं जो सत्ता से जुड़े संगठन में महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। शहर के करीब 10 वार्डों से बहकर पिपरौदा में जाकर नेगरी नदी में मिलने वाली इस नदी में कई जगह अतिक्रमण हो गया है। इसके अलावा कुछ लोगों ने मकान के हिस्से बढ़ाकर नदी में पिलर खड़े कर दिए। तेज बहाव में यहां पर खतरा बना रहता है। इसके बाद भी प्रशासन ने यहां पर सख्ती नहीं की।
लगातार अनदेखी से नदी बनी गई गंदा नाला
शहर के बीच से गुजरी जीवनदायिनी गुनिया नदी का फिर से जीर्णोद्धार करने इसे मिनी स्मार्ट सिटी में शामिल काफी समय पहले ही शामिल कर लिया गया था। जिसके बाद नदी का सर्वे भी हो चुका था। डीपीआर तैयार कर प्रोजेक्ट पर काम करने की बात कही गई। लेकिन धरातल पर आज तक ठीक से काम नहीं हो सका है। यही वजह है कि आज भी गुनिया नदी में घरों से निकले सीवर को बहाया जा रहा है। घरों से निकला सभी तरह का कचरा भी इसी में डाला जा रहा है। वर्तमान में इसकी हालत देख कोई यह नहीं कह सकता है कि जीवनदायिनी नदी है। बल्कि देखने पर गंदे नाले की तरह नजर आती है।
प्रबुद्धजनों ने ये दिए सुझाव
- नदी के दोनों ओर रोड बनाकर रिकवर किया जा सकता है।
- जगह-जगह पार्किंग की जगह निकल सकती है।
- अतिक्रमण हटाकर पूरी तरह से साफ किया जाए।
- कब्जा करने वालों पर एफआईआर कर जेल भेजा जाए।
- प्रशासन सख्ती से काम करे, नागरिक उनके साथ हैं।
- सरकार अपने आधिपत्य में ले और काम करने फंड उपलब्ध कराए।
रपटे से आगे जाते हुए मैं और गंदी होती जाती हूं। 40 साल पहले यहां शहर का ड्रेनेज सीधे मुझमे खोल दिया गया। अपने सफर के अंतिम चरण में मैं सब्जी के खेतों के पास से गुजरती हूं। मेरा इतिहास और वर्तमान यही है। मैं जीवनदायिनी नदी से एक गंभीर खतरे में तब्दील हो चुकी हूं मेरे इतिहास के उस दुष्चक्र को पूरा कर दिया है जिसमें आज हर नदी फंसी है।
गुनिया नदी अतिक्रमण की चपेट में
गुनिया नदी जिसमें कभी साफ पानी बहता था, वह आजकल जहां एक ओर अतिक्रमण से सकरी हो गई है, वहीं दूसरी ओर बड़े पुल के पास बन रहे सीवर ट्रीटमेन्ट की मिट्टी और मुरम ने इस नदी को और सकरी कर दिया है। सौ फीट चौड़ी नदी आज काला पाठा, लूशन का बगीचा और बसंत बिहार कालोनी आदि के आसपास 100 फीट की गुनिया नदी 20 फीट में तब्दील हो गई।इसके साथ ही पानी के मुहाने भी बंद हो गए हैं।
नदी में बना दिए गए मकान
सिंगवासा से बहकर आ रही गुनिया नदी में कई जगह लोगों ने नदी में ही मकान बना लिए हैं। कई लोगोंं ने नदी किनारे खाली पड़ी जमीन को अपनी बताकर मनमाने भाव में बेच कर लाखों कमाए। इनमें वे भी लोग शामिल हैं जो सत्ता से जुड़े संगठन में महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। शहर के करीब 10 वार्डों से बहकर पिपरौदा में जाकर नेगरी नदी में मिलने वाली इस नदी में कई जगह अतिक्रमण हो गया है। इसके अलावा कुछ लोगों ने मकान के हिस्से बढ़ाकर नदी में पिलर खड़े कर दिए। तेज बहाव में यहां पर खतरा बना रहता है। इसके बाद भी प्रशासन ने यहां पर सख्ती नहीं की।
लगातार अनदेखी से नदी बनी गई गंदा नाला
शहर के बीच से गुजरी जीवनदायिनी गुनिया नदी का फिर से जीर्णोद्धार करने इसे मिनी स्मार्ट सिटी में शामिल काफी समय पहले ही शामिल कर लिया गया था। जिसके बाद नदी का सर्वे भी हो चुका था। डीपीआर तैयार कर प्रोजेक्ट पर काम करने की बात कही गई। लेकिन धरातल पर आज तक ठीक से काम नहीं हो सका है। यही वजह है कि आज भी गुनिया नदी में घरों से निकले सीवर को बहाया जा रहा है। घरों से निकला सभी तरह का कचरा भी इसी में डाला जा रहा है। वर्तमान में इसकी हालत देख कोई यह नहीं कह सकता है कि जीवनदायिनी नदी है। बल्कि देखने पर गंदे नाले की तरह नजर आती है।
प्रबुद्धजनों ने ये दिए सुझाव
- नदी के दोनों ओर रोड बनाकर रिकवर किया जा सकता है।
- जगह-जगह पार्किंग की जगह निकल सकती है।
- अतिक्रमण हटाकर पूरी तरह से साफ किया जाए।
- कब्जा करने वालों पर एफआईआर कर जेल भेजा जाए।
- प्रशासन सख्ती से काम करे, नागरिक उनके साथ हैं।
- सरकार अपने आधिपत्य में ले और काम करने फंड उपलब्ध कराए।