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एक चिता पर किया चाची और तीनों बच्चों का अंतिम संस्कार, मातम में डूबा रहा गांव

locationगुनाPublished: Oct 13, 2019 11:18:16 pm

Submitted by:

Manoj vishwakarma

बच्ची ने रोते हुए कहा- खेत पर सोयाबीन काटने गई है मेरी मां, अब आने वाली है! मृतका केनहीं थी कोई संतान, सीमा की बहन की मौत के बाद पाल रही थी उसकी ढाई साल की बच्ची
 

एक चिता पर किया चाची और तीनों बच्चों का अंतिम संस्कार, मातम में डूबा रहा गांव

एक चिता पर किया चाची और तीनों बच्चों का अंतिम संस्कार, मातम में डूबा रहा गांव

गुना. आरोन से २२ किमी दूर खेरखेड़ी गांव में एक ही परिवार के तीन बच्चे और महिला की मौत के बाद देर शाम उनका एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। बच्चों की जान बचाने में खुद की जान गंवाने वाली उनकी चाची सीमा प्रजापति के शव के साथ तीनों बच्चों के शवों को रखा और पूरे गांव ने नम आंखों से चिता को अग्नि दी।
इस हृदय विदारक घटना से पूरा परिवार बेसुध है। गांव में मातम छाया हुआ है। लोगों ने बताया, सीमा के कोई बच्चा नहीं था। तो वह दूसरे बच्चों से ऐसे प्यार करती थी, मानो वे उसके बच्चे हैं। कुछ महीने पहले उसकी बहन की भी मौत हो गई थी और उसकी एक छोटी बच्ची थी, जिसे वह अपने साथ ले आई थी। उसका लालन-पालन वो ही कर रही थी। लेकिन दो दिन से जब सीमा घर में नजर नहीं आई तो ढाई साल की बच्ची का रो-रोकर बुरा हाल है और एक ही बात बोल रही है कि मेरी मां खेत पर सोयाबीन काटने गई है। आने वाली है। अवैध उत्खनन से हुए गड्ढों से मौत को ये कोई पहला मामला नहीं है। गुना में बीते तीन सालों में कई बच्चे जान गंवा बैठे, लेकिन न तो प्रशासन ने सख्ती दिखाई और ना ही विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई की।

हादसे के बाद परिजनों को नहीं मिली कोई आर्थिक मदद

कैबिनेट मंत्री जयवर्धन सिंह के क्षेत्र में हुए इस हादसे के बाद परिजनों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। परिवार को अंतेष्ठी सहायता भी नहीं मिली। जनपद सीईओ डॉ. अजीत तिवारी ने बताया, सीमा के पति का संबल योजना में पंजीयन है। केवल उसी को ही मदद मिलेगी। बच्चों के माता-पिता का पंजीयन नहीं है। तहसीलदार निर्मल राठौर ने बताया, तालाब में डूबने से मृतकों के परिजनों को ४-४ लाख रुपए देने का प्रावधान है। पीएम रिपोर्ट आने पर ही मिलेगी राशि। उधर, प्रशासन शासकीय प्रक्रियाओं और नियमों में उलझ़ गया।

ईंट-भट्ठों के गड्ढों ने ली जान

रामचरण प्रजापति के दो मकान हैं। आधा परिवार गांव रहता है और आधा तालाब किनारे। जहां वह ईंट-भट्टों का काम करते हैं। यहां लगातार अवैध उत्खनन कर खुदाई किए जाने से बहुत गहरा गड्डा हो गया था, इसके बाद भी तालाब में पानी कम होने पर लगातार उसमें से मिट्टी निकाली जा रही थी। कुछ दिन पूर्व वह गड्डा इस बार अच्छी बारिश होने से तालाब बन गया था, शनिवार दोपहर में जब तीनों बच्चे खेल रहे थे और काफी देर तक उनकी आवाज नहीं आई तो सीमा उनको देखने के लिए दौड़ी और बच्चों की जान बचाने तालाब में कूद गई। उसके पीछे मोनिका और करण की मां फूल बाई कूद गई। इनमें से केवल फूलबाई को बचाया जा सका जो अभी भी वह अस्पताल में भर्ती है।
ललुआ टोरा में हुई थी ७ बच्चों की मौत

तीन साल पहले ललुआ टोरा गांव में क्रेशर की खदान से हुए गड्ढे में डूबने से पिपरौदा के ७ बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद अवैध उत्खनन से हुए गड्ढों पर सुरक्षा की मांग उठी, लेकिन यह कार्रवाई कागजों में ही सिमट गई। जिले में तेजी से अवैध उत्खनन हो रहा है। जमीन में पानी निकल आने के बाद भी खुदाई जारी है। स्थिति ये है कि ६० फीट गहराई तक खुदाई हो चुकी है। कुछ जगह तारफेंसिंग थीं, जिनको खदान और क्रेशर मालिकों ने हटवा दिया ताकि वे ज्यादा भूमि की खुदाई कर सकें। बीजी रोड पर शनि मंदिर सामने जमीन खोखली कर दी है। यहां हर दिन बच्चे गड्ढों में नहाने जाते हैं। हादसे की आशंका रहती है। फिर भी सुरक्षा के लिए इंतजाम नहीं हैं।

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