स्मार्ट सिटी में जिन नदियों और तालाबों को स्मार्ट बनाने के लिए चिन्हित किया है, वह पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में हैं। नदियों और तालाबों के साथ-साथ जल स्त्रोतों पर भी दबंगों ने कब्जा कर लिया है, जिससे वे रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं। पत्रिका ने जब नदी-तालाओं का जायजा लिया तो हालात चिंताजनक नजर आए।
भुजरिया तालाब अब 50 बीधा का बचा
सरकारी दस्तावेजों में भुजरिया तालाब 100 बीघा का है, लेकिन मौके पर अब मुश्किल से 50 बीघा बचा है। इस बचे हुए हिस्से में ही 17 पट्टे हैं, जो पिछले 60 साल से काबिज हैं। जबकि कुछ समय पूर्व एक व्यक्ति ने अपनी जमीन दान कर दी थी। जिसे मिलाकर 16 बीघा जमीन गहरीकरण के लिए उपलब्ध है। इस हिस्से में कुछ समय पूर्व गहरीकरण का काम भी हुआ था। लेकिन यह तालाब पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है।
नजीटी की रोक के बाद भी कट रहे प्लॉट
भुजरिया तालाब पर एनजीटी ने किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा रखी है। इसके बाद भी यहां प्लाट काटकर बेच दिए गए। कॉलोनी बनाने के लिए एक रास्ता भी तैयार करवाया गया, जिसकी शिकायत कुछ लोगों ने प्रशासन से भी की थी। वर्तमान में तालाब में पानी आने से मकानों में भर गया है। कभी भी हादसा हो सकता है।
सिंगवासा तालाब की पार पर अतिक्रमण
सिंगवासा तालाब भी धीरे-धीरे छोटा होता जा रहा है। शहर के लोगों के अनुसार पहले यह तालाब काफी बड़े क्षेत्र में फैला था, जो अब कम हो रहा है। अतिक्रमणकारियों की नजर इस तालाब पर भी पड़ गई और समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो शहर की यह जल धरोहर भी शहरवासियों से छिन जाएगी।
गुनिया नदी
गुनिया नदी जहां से भी निकल रही है, वहां दबंगों ने कब्जे कर लिए हैं। स्टेशन रोड पर तो एक आलीशान होटल ने गुनिया नदी को सकरा कर दिया है। पूर्व में एनजीटी ने यहां सेे अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, इसके बाद भी अतिक्रमण नहीं हटे। कई जगहों पर गुनिया का मार्ग अवरुद्ध हो गया है।
ओडिय़ा नदी
ओडिय़ा नदी भी गुनिया नदी की तरह शहर के बीच बहती थी। लेकिन अतिक्रमणकारियों ने इस नदी का अस्तित्व भी लगभग खत्म कर दिया है। कहीं-कहीं नदी दिखाई देती है, बाकी जगह एक संकरे नाले के रूप में ही बची है। इस नदी के माग को भी कई जगहों पर रोक दिया गया है।
सिंगवासा तालाब की तरह गोपालपुरा तालाब का क्षेत्र भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। यह तालाब 1972 में बना था, तब इसकी भराव क्षमता 1.19 मिलियन क्यूविक मीटर थी। तालाब की ऊंचाई 11 मीटर थी और यह 6 वर्ग किमी में फैला हुआ था। शुरूआती सालों में इससे 140 हेक्टेयर भूमि में होती थी, लेकिन अब 65 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र ही शेष बचा है। तालाब के निचले हिस्से में प्लाट काटे जा रहे हैं।