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गुना जनसुनवाई में वृद्ध व विकलांग फरियाद सुनाने घंटों खड़े रहे लाइन में

नहीं बैठे कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर रैंक की दो महिला अधिकारियों ने सुनी समस्याएंजमीनी विवाद की सबसे ज्यादा आईं शिकायतें

गुनाJun 12, 2019 / 01:17 pm

Narendra Kushwah

गुना जनसुनवाई में वृद्ध व विकलांग फरियाद सुनाने घंटों खड़े रहे लाइन में

गुना. मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में शिकायतकर्ताओं का जनसैलाब उमड़ा। स्थिति यह रही कि कक्ष के अंदर से लेकर बाहर मुख्य दरवाजे तक लोगों की एक नहीं बल्कि डबल लाइन तक लगी हुई थी। गौर करने वाली बात है कि इस लाइन में अधिकांश शिकायतकर्ता वृद्ध थे। जो खड़े रहने में भी सक्षम नहीं थे।

 

इसलिए लाइन में लगे ही फर्श पर बैठे हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। लेकिन उनकी यह दुर्दशा देखने वाला कोई नहीं था। क्योंकि जनसुनवाई से जिले के मुखिया गायब थे और लोगों की फरियाद सुनने के लिए केवल डिप्टी कलेक्टर रैंक की दो महिला अधिकारी बैठी हुई थीं। जो लोगों की समस्याएं सुन उनके आवेदन को संबंधित विभाग के अधिकारियों को फारवर्ड कर रही थीं। शिकायतकर्ता उक्त अधिकारियों को आवेदन देकर अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे थे क्योंकि वे इससे पहले कई बार जनसुनवाई में आकर आवेदन दे चुके हैं लेकिन समस्या आज भी जस की तस बनी हुई है।


यह आए प्रमुख मामले
आखिर कितनी बार दें आवेदन
गुना तहसील के ग्राम माहुर में अधिकांश ग्रामीण बीपीएल कार्डधारी हैं। जिनकी सुविधा के लिए सरकार ने गांव में डीपी तो रखवा दी हैं लेकिन विद्युत खंभे नहीं लगाए गए हैं। जिससे ग्रामीण अंधेरे में जीवनयापन करने को मजबूर हैं। भीषण गर्मी में जल संकट से भी जूझ रहे हैं।

 

मंगलवार को जनसुनवाई में आए जशरथ, छलुआ, बुद्धा, राजू केवट, कोमल चिढ़ार, गोविंद आदि ने बताया कि खंभे लगाने से लेकर केबिल बिछाने के लिए 9 माह से लगातार जनसुनवाई सहित विभिन्न स्तरों पर लिखित आवेदन दे रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाते हुए जहां एक व्यक्ति रहता है वहां खंभे लगाकर लाइट चालू कर दी है लेकिन अधिसंख्यक लोग निवास कर रहे हंै वहां खंभे तक नहीं लगाए हैं।

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सचिव ने निजी भूमि पर ही करा दिया कूप निर्माण
्रग्राम कोलुआ के ग्रामीणों ने जनसुनवाई में बताया कि ग्राम पंचायत हापाखेड़ी के सचिव गजेंद्र सिंह यादव ने निजी भूमि में शासकीय कुआं को खुदवा दिया है। यही नहीं इसका उपयोग वह खुद ही कर रहा है। जबकि भीषण गर्मी के बीच जनता पेयजल संकट से जूझ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि सचिव अपने गृह ग्राम में पदस्थ है, जो शासन नियमानुसार गलत है।

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न राजस्व अधिकारी सुन रहे और न पुलिस
ग्राम पिपरौदा से आए विकलांग गट्टूलाल साहू ने जनसुनवाई में बताया कि उसकी निजी स्वामित्व की जमीन का सीमांकन पटवारी नहीं कर रहा है। जिससे आए दिन विवाद की स्थिति पैदा होती रहती है। सीमांकन कराने के लिए तहसील में कई आवेदन किया तथा जरूरी दस्तावेज भी सौंप दिए लेकिन पटवारी सीमांकन करने नहीं जा रहा है। विवाद होने पर पुलिस के पास जाते हैं तो वह भी भगा देती है। समझ नहीं आ रहा आखिर मैं किसके पास जाऊं।

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सीनियर सिटीजन चार्टर का कलेक्ट्रेट में उड़ा मखौल
शासन ने 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को तथा विकलांगों को विशेष वर्ग में रखा गया है। जिसके लिए बकायदा सीनियर सिटीजन चार्टर भी बनाया गया है। जिसका पालन करना सभी सरकारी कार्यालयों में जरूरी है। लेकिन मंगलवार को कलेक्टे्रेट में जनसुनवाई के दौरान उक्त चार्टर का खुलेआम मखौल उड़ता नजर आया।

 

शरीरिक रूप से बेहद कमजोर वृद्ध लंबी लाइन में लगे हुए थे लेकिन खड़े होने की स्थिति न होने के कारण वह फर्श पर बैठकर ही अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। इसी तरह शारीरिक रूप से 90 प्रतिशत तक विकलांग भी अपनी फरियाद सुनाने लाइन में लगे हुए थे। काफी देर बाद नंबर आने के बाद घिसटते हुए आगे बढ़ते नजर आए।

 

वजह परेशान न होना पड़े

शहर सहित दूरस्थ ग्रामीण अंचल से आए शिकायतकर्ताओं में अधिकांश सीनियर सिटीजन थे तो कुछ विकलांग भी थे। उल्लेखनीय है कि सीनियर सिटीजन चार्टर के अनुसार वृद्ध व विकलांगों को शासकीय कार्यालयों में सुविधाजनक विशेष सुविधा होनी चाहिए ताकि उन्हें वेवजह परेशान न होना पड़े। आवेदकों की भारी भीड़ के बीच अधिकारियों को वृद्धों व विकलांगों के लिए फरियाद सुनाने के लिए व्हील चेयर व अलग से व्यवस्था की जानी चाहिए।

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