जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों की निष्क्रियता से मंडी में किसानों कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। गुना की कृषि उपज मंडी प्रदेश की टॉप मंडियों में है। लेकिन नानाखेड़ी स्थित इस मंडी को मुड़ते ही टूटी-फूटी सडक़ देखने को मिल जाएगी। जहां सडक़ कम गड्डे अधिक देखने को मिल सकते हैं। मंडी परिसर में प्रवेश करते ही कच्ची सडक़ देखने को मिलेगी। जहां की नालियों की स्थिति ये है कि कचरे से पूरी तरह पट चुकी हैं। वहां मौजूद कुछ लोगों ने पत्रिका को बताया कि गर्मी के मौसम में जरा सी हवा चलती है तो मंडी में केवल धूल ही धूल नजर आती है। जबकि हमसे फसल बेचने के समय मंडी में विकास के नाम पर अलग से पैसा भी लिया जाता है। किसानों के लिए यहां पेशाबघर बने हुए हैं, जिनकी सफाई महीनों से मंडी बोर्ड ने नहीं कराई।
प्रभावशालियों ने जल स्त्रोत के लिए यहां तीन कुंए बने थे, जिन पर कुछ समय पूर्व मंडी प्रशासन की सांठगांठ से उन कुंओं पर कब्जे कर पाटा और उन पर मकान और तक बन गईं। जिसकी कई बार शिकायत की,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जल स्त्रोत बंद होने से मंडी में पेयजल की किल्लत साल-दर साल गहराती जा रही है। मंडी परिसर में किसानों को पीने के पानी का समुचित इंतजाम कहीं नजर नहीं आया। जहां पानी रखा था, उसके आसपास गंदगी देखने को मिली। इसके साथ ही मंडी मे आने वाले किसानों के लिए पहले जगह-जगह मटके रखवाए जाते थे, वे भी कहीं दिखाई नहीं दिए।
हमने तो नहीं देखी मंडी में केंटीन
सूत्र बताते हैं कि गुना एवं उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले किसानों के लिए कुछ वर्ष पूर्व यहां पांच रुपए में भोजन खिलाने की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए कृषि उपज मंडी समिति गुना ने स्थान भी उपलब्ध कराया। वह लंबे समय से बंद पड़ी हुई है। यहां बैठे कुछ किसानों ने कहा कि पांच साल से केंटीन बन्द है। जबकि दूसरे लोगों ने कहा कि केंटीन कभी-कभी खुलती तो है लेकिन भोजन नहीं मिलता। सूत्र बताते हैं कि केंटीन के नाम पर मिलने वाला राशन कहां और किसकी जेब में जा रहा है, यह बताने को कोई तैयार नहीं हैं।