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70 किलोमीटर दूर से चलकर आए अनपढ़ रामबरण ने दिया जागरूकता का दिया परिचय

locationगुनाPublished: May 13, 2021 01:26:04 am

Submitted by:

praveen mishra

रामबरन जैसे लोग हैं तो कभी नहीं हारेगा भारत-जिंदा रहना है तो वैक्सीन लगवाना ही होगागुना में रिश्तेदार से कराया रजिस्ट्रेशन, फिर लगवाई वैक्सीन

70 किलोमीटर दूर से चलकर आए अनपढ़ रामबरण ने दिया जागरूकता का दिया परिचय

70 किलोमीटर दूर से चलकर आए अनपढ़ रामबरण ने दिया जागरूकता का दिया परिचय

गुना। समझदारी का संबंध साक्षरता से नहीं है, बुद्धिमान लोग किसी के बहकावे में नहीं आते। इन बातों को बुधवार को सच साबित करते दिखे गुना से 70 किलोमीटर दूर चाचौड़ा ब्लॉक के गांव बीलखेड़ा चक्क के रहने वाले रामबरन सिंह जिन्होंने गुना के मानस भवन वैक्सीनेशन सेंटर पर पहुंच कर कोरोना से बचाव का पहला टीका लगवाया। इस वैक्सीनेशन सेंटर पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई व्यवस्थाएं भी देखने लायक थीं, तरीके से जमी कुर्सियां, सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन कर रही थी कुर्सियां, जिन पर अपनी बारी का इंतजार करते हुए लोग बैठे थे, स्टाफ का व्यवहार भी किसी निजी संस्थान के सोफेस्टिकेटेड कल्चर जैसा था।
बारी बारी से लोगों के आधार कार्ड चेक कर वहां मौजूद स्टाफ लोगों की आवश्यक एंट्री कर रहा था और नर्स टीका लगा रहीं थीं, टीका लगवा रहे प्रत्येक व्यक्ति को आवश्यक सावधानियां समझा कर और सूचनाएं देकर पीसीएम पैरासिटामोल की दो- दो गोलियां भी दी जा रही थीं।कलेक्टर फ्रैंक नोबल ए के आने के बाद वैक्सीन को लेकर कुछ व्यवस्थाएं सुधरी हैं, जिनका नजारा मानस भवन में देखने को मिला।
वैक्सीन लगवाने वाले शहरी लोगों की कतार में जब कुर्ता पजामा पहने देहाती से नजर आ रहे रामबरन सिंह को अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार करते हुए देखा तो मन में उनसे बातचीत करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। मैंने उनका परिचय लेकर बात शुरू की तो रामबरन सिंह ने मुंह पर लगा मास्क ठीक करते हुए बताया कि मैं कोरोना महामारी के बारे में पिछले साल से देख सुन रहा हूं, बीमारी से बचने के लिए लोगों से दूर रहना है, अपने मुंह नाक आंख चेहरे को नहीं छूना है, बार बार हाथ धोने है, ये सब सुना था, तो ये सब खुद भी करता हूं और घरवालों से भी कराता हूं, भगवान की कृपा से मेरे परिवार में सब स्वस्थ्य हैं।इतने में रामबरन ने अपने कुर्ते की जेब से सेनेटाइजर की शीशी निकाली और सेनेटाइजर भी दोनों हाथों में रगड़ लिया। मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा कि टीका लगवाने 70 किमी दूर गुना कैसे आना हुआ, इस पर रामबरन सिंह ने बताया कि मैं तो जनवरी से वैक्सीन लगवाने घूम रहा हूं, घर के 45 साल से ऊपर के सदस्यों को लगवा भी दी लेकिन मेरी उम्र 39 साल होने से मुझे नहीं लगी।फिर जैसे ही पता चला कि 18 साल से ज्यादा उम्र वालों को गुना में वैक्सीन लग रही है तो मैंने अपने रिश्तेदार की मदद से मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन कराया और गुना आ गया।
मैने पूछा वैक्सीन को लेकर कुछ लोग अफवाह उड़ाते हैं आपने भी कुछ सुना होगा, तो वो बोले कि भाई साहब अपने यहां सौ मुंह सौ बातें हैं सब जगह सब तरह के लोग हैं ये तो अपन को समझना पड़ेगा कि अपने लिए क्या सही है मैं तो सभी से यही कहूंगा कि जिंदा रहना है तो वैक्सीन जरूर लगवाएं उनके इस समझदारी भरे जबाव पर मैंने जिज्ञासावश सवाल किया कि आप कहां तक पढ़े हैं तो रामबरन थोड़े से झल्ला गए बोले भाई साहब तुम्हारे जितना नहीं पढ़ा लेकिन अपना भला बुरा आपसे ज्यादा समझता हूं मैंने उनसे माफी मांगते हुए कहा कि बुरा न माने बस ऐसे ही पूछा था तो रामबरन ने बताया कि मैंने स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं की है बस अपना नाम लिखना जानता हूं।इतने में उनका वैक्सीन लगवाने का नंबर भी आ गया उन्होंने वैक्सीन लगवा ली, वो पीसीएम लेकर थोड़ी देर वहां बैठे और फिर उठकर चेहरे पर विजेता की भांति भाव लिए वहां से चले गए। मैं उन्हें आंखों से ओझल होने तक टकटकी बांधे देखता रहा, इस उम्मीद और विश्वास के साथ कि रामबरन सिंह राजपूत जैसे लोगों के रहते मेरा भारत कभी किसी चुनौती से हार नहीं सकता।

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