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हर गली में आंगनबाड़ी, कहीं बच्चे तो कहीं कार्यकर्ता ही नदारद

locationगुनाPublished: Jan 14, 2019 08:14:37 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

पत्रिका ने सोमवार को बांसखड़ी और सैय्यदपुरा की आधा दर्जन आंगनवाड़ी केंद्रों की पड़ताल की तो कहीं बच्चे नहीं तो किसी आंगनवाड़ी केंद्र से कार्यकर्ता ही नदारद मिलीं। केंद्र पर बच्चों की संख्या 20 से 30 है और दो लोगों का स्टाफ।

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हर गली में आंगनबाड़ी, कहीं बच्चे तो कहीं कार्यकर्ता ही नदारद

गुना. बच्चों को अनौपचारिक शिक्षा देने के साथ उनको पर्याप्त पोषण आहार देने शहर की हर गली में आंगनवाड़ी केंद्र खुले हंै। लेकिन उनमें बच्चे नजर नहीं आ रहे। पत्रिका ने सोमवार को बांसखड़ी और सैय्यदपुरा की आधा दर्जन आंगनवाड़ी केंद्रों की पड़ताल की तो कहीं बच्चे नहीं तो किसी आंगनवाड़ी केंद्र से कार्यकर्ता ही नदारद मिलीं। केंद्र पर बच्चों की संख्या 20 से 30 है और दो लोगों का स्टाफ। बावजूद इसके केंद्रों पर पोषण आहार जैसे अभियान कागजों में चल रहे हैं। भोपाल से निर्देश मिलने के बाद एक दिन जिला कार्यक्रम अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र में निरीक्षण करने पहुंचे। उनके द्वारा सबसे पहले वहां निरीक्षण किया जाएगा, जहां कोई सीडीपीओ नहीं है। बमोरी, चांचौड़ा, आरोन में केंद्रों की स्थिति बेहद नाजुक है।

केंद्र पर एक भी बच्चा नहीं
आंगनवाड़ी केंद्र सैय्यदपुरा में 112 बच्चों का वजन किया है, लेकिन सोमवार को केंद्र पर एक भी बच्चा नहीं मिला। कार्यकर्ता केंद्र पर बैठी मिली, लेकिन सहायिका और बच्चे नहीं मिले। आंगनवाड़ी केंद्र बांसखेड़ी की पहली आंगनवाड़ी में 20 बच्चे दर्ज हैं, मगर 4 बच्चे ही थे। कार्यकर्ता सुबह आईं और केंद्र खोलकर चलीं गईं।

सहायिका बच्चों को पढ़ाती मिली
बांसखेड़ी की दूसरी गली में तीन नंबर की आंगनवाड़ी है। यहां केवल सहायिका मिली और वह बच्चों को पढ़ा रही थी। कार्यकर्ता केंद्र को खोलकर कहीं चली गई। इसी बांसखेड़ी में मंदिर के पास चौथे नंबर की आंगनवाड़ी पर भी एक भी बच्चा नहीं मिला। यहां 20 बच्चे और 25 महिलाओं के नाम दर्ज हैं। बच्चे नजर नहीं आए, भोजन बांट दिया।

केंद्रों का नहीं किया जाता निरीक्षण
आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चे आ रहे हैं या नहीं, इस बारे में निरीक्षण नहीं होता है। पर्यवेक्षक भी केवल ये देखने पहुंचती हैं कि पोषण आहार आया है या नहीं आया। गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं बच्चों की संख्या मनमानी डाली जा रही है और बच्चों की उपस्थिति नाममात्र की रहती है। इसके बाद भी विभाग के अफसर यहां पर निरीक्षण नहीं करते। डीपीओ जेएस वर्मा ने बताया, उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र का दौरा किया जा रहा है।
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