इसको ठीक होने के लिए राज्य शासन ने एक करोड़ 4० लाख रुपए मंजूर किए थे, उसके छह माह बाद भी उक्त ओवर ब्रिज का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। इससे लगता है कि संबंधित विभाग को वहां किसी बड़े हादसे होने का बेसब्री से इंतजार है। महावीरपुरा स्थित रेलवे ओवर ब्रिज जो शहर के बीचों-बीच है, इसका निर्माण 199० में नामी-गिरामी निर्माण एजेन्सी द्वारा कराया था। जिसके निर्माण में हुई अनियमितताओं की वजह से यह रेलवे ओवर ब्रिज जर्जर स्थिति में आ गया था। वर्तमान में यह क्षतिग्रस्त है। इस पुल की पूरी सडक़ जर्जर हो गई है, जगह-जगह गड्डे हो गए हैं।
पुल से प्रतिदिन गुजरते हैं पांच सौ ट्रक
बताया जाता है कि गुना से इंदौर आदि जाने के लिए बायपास मार्ग बना रखा है। लेकिन अभी तो यह स्थिति है कि बायपास बनने के बाद भी प्रतिदिन पांच सौ से अधिक ट्रक इस जर्जर पुल से गुजर रहे हैं। इसकी वजह ये है कि बायपास मार्ग पर टोल-प्लाजा बना हुआ है, जहां से एक ट्रक के निकलने पर तीन सौ से लेकर पांच सौ रुपए वसूले जा रहे हैं। यह पैसे बचाने की फेर में ट्रक चालक वहां से न जाकर जर्जर पुल के ऊपर से निकलते देखे जा सकते हैं। दो पहिया समेत यात्री बसें आदि कुल मिलाकर लगभग दस से बारह हजार प्रतिदिन वाहन इस पुल से गुजर रहे हैं।
आंदोलन के बाद मिले थे 14० लाख रुपए
पत्रिका ने महावीरपुरा स्थित रेलवे ओवर ब्रिज को लेकर एक अभियान शुरू किया था, जिससे लोग जुड़ते चले गए थे। पत्रिका की खबर का यह असर हुआ था कि इसको लेकर आंदोलन भी हुए, राज्य शासन ने जनता की मांग पर एक समिति बनाकर इसका निरीक्षण किया था, बाद में 14० लाख रुपए इस ब्रिज की मरम्मत के लिए पैसा दिया था।
नपाध्यक्ष सलूजा ने ओवर ब्रिज को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
महावीरपुरा स्थित रेलवे ओवर ब्रिज की जर्जर हालत को लेकर पत्रिका द्वारा प्रकाशित खबरों को नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा ने गंभीरता से लिया और उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र भेजा है। जिसमें कहा है कि इस ओवर ब्रिज से रात्रि के समय 3०० भारी वाहन गुजरते हैं। जिससे क्षतिग्रस्त ओवर ब्रिज पर दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। उन्होंने सीएम से आग्रह किया है कि इस ओवर ब्रिज की स्थिति वर्षों से खस्ता हाल है, संबंधित विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। ओवर ब्रिज से भारी वाहनों का प्रवेश निषेध किया जाए तथा नियमित पुलिस स्टॉफ की तैनाती की जाए, जिससे वाराणसी जैसे ब्रिज की गुना में पुनरावृत्ति न हो पाए। इस ब्रिज की जल्द से जल्द मरम्मत कराई जाए।
ऐसे होते हैं हादसे
इस ओवर ब्रिज के जीर्ण-शीर्ण हालत के चलते क्षतिग्रस्त हिस्से को ढकने हेतु डिवाइडर रूपी छोटी-छोटी बाउन्ड्री जगह-जगह खड़ी कर दी गई है, जिससे रात्रि के समय अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं।