खबर ये है कि अंजुम रहबर के प्लॉट के हिस्से कब्जा न हटने पर यह मामला पूर्व मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गुना आगमन के समय उठाने की पूरी तैयारी करके सलूजा की किरकरी करने की पूरी तैयारी कुछ लोगों ने कर ली थी। कब्जा हटने के बाद भी अंजुम रहबर कह रही हैं कि मैं गुना आकर स्वयं देखूंगी और प्रशासन को आवेदन भी दूंगी।
ये है पूरा मामला
प्र यात शायर अंजुम रहबर ने सन् 1993 में गुना शहर के तलैया मोहल्ला चौधरन की बाड़ी वर्तमान में चौधरन कॉलोनी में विक्रेतागण राजेन्द्र सिंह सलूजा, कमलारानी ढींगरा, साहिबराम ढींगरा, हरवंश सिंह, गुलाब चन्द्र जैन, अखिलेश जैन, ऋषभ चन्द्र जैन, जगदीश अग्रवाल व बसंती देवी अग्रवाल से एक हजार वर्ग फुट का प्लॉट ब्ल्ॉाक न बर 53 खरीदा था।
प्र यात शायर अंजुम रहबर ने सन् 1993 में गुना शहर के तलैया मोहल्ला चौधरन की बाड़ी वर्तमान में चौधरन कॉलोनी में विक्रेतागण राजेन्द्र सिंह सलूजा, कमलारानी ढींगरा, साहिबराम ढींगरा, हरवंश सिंह, गुलाब चन्द्र जैन, अखिलेश जैन, ऋषभ चन्द्र जैन, जगदीश अग्रवाल व बसंती देवी अग्रवाल से एक हजार वर्ग फुट का प्लॉट ब्ल्ॉाक न बर 53 खरीदा था।
इसके बाद सन् 1999 में अंजुम रहबर ने अपने प्लॉट से लगे एक और प्लॉट को जो पहले इन्द्रा देवी ने खरीदा था, उसे भी इन्द्रा देवी से खरीद लिया। इस तरह अंजुम ने पचास वाय चालीस फुट क्षेत्रफल के कुल दो प्लॉट चौधरन कॉलोनी में खरीद लिए।
प्लॉट बेचने के दौरान विक्रेताओं ने इस कॉलोनी में 25 फुट चौड़े रास्ते बताए गए थे, हालांकि बाद में इन रास्तों की चौड़ाई भी कई जगह प्लॉट में दबाकर रास्ते संकरे कर दिए गए। उस समय चौधरन कॉलोनी ठीक से बसी नहीं थी और जमीन की कीमतें भी कम थीं, दोनों प्लॉट खाली पड़े रहे।
सलूजा पर लगे ये आरोप
सूत्रों ने बताया कि जमीन की कीमतें बढ़ जाने पर इन दोनों प्लॉट से सटे प्लॉट न बर 53 के पीछे अपने मकान का निर्माण कराते समय पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह सलूजा के भाई अमर जीत ने अंजुम रहकर के करीब छह फुट प्लॉट को अपने प्लॉट में मिलाकर मकान बना लिया और बगल में चैनल गेट लगाकर प्लॉट न बर 54 के पीछे के हिस्से पर भी कब्जा कर लिया। अंजुम के मुताबिक कई बार हमने कहा कि कब्जा हटा लो तो बोलते थे कि हटा लूंगा।
सूत्रों ने बताया कि जमीन की कीमतें बढ़ जाने पर इन दोनों प्लॉट से सटे प्लॉट न बर 53 के पीछे अपने मकान का निर्माण कराते समय पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह सलूजा के भाई अमर जीत ने अंजुम रहकर के करीब छह फुट प्लॉट को अपने प्लॉट में मिलाकर मकान बना लिया और बगल में चैनल गेट लगाकर प्लॉट न बर 54 के पीछे के हिस्से पर भी कब्जा कर लिया। अंजुम के मुताबिक कई बार हमने कहा कि कब्जा हटा लो तो बोलते थे कि हटा लूंगा।
अंजुम ने बनाया दबाब तो हटा लिया कब्जा
सूत्र बताते हैं कि वर्तमान राजनैतिक माहौल में राजेन्द्र सिंह सलूजा पर प्रशासन एक के बाद एक कार्रवाई कर रहा है। यह बात अलग है कि सलूजा उसको बदले की भावना से काम करना बता रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि वर्तमान राजनैतिक माहौल में राजेन्द्र सिंह सलूजा पर प्रशासन एक के बाद एक कार्रवाई कर रहा है। यह बात अलग है कि सलूजा उसको बदले की भावना से काम करना बता रहे हैं।
कुछ समय पूर्व सलूजा और उनके परिजनों की अचल संपत्ति के कागजात खंगालने के बाद सलूजा पैलेस के अवैध हिस्सों को तोड़ दिया था, स्कूल की नाप-तौल हो चुकी है, जिससे सलूजा परिवार प्रशासन के काफी दबाब में आ गया है।
इसी बीच अंजुम रहबर ने प्लॉट से कब्जा हटाने के लिए सलूजा परिवार पर दबाब बनाया जिसके चलते बीते रोज अंजुम के परिजनों से बातचीत के बाद एक प्लॉट के हिस्से से कब्जा हटा लिया गया और आनन-फानन में चेनल गेट को ईंटों से बंद भी करा दिया।
अभी भी लग रही है गड़बड़ी:अंजुम
इस मामले को लेकर शायर अंजुम रहबर बताती हैं कि चौधरन कॉलोनी में मेरे दो प्लॉट हैं।अभी मैंने प्रशासन को कोई आवेदन नहीं दिया है और न चर्चा की है। मैं अभी बाहर हूं और गुना आकर आवेदन भी दूंगी।
इस मामले को लेकर शायर अंजुम रहबर बताती हैं कि चौधरन कॉलोनी में मेरे दो प्लॉट हैं।अभी मैंने प्रशासन को कोई आवेदन नहीं दिया है और न चर्चा की है। मैं अभी बाहर हूं और गुना आकर आवेदन भी दूंगी।
मैंने सलूजा के परिजनों को बोला था कब्जा हटाने का, उन्होंने हटाया भी है लेकिन मुझे अभी भी गड़बड़ लग रही है। गुना आकर मैं आंखों से देखूंगी तब मानूंगी और गड़बड़ी मिली तो शिकायत कर कार्रवाई भी कराऊंगी।
सलूजा ने निभाया था 84 के दंगों में दोस्ती का फर्ज
सन् 1984 में सिख विरोधी दंगों में जब पूरा देश सुलग रहा था तब अंजुम रहबर के भाई मनोज ने अपने दोस्त राजेन्द्र सिंह सलूजा से दोस्ती का फर्ज निभाने क र्यू की भी परवाह नहीं की थी।
सन् 1984 में सिख विरोधी दंगों में जब पूरा देश सुलग रहा था तब अंजुम रहबर के भाई मनोज ने अपने दोस्त राजेन्द्र सिंह सलूजा से दोस्ती का फर्ज निभाने क र्यू की भी परवाह नहीं की थी।
मनोज के नजदीकी बताते हैं कि मनोज अपने रिश्तेदार का लोंग कोट पहनकर दंगे और क र्यू के बीच सलूजा और उनके परिवार की खैरियत जानने उसके घर पहुंचे थे। उस समय दोनों परिवारों के बीच संबंध भी ठीक थे, लेेकिन फिर भी मनोज की बड़ी बहन अंजुम के प्लॉट पर कब्जा करना हैरान करता है।
किरकिरी करने की बना ली थी योजना
सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व अशोकनगर में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा और उनके परिजनों के होटल, स्कूल आदि पर हुई प्रशासनिक कार्रवाई का हवाला दिया था और गुना कलेक्टर को चेतावनी देते हुए 18 जनवरी को गुना आने का ऐलान किया था।
सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व अशोकनगर में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने भाषण में नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा और उनके परिजनों के होटल, स्कूल आदि पर हुई प्रशासनिक कार्रवाई का हवाला दिया था और गुना कलेक्टर को चेतावनी देते हुए 18 जनवरी को गुना आने का ऐलान किया था।
उस समय पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के समक्ष सलूजा के परिजनों द्वारा शायर अंजुम रहबर के प्लॉट पर कब्जा करने का मामला उठाने की कुछ लोग तैयारी कर चुके थे। इसके पीछे सलूजा की शिवराज सिंह के समक्ष किरकिरी करने की प्लानिंग थी।
जिसकी भनक सलूजा के परिजनों को लगी और उन्होंने आनन-फानन में अंजुम रहबर के प्लॉट पर किए कब्जे को हटा लिया।इस मामले में नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा का कहना था कि अंजुम रहबर के प्लॉट आज भी उसी जगह पर हैं, उनसे हमारा कोई विवाद नहीं हैं और न ही हमारे परिजनों ने कोई कब्जा किया है।