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पहले मौसम की मार अब मंडी में कम भाव ने अन्नदाता की तोड़ी कमर

locationगुनाPublished: Oct 18, 2019 12:53:15 pm

Submitted by:

Narendra Kushwah

पहले मौसम की मार अब मंडी में कम भाव ने अन्नदाता की तोड़ी कमरसोयाबीन की उपज का दाम कम मिलने से किसान परेशानबोले, लागत तक नहीं निकली, रबी की कैसे होगी तैयारी

सोयाबीन की जगह मक्का बोने पर बीमा का लाभ नहीं मिलेगा

सोयाबीन की जगह मक्का बोने पर बीमा का लाभ नहीं मिलेगा

गुना. जिले का अन्नदाता एक बार फिर चौतरफा मार झेलने को विवश है। क्योंकि इस बार अत्याधिक बारिश के कारण पहले ही खरीफ फसल खराब हो गई। खेत में जिस हालत में फसल बची है उसे लेकर किसान मंडी में पहुंच रहा है जहां उसे बेहद कम दम मिल रहा है। जिससे वह बहुत परेशान है। क्योंकि एक तरफ तो उसकी खरीफ फसल की लागत भी नहीं निकल रही है। वहीं मंडी में कम दाम मिलने से उसकी कमर ही टूट गई है। स्थिति इतनी दयनीय है कि किसान को फसल बेचने के बाद खेत से मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं मिल रहा है।


जानकारी के मुताबिक कृषि उपज मंडी में इस समय सोयाबीन की अच्छी क्वालिटी वाली उपज व्यापारी 3600 रुपए प्रति क्विंटल ले रहे हैं। जबकि हल्की क्वालिटी वाले सोयाबीन का दाम 2400 से 2800 रुपए प्रति क्विंटल लगाया जा रहा है। जिससे किसान अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहा है। क्योंकि किसान के पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। किसान के सामने सबसे बड़ी समस्या आगामी रबी सीजन की फसल की तैयारियों को लेकर है। क्योंकि उसके पास खरीफ फसल बेचने के बाद भी इतनी व्यवस्था नहीं हो सकी है कि वह बीज तक खरीद पाए।


पुराना कर्जा पटा नहीं नया कैसे मिलेगा
कृषि उपज मंडी में सोयाबीन की उपज बेचने आए किसानों ने बताया कि इस बार किसान चौतरफा मार से घिर गया है। क्योंकि पहले तो उस पर मौसम की मार पड़ी। जिससे फसल बहुत ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद वह बची खुची फसल को बेचने मंडी पहुंचा तो वहां उसे बहुत कम दाम मिल रहा है। इस लिहाज से तो उसका लागत का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। वहीं दूसरी समस्या अब तक बैंक का कर्ज माफ नहीं हुआ है। खाते पर ब्याज बढ़ता जा रहा है। बैंक वाले ब्याज जमा करने के लिए कह रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या किसानों के समक्ष यह है कि पुराना पटा नहीं, नया कर्ज मिलने की संभावना नहीं। आखिर ऐसी स्थिति में किसान करे तो क्या करे।


खर्च बचाने ऑटो से ला रहे उपज
कृषि उपज मंडी में अधिकांश किसान ऐसे थे जो अपनी सोयाबीन की उपज ट्रेक्टर ट्रॉली की वजाए ऑटो से लाए थे। जब इसका कारण किसानों से पूछा गया तो उनका कहना था कि इस बार फसल की लागत तक नहीं निकल पाई है। एक बीघा में जितनी फसल निकली है उसे यदि ट्रेक्टर ट्रॉली से मंडी में बेचने लाएंगे तो अतिरिक्त खर्च आ जाएगा इसीलिए हम सोयाबीन को कट्टों में भरकर ऑटो से लाए हैं।

किसानों की पीड़ा उनकी जुबानी

इस बार किसानों को बहुत नुकसान हुआ है। थोड़ी सी क्वालिटी खराब होने पर भी व्यापारी सोयाबीन का दाम 2500 रुपए प्रति क्विंटल लगा रहे हैं, जो बेहद कम है।
हरिसिंह रघुवंशी, किसान

मौसम की मार से फसल पहले ही खराब हो गई, ऊपर से मंडी में कम भाव मिलने से किसान बहुत दुखी है। किसानों के पास रबी फसल का बीज खरीदने की भी व्यवस्था नहीं है।
गोरेलाल, किसान

सरकार ने 10 दिन में जो कर्जा माफ करने की बात कही थी, वह पूरी तरह झूठी निकली है। क्योंकि अब तक अधिकांश किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है। बैंक वाले ब्याज जमा करने की कह रहे हैं। नया लोन मिलना तो दूर की कौड़ी है।
वीर सिंह, किसान

वालिटी के हिसाब से लगाए जा रहे दाम
मंडी में फ्रेश क्वालिटी वाले सोयाबीन का दाम 3600 रुपए क्विंटल है। इसके अलावा किसानों द्वारा लाए गए सोयाबीन की क्वालिटी को देखकर ही उसके दाम लगाए जा रहे हैैं। हल्की क्वालिटी का सोयाबीन 2800 रुपए तक जा रहा है।
विष्णु अग्रवाल, व्यापारी

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