scriptअफसर, ठेकेदार और नेताओं का गठजोड, करोड़ों के घोटालों का घर बनी गुना नपा | Guna municipality became home to crores of scam | Patrika News

अफसर, ठेकेदार और नेताओं का गठजोड, करोड़ों के घोटालों का घर बनी गुना नपा

locationगुनाPublished: Mar 01, 2020 11:59:18 pm

Submitted by:

Manoj vishwakarma

नलकूपों के संचालन व संधारण के नाम पर हर माह होता है पैसों का बंदरबाट

अफसर, ठेकेदार और नेताओं का गठजोड, करोड़ों के घोटालों का घर बनी गुना नपा

अफसर, ठेकेदार और नेताओं का गठजोड, करोड़ों के घोटालों का घर बनी गुना नपा

गुना. खेत को बाड़ खाने लगे तो उसकी रखवाली कौन करेगा, यह कहावत आजकल नगर पालिका और उससे जुड़े जल प्रकोष्ठ आदि में चरितार्थ हो रही है। नगर पालिका में तत्कालीन सीएमओ, जल प्रकोष्ठ के प्रभारी समेत चार-पांच अफसर ऐसे हैं, जिनकी भाजपा-कांग्रेस के नेताओं व पसंदीदा ठेकेदारों से इतनी नजदीकियां हो गई हैं, जिसके चलते अफसरों-नेताओं व ठेेकेेदारों का एक गठजोड़ बन गया था, जो नगर पालिका में हावी रहा और वहां होने वाली आर्थिक व प्रशासनिक अनियमितताओं में सहभागी बनते रहे।
ऐसा ही एक मामला जल प्रकोष्ठ का आया है, जहां नलकूपों की देखभाल, संधारण व संचालन आदि का काम चार ठेका एजेन्सियों को दे रखा है, उनमें फर्जीवाड़ा कर हर माह लाखों रुपए की आर्थिक चपत लगाई जा रही है। पिछले कुछ समय से देखा जाए तो घोटाले के रूप में वाहन खरीदी, झाडू-फिनाइल खरीदी, संविदा पर रखे गए कर्मचारियों की नियुक्ति, नाला सफाई, तीन एनजीओ को काम देना आदि है।
इन सब पर अभी तक न तो नगर पालिका के प्रशासक और कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार की नजर पड़ी है और न प्रभारी सीएमओ सोनम जैन की। प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री जयवर्धन सिंह के गृह जिले की इस नगर पालिका में अभी तक हुए घोटालों की उच्च स्तरीय जांच हो जाए तो करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर हो सकता है। कई अधिकारी व ठेकेदारों पर एफआईआर हो सकती है।
बगैर अनुमति के रखे संविदा कर्मचारी, नहीं हटे

कुछ माह पूर्व नगर पालिका परिषद की बैठक में संविदा पर कर्मचारियों के रखे जाने का प्रस्ताव आया था, जिनको रखे जाने के लिए समिति बनाई जानी थी। समिति बनने से पूर्व तत्कालीन सीएमओ संजय श्रीवास्तव और चार कांग्रेस नेताओं के गठजोड़ ने अपने स्तर पर संविदा कर्मचारी रख लिए। जिनमें प्रति कर्मचारी से 25 से 5० हजार रुपए लिए जाने की चर्चा जोरों पर रहीं। इन संविदा कर्मचारियों को हटाए जाने के प्रभारी मंत्री इमरती देवी ने आदेश दिए हैं, वे कर्मचारी अभी तक नहीं हटे। यह बात अलग है कि इस मामले में भी प्रभारी मंत्री के आदेश पर कलेक्टर ने तत्कालीन सीएमओ संजय श्रीवास्तव को हटा दिया है। वहीं संविदा कर्मचारियों में जहां एक ओर नौकरी जाने का डर सता रहा है वहीं दूसरी ओर उनको नौकरी के लिए संबंधित नेताओं को दिए पैसे वापस होंगे या नहीं इसकी चिंता सता रही है।
जल प्रकोष्ठ में यह चल रहा है फर्जीवाड़ा

विभागीय सूत्रों ने बताया कि नगर पालिका के अन्तर्गत जल प्रकोष्ठ ने शहर में लगे 412 नलकूपों के संचालन, संधारण आदि के लिए शहर को चार जोन में बांटकर उनका ठेका अलग-अलग ठेकेदार को दिया गया है। जल प्रकोष्ठ के एक अधिकारी के अनुसार शहर के 412 नलकूपों में डली मोटर खराब होने पर उसको ठीक करने, चलाने आदि का काम ठेके पर दिया हुआ है। एक नलकूप पर एक माह में 21०० रुपया खर्च किया जाना। हर माह इन नलकूपों पर आठ से दस लाख रुपया खर्च होना बताया जा रहा है। जबकि बाहरी सूत्रों की माने तो इन चारों जोनों में इन नलकूपों के नाम पर 25 से 28 लाख रुपए कागजों में खर्च होते हैं। ठेका कंपनियों में जो कर्मचारी रखे गए हैं उनमें अफसरों के साथ कांग्रेस-भाजपा के नेताओं के पुत्र, भतीजे, भांजे, नजदीकी रिश्तेदार रखे हुए हैं जिनको ठेकेदार द्वारा जल प्रकोष्ठ से 7 लाख रुपए का हर माह भुगतान लेने पर प्रति कर्मचारी को पांच से छह हजार रुपए दिए जाते हैं। मजेदार बात ये है कि ठेकेदार जिन कर्मियों को अपने यहां रखे हुए हैं उनमें अधिकतर घर बैठे हर माह पगार ले रहे हैं, बस अंतर इतना है कि जिन नेताओं के जरिए वे नौकरी लगे हैं उनके द्वारा उक्त ठेकेदार के गलत काम पर भी समय-समय पर पर्दा डालने का काम नेताओं द्वारा किया जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो