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District Hospital : गुना जिला अस्पताल बीमार, गंभीर मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

locationगुनाPublished: Jul 13, 2019 03:59:47 pm

Submitted by:

Narendra Kushwah

कैंसर के मरीज को दो दिन बाद भी नहीं चढ़ सका ब्लड

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गुना जिला अस्पताल बीमार, गंभीर मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

गुना। जिला अस्पताल District hospital में इन दिनों स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर सभी तरह की व्यवस्थाएं बुरी तरह से लडखड़़ा गई हैं। यहां मरीजों को पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर Doctor को दिखाने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यदि कोई मरीज patient जैसे तैसे भर्ती हो भी गया तो उसे काफी समय तक इलाज तक नहीं दिया जा रहा है। लगातार असुनवाई से परेशान होकर मरीज को बिना छुट्टी के ही अस्पताल छोडऩे पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस तरह की परेशारी से लगभग हर मरीज गुजर रहा है। लेकिन उसकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही है।


सीटी स्कैन मशीन खराब
जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों को उचित उपचार तो मिल ही नहीं पा रहा है। वहीं उनकी जरूरी जांचें भी नहीं हो पा रही हैं। झगड़े व दुर्घटना में घायल, जिनके सिर में गंभीर चोट है, ऐसे मरीजों की सीटी स्कैन नहीं हो पा रही है, क्योंकि मशीन खराब है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है इससे पहले भी एक माह से अधिक समय तक सीटी स्कैन मशीन खराब रह चुकी है। इसी तरह मरीजों की अन्य जांचें भी नहीं हो पा रही हैं। उन्हें मजबूरन बाजार में ज्यादा पैसे खर्च कर करवानी पड़ रही हैं।

विशेषज्ञ डॉक्टर्स के अवकाश ने बिगाड़े हालात
जिला अस्पताल में पहले ही डॉक्टर्स की बेहद कमी है। ऐसे में जो हैं इनमें से कई विशेषज्ञ डॉक्टर्स के लंबी छुट्टी पर जाने से अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं ज्यादा गड़बड़ा गई हैं। मेडीकल विशेषज्ञ डॉ गौरव तिवारी एक जून से 30 जून तक अवकाश पर रहे। इसके बाद एक दिन के लिए आए और फिर से एक माह के अवकाश पर चले गए।


अपने कक्ष में मरीजों को नहीं मिले
इसी तरह टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ आरएस राजपूत बीते 15 दिन से अवकाश पर थे। एक दिन के लिए आए फिर दो दिन के लिए भोपाल मीटिंग में चले गए। इन दोनों डॉक्टर की अनुपस्थिति में डॉ विजयवर्गीय को मरीजों को देखना था। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह डॉक्टर बमुश्किल एक भी दिन अपने कक्ष में मरीजों को नहीं मिले। विशेषज्ञ डॉक्टर्स की इस स्थिति में न तो ओपीडी में मरीजों को इलाज मिल पा रहा है और न ही आईपीडी में भर्ती मरीजों को।


मरीजों की जुबानी अस्पताल की व्यवस्था की कहानी

मेरी पत्नी गुलाब बाई (70) मानसिक रूप से बीमार है। उसे आरोन थाना क्षेत्र के ग्राम रातिखान से लाया हूं। डॉक्टर के इंतजार में एक घंटे से बाहर बैठा हूं लेकिन कोई नहीं बता रहा कि डॉक्टर कहां गए हैं, आएंगे या नहीं। उधर मरीज की हालत बहुत खराब है।
महोला सहरिया, महिला का पति


मैं कैंसर से पीडि़त हूं। अपने पति पप्पू प्रजापति के साथ कल राघौगढ़ से जिला अस्पताल आई थी। डॉक्टर ने सर्जिकल वार्ड में भर्ती के लिए लिख दिया लेकिन पलंग नहीं मिला तो गैलरी में लेट गई। कुछ देर बाद ट्रोमा वार्ड में पहुंचा दिया। सुबह वहां से हटाकर नीचे वार्ड में भेज दिया लेकिन यहां पलंग नहीं मिला। सुबह से लेकर दोपहर 1 बजे तक डॉक्टर के इंतजार में गैलरी में ही बैठी रही। राउंड पर आए डॉक्टर ने कह दिया 26 नंबर में डॉक्टर से ब्लड चढ़वाने के लिए लिखा लाओ। लेकिन घंटों इंजार के बाद भी डॉक्टर नहीं मिले। मजबूरन मुझे बिना इलाज के ही घर जाना पड़ रहा है।
बबली बाई प्रजापति, मरीज


मैं जमीनी विवाद में घायल हो गया था। सिर में काफी गंभीर चोट है। कई बार चक्कर आ जाते हैं। डॉक्टर को भी बताया था लेकिन सीटी स्केन की पर्ची देकर कह दिया कि अस्पताल की मशीन खराब है। बाहर करवा लेना।
कृपाल सिंह धाकड़, मरीज

गांव में हुए झगड़े के दौरान मेरे सिर में गंभीर चोट आई थी। स्टाफ नर्स को केनुला लगाने नस नहीं मिली। हर दिन दोनों हाथ में अलग अलग जगह इंजेक्शन लगाए जाते हैं जिससे मुझे बहुत कष्ट होता है। जबकि भर्ती मरीज को केनुला लगाकर ही इंजेक्शन व बॉटल चढ़ाई जाती है।
लाखन धाकड़, मरीज


मैं बीते तीन दिन से सर्जिकल वार्ड में भर्ती हूं। यहां के स्टाफ का व्यवहार बहुत खराब है। मरीजों की सुनवाई तो छोडि़ए अभद्रता पर उतारू हो जाती हैें नर्से। मेरे हाथ में केनुला जाम हो गया है जिससे बॉटल की दवा अंदर नहीं जा पा रही है। स्टाफ से नया केनुला लगाने के लिए कहा तो वह बॉटल को बंद कर चली गई।
प्रकाश धाकड़, मरीज

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