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कोविड वार्ड में पिता भर्ती, वहीं बैठकर बेटा लैपटॉप पर संभालता है कामकाज

locationगुनाPublished: May 16, 2021 10:07:11 pm

Submitted by:

Narendra Kushwah

होंगे कामयाब : यह हैं पर्दे के पीछे के योद्धापारिवारिक दायित्व के साथ विपरीत परिस्थितियों में नौकरी की अह्म जिम्मेदारी भी संभाल रहेकोविड वार्ड में एक पलंग पर पिता भर्ती तो दूसरे पर बेटा बैठकर जिले भर की जानकारी को लैपटॉप के जरिए करता है अपडेट

कोविड वार्ड में पिता भर्ती, वहीं बैठकर बेटा लैपटॉप पर संभालता है कामकाज

कोविड वार्ड में पिता भर्ती, वहीं बैठकर बेटा लैपटॉप पर संभालता है कामकाज

गुना. कोरोना की भयावहता के बीच कुछ सरकारी अधिकारी-कर्मचारी किन विपरीत परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं इसका अंदाजा प्रशासनिक आला अधिकारियों व महकमे के लोगों तक को नहीं हैं। हम ऐसे ही पर्दे के पीछे कोरोना योद्धा की भूमिका निभाने वाले किरदारों से जनता को रूबरू करा रहे हैं। जिनके बारे में सच जानकार यह एहसास होगा कि कोरोना की पीड़ा सिर्फ जनता ही नहीं भुगत रही बल्कि सरकारी महकमे में अहम पदों पर पदस्थ स्टाफ भी इसका सामना कर रहा है। कोरोना महामारी के इस भयंकर दौर में कर्तव्यनिष्ठता का एक अलग उदाहरण पेश करने वाले तीन शख्स सीएमएचओ व नगर पालिका कार्यालय से हैं।
ये हैं पर्दे के पीछे के असली योद्धा
नाम : अशोक सैनी
पद : डाटा मैनेजर
विभाग : सीएमएचओ कार्यालय
कोविड वार्ड में पिता की देखभाल के साथ नौकरी भी
अशोक सैनी के माता-पिता और पत्नी राघौगढ़ में निवास करते हैं। जबकि सैनी की ड्यूटी सीएमएचओ कार्यालय में है। कुछ दिन पहले उनके पिता बीमार हुए तो उन्हें साडा के कोविड केयर सेंटर में भर्ती करा दिया गया। ऐसे में सबसे बड़ी चिंता यह थी कि उनकी वहां देखरेख कौन करेगा। संक्रमण के डर से मां को वहां नहीं भेजा जा सकता था। ऐसी परिस्थिति में पिता को जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां उनकी देखरेख का जिम्मा अशोक सैनी खुद उनके पास रहकर संभाल रहे हैं। खास बात यह है कि सैनी के पास इस समय बेहद अहम जिम्मेदारी है। उनका काम सरकारी जिला अस्पताल सहित कोविेड केयर सेंटर व निजी अस्पतालों से जुड़ी अहम जानकारी को जिले के सार्थक पार्टल सहित स्टेट व नेशनल पोर्टल पर निर्धारित समय-समय पर अपडेट करना है। जिसमें अलग-अलग लेवल के बैड की कुल क्षमता, खाली व भरे की जानकारी को समय पर अपडेट करना होता है। इस जानकरी के आधार पर ही बड़े-बड़े अधिकारी वीसी में शामिल होते हैं। यही नहीं इस जानकारी को चैक करने के लिए नेशनल व स्टेट लेवल की जानकारी से क्रास चेक भी किया जाता है। इस जानकारी से घर बैठे ही जिले भर के लोगों के साथ-साथ भोपाल व दिल्ली में बैठे आला अधिकारी भी अपडेट होते रहते हैं। खास बात यह है कि सैनी को यह जानकारी सुबह 9 बजे तक हर हाल में अपडेट करनी होती है। इसके लिए वह हर अस्पताल फोन लगाकर जानकारी लेते हैं। जिसे उन्हें अगले दो घंटे बाद ही अपडेट करना होता है। यह सिलसिला रात 10 बजे तक जारी रहता है। इस काम को वह पिता के पास ही अलग पलंग पर बैठकर लैपटॉप पर अंजाम देते हैं। जिसमें इन दिनों उन्हें नेटवर्क न मिलने की परेशानी से भी जूझना पड़ रहा है। कोविड वार्ड में नेट की सुविधा न होने पर वे अपने मोबाइल से नेट चलाकर काम करते हैं। इस दौरान उन्हें अपने आपको कोविड संक्रमण से बचाना होता है।

नाम : देवकीनंद शर्मा
पद : कम्प्यूटर ऑपरेटर
विभाग : सीएमएचओ कार्यालय
देवकीनंदन शर्मा पिछले 15 साल से कलेक्टर रेट पर सीएमएचओ कार्यालय में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इन दिनों उन पर शहर सहित जिले भर से आए कोविड सेंपलों को ग्वालियर भिजवाने तथा सभी सैंपलिंग की जानकारी को अपडेट करने की है। उन्हें जिले भर के रैपिट एंटीजन टेस्ट व आरटीपीसीआर जांचों की पूरी जानकारी को एकत्रित कर पूरी रिपोर्ट तैयार करनी होती है। उन्होंने यह जिम्मेदारी अपने पिता के कोविड वार्ड में भर्ती रहने के दौरान निभाई है। उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा था जब पिता का ऑक्सीजन सेचुरेशन काफी कम हो गया था। ऐसे में पिता के स्वास्थ्य की चिंता के बीच काम करना बहुत मुश्किल हो रहा था। लेकिन अपनी जिम्मेदारी का एहसास समझते हुए इसे भी साथ में किया।

नाम : शकील खान
पद : सुपरवाइजर
विभाग : नगर पालिका
यदि कोई व्यक्ति एक दिन अंतिम संस्कार में शामिल हो जाए तो उसका मन पूरे दिन भर विचलित रहता है। लेकिन शकील खान ऐसे शख्स हैं जो सुबह से लेकर रात 10 बजे तक शवों को अस्पताल से निकलवाकर मुक्तिधाम तक पहुंचाते हैं। यही नहीं परिजन न होने पर वह कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार भी करवाते हैं। वे 14 अप्रैल से अब तक 162 लोगों
का अंतिम संस्कार करा चुके हैं। उनका यह काम कितना जिम्मेदारी भरा है कि 14 मई को ईद के मौके पर वे इसी ड्यूटी के कारण ईद की नमाज तक पढऩे नहीं जा सके। उन्होंने बताया कि 45 साल की उम्र में यह पहला मौका है जब वे ईद पर नमाज नहीं पढ़ सके। इसके लिए घरवालों ने काफी कुछ कहा भी लेकिन उनका कहना था कि यह जिम्मेदारी उससे ज्यादा बड़ी है।
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