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जीवन में संस्कार न हों तो जीवन बेकार

locationगुनाPublished: Feb 23, 2021 09:54:41 pm

Submitted by:

Narendra Kushwah

मंगल कलश स्थापना के साथ मनाई गई आचार्य विद्यासागर पाठशाला की 16 वीं वर्षगांठ

जीवन में संस्कार न हों तो जीवन बेकार

जीवन में संस्कार न हों तो जीवन बेकार

गुना। चौधरी मोहल्ला स्थित आचार्य विद्यासागर जैन पाठशाला का 16 वां स्थापना दिवस मंगलवार को मुनि अभय सागर एवं आर्यिका मां पवित्रमति माताजी के ससंघ सानिध्य में मनाया गया। इस मौके पर पाठशाला का नया कलश राहुल-सुषमा जैन मिश्रीलाल परिवार के यहां गया। इसके पूर्व आचार्य के चित्र का अनावरण मुनि एवं आर्यिकाओं के गृहस्थ जीवन के परिवारजनों ने किया। वहीं दीप प्रज्जवलन जैन समाज अध्यक्ष संजीव जैन एवं समस्त प्रबंधकारिणी समिति ने किया। इसके बाद शहर के विभिन्न मंदिरों में संचालित पाठशालाओं की बहनों एवं शहर के ब्रह्मचारी भैयाजियों का सम्मान पाठशाला परिवार द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान कलश का अनावरण, कार्यालय उद्घाटन जिनवाणी विराजमान एवं कलश की स्थापना सहित अन्य धार्मिक क्रियाएं संपन्न हुईं।
पाठशाला के स्थापना दिवस पर मुनि अभय सागर ने जीवन में संस्कारों की महत्ता बताते हुए कहा कि जीवन में संस्कार न हो तो जीवन बेकार है। संस्कार तब आते हैं जो उससे जुड़ा हो व परमात्मा से जुड़ा हो। आज मशीनरी तकनीकी युग में माता-पिता में संस्कारहीनता आती जा रही है। इसलिए माता-पिता स्वयं संस्कारित हों और बच्चों को करें। आज तुम यदि बच्चों को पाठशाला भेजोगे तो जब कल तुम बूढ़े हो जाऊंगे तो वह तुम्हें मंदिर ले जाएंगे। आज उनके हाथों में भगवान का अभिषेक का कलश होगा तो कल जवानी में उनके हाथों में शराब की बोतल नहीं होगी।
छोटे-छोटे संस्कार ही जीवन में बड़ी उपलब्धि दिलाते हैं। यदि जीवन में संस्कार हैं तो तुम जहां जाओगे वहां जीत मिलेगी। हर समस्या में मुस्कुराना पाठशाला के संस्कार ही सिखाते हैं। कार्यक्रम में आर्यिका मां पवित्रमति माताजी ने कहा कि घर में जैसा माहौल होगा। वैसे ही संस्कार बच्चे में आएंगे। आज बच्चा पहला झूठ बोलना अपनी मां से ही सिख रहा है।
इस मौके पर पाठशाला की संचालिका पल्लवी जैन ने पाठशाला के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मुनिद्वय प्रशांत सागर एवं निर्वेग सागर के आशीर्वाद से शुरू हुई पाठशाला में बच्चों के लिए प्रतिदिन धार्मिक एवं लौकिक कक्षाओं के अलावा प्रति रविवार को सामूहिक पूजन तथा स्वाल्पाहार होता है। इसके अलावा साल में दो बार तीर्थवंदना कराई जाती है। इस अवसर पर पाठशाला में निस्वार्थ सेवा से सेवाएं दे रही बहनों के माता-पिता का सम्मान कमेटी द्वारा किया गया। वहीं पाठशाला में पढऩे वाले नन्हें-मुन्हें बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारी मनोज लल्लन एवं श्रेयांस जैन ने किया।

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