गुना

बच्चों को दिया अधपका भोजन, साफ करवा रहे थे बर्तन

सब्जी में पानी ही पानी और अधपका पराठा देकर बर्तन भी बच्चों से साफ करवाए। स्कूल में जाकर देखा तो बर्तन हैं, लेकिन बच्चों से ही टिफिन मंगवाकर उनको भोजन दिया, ताकि बर्तन साफ कराने मिलने वाली राशि को बचाया जा सके। ये नजारा था सरकारी प्राथमिक और मिडिल स्कूल खेजरा एवं पीताखेड़ी का। दरअसल, पत्रिका टीम ने शनिवार को इन स्कूलों की पड़ताल की तो स्थिति बेहद गंभीर मिली।

गुनाSep 07, 2019 / 09:11 pm

brajesh tiwari

बच्चों को दिया अधपका भोजन, साफ करवा रहे थे बर्तन

गुना. मध्यान्ह भोजन के नाम पर हर महीने हजारों रुपए की राशि मिलने पर भी बच्चों से बर्तन साफ करवाए जा रहे थे। यहां न तो बच्चों को मीनू अनुसार भोजन दिया और ना ही अच्छे से पकाया। सब्जी में पानी ही पानी मिला और पराठे आधे पके और आधे जले मिले। उधर, स्कूलों में धुएं से स्व-सहायता समूह और मध्यान्ह भोजन को संचालित करने वालों से निजात नहीं मिल सकी है।

1. स्कूल: प्राइमरी और मिडिल खेजरा


समय: दोपहर 1.50 बजे


नजारा: मिडिल स्कूल के बच्चे हैंडपंप अपनी थाली और बर्तन साफ करते मिले। प्राइमरी स्कूल के बच्चे जिनमें छात्राएं शामिल थीं वे जहां खाना खा रही थीं उनके पास ही आवारा जानवर विचरण कर रहे थे। कुछ बच्चे वहां रखी पानी की टंकी पर अपने बर्तन धोते हुए दिखाई दिए। जब वहां कुछ बच्चों से पूछा तो उन्होंने बताया, हर दिन ही साफ करने होते हैं। यहां भोजन की गुणवत्ता ठीक नहीं थी। बर्तन साफ करने के लिए कर्मचारियों को राशि आती है, लेकिन यहां भी बच्चों से ही बर्तन साफ करवाए जाते हैं। इस वजह से बच्चों का 30 मिनट का ब्रेक, बर्तन साफ करने में निकल जाता है। जबकि एक महिला बर्तन धोने के लिए रखी हुई है।

2. स्कूल: प्राइमरी स्कूल पीताखेड़ी


समय: दोपहर 2.10 बजे


नजारा: बच्चे मध्यान्ह भोजन करते मिले। जहां बच्चे खाना खा रहे थे। पराठे ठीक से सिके नहीं थे और सब्जी की गुणवत्ता भी ठीक नहीं दिखी। चूल्हे पर भोजन बना था, संचालन स्कूल प्रबंध समिति करती है। किचन शेड जर्जर हालत में मिली। टायलेट जीर्ण-शीर्ण दिखाई दिया। इस कारण बच्चों को बाहर जाना पड़ता है। इस स्कूल में 22 बच्चे और दो शिक्षक पदस्थ हैं। खास बात ये रही कि मध्यान्ह भोजन करने के बाद छोटी-छोटी बच्चियां एक हैण्डप प पर थालियां धोती दिखाई दीं। इस बारे में जब वहां के प्रभारी रणवीर सिंह यादव से बात की तो उनका कहना था कि बच्चों को खाने की बर्तन धोने का शौक है।

3. स्कूल: एकशाला परिसर करोद


समय: दोपहर 3.00 बजे


नजारा: स्कूल में बच्चे और शिक्षक तो मिले, लेकिन यहां मिडिल स्कूल की छात्राओं के लिए शौचालय नजर नहीं आया। इसको लेकर छात्राओं में नाराजगी देखी गई। जबकि यहां शौचालय बनवाने के लिए स्कूल प्रबंधन तीन साल में सीएसी से लेकर डीपीसी तक को कई बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं हैं। यहां के बच्चों ने कहा कि हमें भोजन तो अच्छा मिलता है। यहां के प्राइमरी में 168 बच्चे और 7 शिक्षक, मिडिल में 114 बच्चे और 4 शिक्षक, हाई स्कूल में 110 बच्चे और 4 शिक्षक हैं। दो पद खाली हैं। अंग्रेजी के शिक्षक का ट्रांसफर हो गया। संस्कृत के शिक्षक नहीं हैं। जबकि इस स्कूल को राज्य शिक्षा केंद्र की टीम मॉडल बताकर प्रेरणादायक बनाने की अनुशंसा लिखित में कर चुकी है।
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