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11 साल बंद पड़ा है गर्ल्स हॉस्टल, छात्राएं नहीं लेतीं प्रवेश

locationगुनाPublished: Jun 19, 2019 06:24:14 pm

Submitted by:

Amit Mishra

-65 लाख में बनकर तैयार हुआ था ये हास्टल

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11 साल बंद पड़ा है गर्ल्स हॉस्टल, छात्राएं नहीं लेतीं प्रवेश

गुना @मोहर सिंह की रिपोर्ट…
पीजी कालेज का गर्ल्स हॉस्टल वर्ष 2008 में बनकर तैयार हो गया था, लेकिन उसे अब तक चालू नहीं किया जा सका। उपयोग नहीं होने से करीब 65 लाख रुपए की ये इमारत जर्जर होने लगी है। कालेज प्रबंधन का कहना है कि छात्राएं प्रवेश लेने में रुचि नहीं दिखा रही हैं।

तीन सीटर गर्ल्स हास्टल की आधारशिला वर्ष 2005 में जनभागीदारी के तत्कालीन अध्यक्ष केएल अग्रवाल ने रखी थी। दो साल में भवन भी बनकर तैयार हो गया। लेकिन उसमें छात्राओं को रहने की व्यवस्था नहीं हो सकी। हास्टल में फर्नीचर का भी इंतजाम नहीं हो पाया। इस वजह से दूर दराज से आने वाली छात्राओं को किराए के महंगे मकानों में रहना पड़ रहा है।

 

अधीक्षक का प्रभार श्रोत्रिय पर
गल्र्स हॉस्टल का प्रभारी डा. अर्चना श्रोत्रिय को बनाया है। लेकिन दूसरा स्टाफ नहीं है। हास्टल में भृत्यों के अलावा मेट की जरूरत है। स्टाफ का इंतजाम जनभागीदारी समिति की मद से होगा, लेकिन कालेज प्रबंधन का दावा है कि छात्राएं प्रवेश नहीं लेतीं। अगर, छात्राएं प्रवेश लेती हैं तो हम पूरे स्टाफ का प्रबंध करेंगे।

 

एक हजार रुपए मासिक रखा किराया
कालेज प्रबंधन ने हॉस्टल का किराया एक हजार रुपए मासिक रखा है। लेकिन छात्राओं का मानना है कि दूर-दराज के गांवों से आने वाली छात्राओं के लिए किराया अधिक है। किराए, कम हो तो प्रवेश बढ़ सकते हैं। गुना में कुंभराज, चांचौड़ा, आरोन, बमोरी के दूरस्थ गांवों से छात्राएं पढऩे आती हैं। लेकिन हास्टल चालू नहीं हो पाने से उनको किराए के मकान लेना पड़ते हैं।


बायज हॉस्टल हो गया खंडहर
एबी रोड पर कालेज का बॉयज हॉस्टल भी है। लेकिन ये हॉस्टल भी बीते 10 सालों से अनुपयोगी है। इसकी मरम्मत पर तीन लाख से ज्यादा राशि खर्च भी की, लेकिन भवन छात्रों के उपयोग में नहीं आया। मौजूदा समय में हॉस्टल खंडहर में बदल गया है। हास्टल के बर्तन, लाइब्रेरी और कीमती सामान भी गायब है। पहले यहां एक चौकीदार रहता था, अब लंबे समय से वह भी नहीं रहता।


हॉस्टल चालू करने के लिए कई बार प्रयास कर चुके, छात्राएं प्रवेश नहीं लेतीं। एक बार बिना फीस के ही एडमिशनकी योजना बनाई थी। अगर, कलेक्टर चाहें तो किराया कम किया जा सकता है। स्टाफ का प्रबंधन जन भागीदारी से किया जाएगा।
-डा. बीके तिवारी, प्राचार्य पीजी कालेज

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