प्रशासन और नगर पालिका परिषद चाहे तो गुनिया और भुजरिया तालाब में हो सकती है नौकायन
गुनाPublished: Aug 13, 2022 01:55:38 am
गुनिया और भुजरिया तालाब के सौन्दर्यीकरण के बिना कैसे बनेगी गुना स्मार्ट सिटी- प्रशासनिक और नवनिर्वाचित नगर पालिका परिषद से कई उम्मीदें, गुनिया के गोकुल कुंड को पर्यावरण प्रेमियों ने बांधी राखी
प्रशासन और नगर पालिका परिषद चाहे तो गुनिया और भुजरिया तालाब में हो सकती है नौकायन
गुना। गुना शहर में गुनिया नदी और भुजरिया तालाब जैसी कई जगह है, इनका सौन्दर्यीकरण के बिना गुना कैसे बनेगा स्मार्ट सिटी। गुना स्मार्ट सिटी बनाने के लिए देश के तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद ने गुना में 282 करोड़ रुपये स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शुभारंभ किया था। लेकिन ताजा हालात ये है कि नदी तालाब साफ सफाई की मांग कर रहे है। गुना की सुंदरता बढ़ाने वाले नदी तालाब साफ सफाई न होने के कारण नाले का रूप ले रहे है। गंदगी के कारण आसपास रहने वाले लोगों का रहना मुश्किल हो रहा है। शासन प्रशासन की उदासीनता शहर के सौंदर्यीकरण पर कलंक लगा रही है। अगर ऐसा ही रहा तो कैसे बनेगा हमारा गुना स्मार्ट सिटी।
आगामी समय में यदि प्रशासन सचेत होकर गुनिया और भुजरिया तालाब की सफाई करा दे तो यह संचित जल भी गर्मियों में गैर पेय जल के रूप में उपयोग होने लगेगा साथ ही भुजरिया तालाब में नौका बिहार पुन: आरंभ होकर गुना को एक पर्यटन स्थल मिल सकेगा। साथ ही गुनिया नदी की साफ सफाई होने से शहर की सुंदरता में और भी निखार आयेगा। नदी के आसपास रहने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी गंदे पानी में पनपने वाले मच्छरों व बीमारियों पर भी रोक साफ सफाई के द्वारा लगाई जा सकती है यह सब उस समय संभव है जब प्रशासनिक अधिकारी और नवनिर्वाचित नगर पालिका परिषद सार्थक पहल करे और जमीनी तौर पर कदम उठाए।
गुनिया नदी किनारे रहवासी परेशान
गुनिया नदी के किनारे इतनी गन्दगी हो गई है कि घर के बाहर बैठना मुश्किल हो गया है। गन्दे पानी मे मच्छरों की वजह से तमाम बीमारियां पनप रहीं है । ज्यादातर बच्चें बीमार बने रहते है। साफ सफाई न होने की वजह से नदी, नाले का रूप ले रही है।
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नदी को स्वच्छ रखने बांधते है राखी…
पिछले आठ वर्ष से रक्षा बंधन पर राखी प्रति वर्ष नदी को स्वच्छ रखने के लिए शहर के समाजसेवियों व पर्यावरण प्रेमियों द्वारा बांधी जाती है । समाजसेवियों ने नदी की साफ सफाई में रुचि भी दिखाई लेकिन शासन प्रशासन के इस ओर ध्यान न देने के कारण जमीनी हालात बिगड़ते जा रहे है। और एक स्वच्छ नदी, नाले का रूप ले रही है। गुनिया नदी के उद्गम गोकुल कुंड पर रक्षाबंधन के त्यौहार पर गुरुवार को इसकी रक्षा के लिए राखी बांधी और उसकी रक्षा करने का संकल्प लिया।यहां वक्ताओं ने अलग-अलग विचार व्यक्त किए। इस मौके पर पर्यावरण प्रेमी डा. पुष्पराग समेत कई पर्यावरण प्रेमी मौजूद थे।
कलेक्टर से जनता की आस
सन् 2018 में तत्कालीन जिलाधीश भास्कर लक्ष्कार की पहलकदमी पर भुजरिया तालाब की 16 बीघा भूमि पर और गहरिकरण हुआ था। इस नई 16 बीघा भूमि को भी एवरेज 5 फीट खोदा गया। प्रशासन ने 3 करोड़ रुपए का एक प्रोजेक्ट भी बनाया जिसे गेल ने फंड देने का तय किया था लेकिन कोरोना काल में इस दिशा में कोई काम न हो सका। गेल का फंड भी नहीं आया और सफाई, गहरीकरण आदि भी नहीं हो पाया। वर्तमान कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए रूचि लेकर इस दिशा में काम कराएं तो नदी व तालाब सौंदर्यकरण सम्भव है।
जन आंदोलन से हुआ गहरीकरण, अनेक व्यक्तित्व हुए शामिल….
सन 2008 में शहर के युवाओं ने भुजरिया तालाब गहरीकरण का बीड़ा उठाया था । भुजरिया तालाब गहरीकरण को जन आंदोलन बनाया गया। जन सहयोग, नगरपालिका व जिला प्रशासन की मदद से 2010 तक तालाब के 16 बीघा हिस्से को 30 फीट गहराई तक खोद दिया गया था। इस गहरीकरण में जनप्रतिनिधि के रूप मेें केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, तत्कालीन मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल, महेन्द्र सिहं सिसौदिया, तुलसी सिलावट, लक्ष्मण सिंह, इमारती देवी, मेधा पाटकर, राजेंद्र सिंह, स्वामी अग्निवेश, एस एन सुब्बाराव सहित अनेक व्यक्तित्व शामिल रहे थे।
गहरीकरण के सकारात्मक परिणाम आए सामने….
गहरीकरण के 3 वर्ष तक ताज़ा खुदी जमीन पानी पीती रही और पहली बार 2013 में तालाब के इस खोदे गए हिस्से में पानी साल भर रुका रहा। जिसका परिणाम यह हुआ की तालाब के 1 किलोमीटर के रेडियस में भूजल स्तर में चमत्कारी चेंज आया। पानी 30 फीट तक उपर आ गया। हालांकि गुनिया को व्यवस्थित नदी बनाने के लिए 2017 में एनजीटी द्वारा आदेश भी किया हुआ है। जिसका भी पालन नही हुआ।