ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भरता बढ़ी
कोरोना ने सबसे ज्यादा सबक दिया है तो वह है स्वास्थ्य के क्षेत्र में। सबसे पहले तो जिला अस्पताल ऑक्सीजन के मामले में लगभग पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गया है। यहां एक नहीं बल्कि तीन ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो चुके हैं। जिनके माध्यम से अस्पताल के सभी वार्डों में लगभग हर बैड पर ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था हो चुकी है। इसके अलावा बमोरी, आरोन, बीनागंज में ऑक्सीजन प्लांट लग चुका है। जबकि अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर ऑक्सीजन सपोर्टेट बैड की व्यवस्था हो चुकी है।
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इस क्षेत्र में कमी
जिले में महिला चिकित्सक के अलावा हड्डी, कान, नाक, आंख के डॉक्टर की कमी है। जिसके कारण जिले भर के मरीज जिला अस्पताल आते हैं। खासकर मेटरनिटी विंग पर सबसे ज्यादा लोड पड़ रहा है। प्रतिदिन 50 से अधिक डिलेवरी होती हैं। डॉक्टर की कमी के कारण ओपीडी में डॉक्टर नहीं मिल पाती। जो चिकित्सक हैं उनकी ड्यूटी सप्ताह में अलग-अलग दिन लगने वाले शिविरों में लगा दी जाती है। इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ की भी कमी है।
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कहां कितने ऑक्सीजन प्लांट
जिला अस्पताल : 03
आरोन : 01
बमोरी : 01
बीनागंज : 01
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इन सुविधाओं में हुआ इजाफा
ईटीपी प्लांट : जिला अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, डायलिसिस यूनिट से निकलने वाले बेहद प्रदूषित पानी को रिसाइकिल करने वाला प्लांट ईटीपी (एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) बनकर तैयार हो चुका है। इसके माध्यम से प्रतिदिन 10 हजार लीटर गंदे पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाया जा सकेगा। जिसका उपयोग पौधों की सिंचाई में कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जल अधिनियम 1974 के तहत यह प्लांट अति आवश्यक था। हाल ही में जिला अस्पताल को नई सीटी स्कैन भी मिल चुकी है।
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आईसीयू : कोरोना की पहली लहर ने ही अस्पताल को पहली उपलब्धि 10 बैड के आईसीयू के रूप में दिलाई थी। जिसका उपयोग वर्तमान में सभी तरह के गंभीर मरीजों के लिए किया जा रहा है। यह नया आईसीयू डीईआईसी भवन के प्रथम तल पर बना है। जिसमें वेंटीलेटर से लेकर काफी आधुनिक सुविधाएं हैं।
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हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर : जिले में इस समय 18 प्राथमिक और 140 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें 95 उपस्वास्थ्य केंद्र खुद के भवन में संचालित हैं। जहां सीएचओ की पदस्थापना के बाद से यह आरोग्य केंद्र यानी कि हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तब्दील हो चुके हैं। सीएचओ को सभी गंभीर बीमारी जिनमें कैंसर, बीपी, हाइपरटेंशन, शुगर, टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग करने की ट्रेनिंग दी गई है। जांच में भी मरीज डिटेक्ट होता है, उसे टेली मेडिसन के जरिए विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श के बाद दवाएं दी जा रही हैं। इस सुविधा के बाद जिला अस्पताल पर सामान्य मरीजों का लोड काफी कम हुआ है।
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इनका कहना
कोरोना के बाद से जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है। खासकर अंचल के स्वास्थ्य केंद्रों पर व्यवस्थाओं में बहुत सुधार आया है। जहां तक मानव संसाधन की कमी का सवाल है तो यह पूर्ति शासन स्तर से होनी है। हमारे द्वारा समय-समय पर इससे अवगत कराया जाता है।
डॉ राजकुमार ऋषीश्वर, सीएमएचओ
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पद नियमित स्वीकृत कार्यरत रिक्त एनएचएम कुल कार्यरत
विशेषज्ञ क्लास-1/ 87 /15 /72 /00/ 15
चिकित्सा अधिकारी क्लास-2 /85 /51 /34 /22/ 73
स्टाफ नर्स 268 /196 /72 /52 /248
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योग 440 /262 /178 /74 /336
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कोरोना ने सबसे ज्यादा सबक दिया है तो वह है स्वास्थ्य के क्षेत्र में। सबसे पहले तो जिला अस्पताल ऑक्सीजन के मामले में लगभग पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गया है। यहां एक नहीं बल्कि तीन ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हो चुके हैं। जिनके माध्यम से अस्पताल के सभी वार्डों में लगभग हर बैड पर ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था हो चुकी है। इसके अलावा बमोरी, आरोन, बीनागंज में ऑक्सीजन प्लांट लग चुका है। जबकि अन्य स्वास्थ्य केंद्रों पर ऑक्सीजन सपोर्टेट बैड की व्यवस्था हो चुकी है।
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इस क्षेत्र में कमी
जिले में महिला चिकित्सक के अलावा हड्डी, कान, नाक, आंख के डॉक्टर की कमी है। जिसके कारण जिले भर के मरीज जिला अस्पताल आते हैं। खासकर मेटरनिटी विंग पर सबसे ज्यादा लोड पड़ रहा है। प्रतिदिन 50 से अधिक डिलेवरी होती हैं। डॉक्टर की कमी के कारण ओपीडी में डॉक्टर नहीं मिल पाती। जो चिकित्सक हैं उनकी ड्यूटी सप्ताह में अलग-अलग दिन लगने वाले शिविरों में लगा दी जाती है। इसी तरह शिशु रोग विशेषज्ञ की भी कमी है।
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कहां कितने ऑक्सीजन प्लांट
जिला अस्पताल : 03
आरोन : 01
बमोरी : 01
बीनागंज : 01
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इन सुविधाओं में हुआ इजाफा
ईटीपी प्लांट : जिला अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, डायलिसिस यूनिट से निकलने वाले बेहद प्रदूषित पानी को रिसाइकिल करने वाला प्लांट ईटीपी (एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट) बनकर तैयार हो चुका है। इसके माध्यम से प्रतिदिन 10 हजार लीटर गंदे पानी को फिर से इस्तेमाल लायक बनाया जा सकेगा। जिसका उपयोग पौधों की सिंचाई में कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि जल अधिनियम 1974 के तहत यह प्लांट अति आवश्यक था। हाल ही में जिला अस्पताल को नई सीटी स्कैन भी मिल चुकी है।
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आईसीयू : कोरोना की पहली लहर ने ही अस्पताल को पहली उपलब्धि 10 बैड के आईसीयू के रूप में दिलाई थी। जिसका उपयोग वर्तमान में सभी तरह के गंभीर मरीजों के लिए किया जा रहा है। यह नया आईसीयू डीईआईसी भवन के प्रथम तल पर बना है। जिसमें वेंटीलेटर से लेकर काफी आधुनिक सुविधाएं हैं।
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हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर : जिले में इस समय 18 प्राथमिक और 140 उपस्वास्थ्य केंद्र हैं। इनमें 95 उपस्वास्थ्य केंद्र खुद के भवन में संचालित हैं। जहां सीएचओ की पदस्थापना के बाद से यह आरोग्य केंद्र यानी कि हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तब्दील हो चुके हैं। सीएचओ को सभी गंभीर बीमारी जिनमें कैंसर, बीपी, हाइपरटेंशन, शुगर, टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग करने की ट्रेनिंग दी गई है। जांच में भी मरीज डिटेक्ट होता है, उसे टेली मेडिसन के जरिए विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श के बाद दवाएं दी जा रही हैं। इस सुविधा के बाद जिला अस्पताल पर सामान्य मरीजों का लोड काफी कम हुआ है।
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इनका कहना
कोरोना के बाद से जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है। खासकर अंचल के स्वास्थ्य केंद्रों पर व्यवस्थाओं में बहुत सुधार आया है। जहां तक मानव संसाधन की कमी का सवाल है तो यह पूर्ति शासन स्तर से होनी है। हमारे द्वारा समय-समय पर इससे अवगत कराया जाता है।
डॉ राजकुमार ऋषीश्वर, सीएमएचओ
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पद नियमित स्वीकृत कार्यरत रिक्त एनएचएम कुल कार्यरत
विशेषज्ञ क्लास-1/ 87 /15 /72 /00/ 15
चिकित्सा अधिकारी क्लास-2 /85 /51 /34 /22/ 73
स्टाफ नर्स 268 /196 /72 /52 /248
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योग 440 /262 /178 /74 /336
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