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सहायक शिक्षक को बनाया 28 छात्रावासों का नोडल और उनमें भी नहीं आ रहे बच्चे

locationगुनाPublished: Sep 17, 2018 03:18:25 pm

Submitted by:

Amit Mishra

छात्रावासों के आंकड़ों कागजों में कर रहे पूर्ण

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सहायक शिक्षक को बनाया 28 छात्रावासों का नोडल और उनमें भी नहीं आ रहे बच्चे

गुना. आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में छात्र नहीं पहुंच रहे और कागजों में ही आंकड़े पूरे किए जा रहे हैं। जिन हॉस्टलों में छात्र हैं, उनमें सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
पत्रिका ने इन हॉस्टलों में छात्रों की उपस्थिति की पड़ताल की तो कई जगह नाजुक स्थिति मिली। उधर, आदिम जाति कल्याण विभाग के संयोजक एक सहायक शिक्षक पर इतने मेहरबान हैं कि उनको 4 हॉस्टल का वार्डन बनाने के साथ ही राघौगढ़ और चांचौड़ा की 28 छात्रावासों का नोडल बना दिया है।

करीब 11 हॉस्टल ऐसे हैं, जिनमें छात्र कम हैं और करीब 5 हॉस्टल कागजों में ही चल रहे हैं। जिला मुख्यालय पर संचालित उत्कृष्ट हॉस्टल में छात्रों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। विमुक्त जाति के हास्टल भी करीब बंद पड़ा हुआ है।

सहायक शिक्षक को बनाया नोडल
विभाग के पास दो क्षेत्रीय अधिकारी और एक मंडल संयोजक हैं, इसके बाद भी एक सहायक शिक्षक मुकेश शर्मा को नोडल बनाया है। जबकि 2012-13 में आयुक्त आदिवासी विकास के पत्र के मुताबिक किसी भी शिक्षक को कार्यपालिक प्रभार नहीं दिया जा सकता है।
इस संबंध में विधायक ममता मीना द्वारा विभागसभा में प्रश्न भी लगाया था। इस प्रश्न के बाद मंडल संयोजक से हटाकर, अब नोडल बना दिया। उनके द्वारा दो ब्लाक संभाले जा रहे हैं। इसके चलते कई हॉस्टल कागजों में चलने मजबूर हैं।

 

उत्कृष्ट हॉस्टल में नहीं मिल रहा मेन्यू का भोजन, छात्र परेशान
इस साल शिफ्ट हुआ बालक उत्कृष्ट हॉस्टल में भी बच्चों को मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है। इसके अलावा छात्रों को सुविधाएं भी नसीब नहीं हो पा रही हैं।

गोपालपुरा से इसको अपनी निजी बिल्डिंग में शिफ्ट किया है, लेकिन सुविधाओं में इजाफा नहीं हो पाया है। रास्ता भी ठीक नहीं है, निकलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

कागजों में ही चल रहे हॉस्टल
राघौगढ़ और चांचौड़ा ब्लाक के अधिकांश हास्टल कागजों में चल रहे हैं। धरनावदा, मृगवास, सानई, मोहम्मपुर में बच्चे नहीं है। यहां कागजों में ही संस्थान चल रहे हैं। मृगवास के हास्टल में बच्चे नहीं हैं और बच्चों की उपस्थिति कागजों में ही लग रही है। रुठियाई में भी हास्टल संचालित हैं, उसमें भी बच्चों की उपस्थिति बेहद कम है। बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं।

इस वजह से सहेरिया और आदिवासी समुदाय के बच्चों को इन आश्रमों और हास्टलों का लाभ नहीं मिल पाता है। उधर, मधुसूदनगढ़ में भी हास्टलों की सुविधाएं कागजों में ही दी जाती हैं। झागर में संचालित हास्टल को एक साल पहले ही बेरखेड़ी शिफ्ट कर दिया था। एक साल से झागर में किराए के भवन में संचालित था। कुछ दिन पहले ही हास्टल का भवन खाली किया गया है।

ये हैं हॉस्टल
43 हॉस्टल एससी वर्ग के संचालित
23 हॉस्टल अनुसूचिज जनजाति के बच्चों के लिए संचालित हैं।
72 हॉस्टल थे पहले, ओबीसी और विमुक्त जाति के हॉस्टल को देने के बाद 66 शेष।

ये जानकारी मेरे पास नहीं आई है। मैं दिखवाता हूं, कि किस वजह से यह नियुक्ति की गई है।
-विजय दत्ता, कलेक्टर

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