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पत्रिका फोकस : ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ा

locationगुनाPublished: May 05, 2021 12:49:46 am

Submitted by:

Narendra Kushwah

बॉर्डर पर चेक पोस्ट होने के बाद भी राजस्थान से गुना में बेरोकटोक बड़ी संख्या में लोग कर रहे प्रवेशनाके पर तैनात कर्मचारी नही कर रहे बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी अंकितकर्फ्यू के बावजूद खुल रही दुकानें, सामान लेने उमड़ रही भीड़गांव में बिना परमिशन हो रही शादियां, दूसरे जिलों से आ रहे मेहमाननहीं हो पा रहा कर्फ्यू और कोविड गाइड लाइन का पालन

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पत्रिका फोकस : ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ा,पत्रिका फोकस : ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक संक्रमण का खतरा बढ़ा

गुना. जनता हो या प्रशासन दोनों की ही लापरवाही ने ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ा दिया है। यदि इसी तरह की लापरवाही आगे भी जारी रही तो हालात विस्फोटक हो सकते हैं। जिसे संभालना पुलिस व प्रशासन के लिए बेहद मुश्किल होगा। इसके संकेत ग्रामीण क्षेत्र के मौजूदा हालात बयां कर रहे हैं। जहां शासन-प्रशासन की नजर में भले ही जनता कफ्र्यू लागू है, लेकिन इसका पालन बिल्कुल भी नहीं हो रहा है। अपवाद स्वरूप कुछ गांव ऐसे हैं जहां के ग्रामीण खुद जागरुक हैं इसलिए वहां कोविड गाइड लाइन का पालन हो पा रहा है। शेष गांव की जनता भगवान भरोसे है। क्योंकि जिस पुलिस प्रशासन पर ग्रामीण क्षेत्र में संक्रमण रोकने की जिम्मेदारी है, वह चैक पोस्ट बनाकर औपचारिकता निभा रहा है। यह जमीनी हकीकत पत्रिका पड़ताल में सामने आई है।
यहां बता दें गुना जिले के धरनावदा थाना क्षेत्र अंतर्गत राजस्थान की सीमा लगी है।जहां प्रशासन के निर्देश पर बाहरी लोगों की आवाजाही को रोकने व हर आने जाने वाले की जानकारी अंकित करने की जिम्मेदारी वहां तैनात कर्मचारियों की है। लेकिन यह अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से नहीं निभा पा रहे हैं। जिसके कारण राजस्थान से आने वाले लोग इस चैक पोस्ट के जरिए आसानी मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश कर रहे हैं। जो गुना जिले के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है। गौर करने वाली बात है कि चैक पोस्ट पर तैनात कर्मचारी न तो बाहर से आने वालों की जानकारी दर्ज कर रहे हैं और न ही जुर्माने की कार्रवाई। यही नहीं उनके पास तापमान मापने थर्मल स्केनर तक नहीं है। कुल मिलाकर वह अपने आपको ही असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

समय : 09.00 बजे
स्थान : धरनावदा थाना राजस्थान बॉर्डर
हालात : पत्रिका ने राजस्थान बॉर्डर से लगे इस चैक पोस्ट पर जाकर देखा तो वहां सिर्फ एक व्यक्ति सिविल ड्रेस में बैठा नजर आया। जो पेशे से शिक्षक था। उसकी आंखों के सामने से लोग निकल रहे थे लेकिन वह किसी को भी नहीं टोक रहा था। यहां तक कि आधा घंटे के दौरान उसने एक भी व्यक्ति से यह नहीं पूछा कि वह कहां से आ रहे हैं और किस काम से कहां जा रहे हैं। शिक्षक से पूछने पर पता चला कि उसके साथ एक सिपाही की भी यहां ड्यूटी है लेकिन वह इस समय नहीं है। कुल मिलाकर सिर्फ नाम का चैक पोस्ट बना रखा है जहां बाहरी से लोगों से आने का कारण पूछना तो बहुत दूर यह भी नहीं देखा जा रहा कि सामने वाला व्यक्ति मास्क लगाए है या नहीं।

समय : 09: 30 बजे
स्थान : बापचा थाना एमपी बॉर्डर
हालात : इस चैक पोस्ट का अलग ही नजारा देखने को मिला। ड्यूटी पर एक नहीं बल्कि दो पुलिसकर्मी वर्दी में तैनात थे। जबकि एक व्यक्ति सिविल ड्रेस में था, जो शिक्षक था। सड़क के दोनों ओर बेरीकेड लगाकर मार्ग को एकांकी बनाया गया था ताकि हर आने जाने वाले को आसानी से रोककर पूछताछ की जा सके। इस तरह का रवैया वहां देखने को भी मिला। एमपी से राजस्थान जाने वाले लोगों को वह आसानी से प्रवेश नहीं दे रहे थे। जबकि तक उन्हें आने का सही कारण नहीं लगा तब तक उन्होंने प्रवेश नहीं दिया। वहीं कुछ लोगों का उन्होंने चालान भी काटा। उनका साफ कहना था कि यदि आप बाहर जा रहे हैं तो फिर वहीं रहें। बार-बार इधर से उधर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

समय : 1. 37 बजे
स्थान : हवाई अड्डा गुना-आशोक नगर बॉर्डर
हालात : यहां एक नहीं बल्कि तीन पुलिसकर्मी मौजूद थे। जो हर आने जाने वाले को रोककर पूछ रहे थे। इस दौरान वे सिर्फ उन्हीं लोगों को शहरी सीमा में प्रवेश दे रहे थे जिन्हें या तो शादी में जाना हो या फिर इलाज कराने।

यह कैसा चैक पोस्ट, न छाया के लिए टैंट और न कुर्सी
बढ़ते कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने जहां सबसे ज्यादा निगरानी की जरूरत है, वहां औपचारिकता निभाई जा रही है। यह स्थान हैं दो जिलों की सीमा को जोडऩे वाले मार्ग, जहां प्रशासन ने चैकिंग प्वाइंट बनाकर कर्मचारियों की ड्यूटी तो लगा दी है। लेकिन यहां कर्मचारियों के लिए ड्यूटी करने पर्याप्त संसाधन व सुविधाएं उपलब्ध हैं कि नहीं, यह देखने वाला कोई नहीं है। धरनावदा थाना क्षेत्र अंतर्गत राजस्थान बॉर्डर पर बनाए गए चैकिंग प्वाइंट पर तैनात कर्मचारियों के लिए छाया की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां न तो टैंट लगाया गया है और न ही बैठने दो कुर्सियां हैं। यही वजह है कि जब पत्रिका टीम यहां पहुंची तो पेड़ की आधी अधूरी छाया में शिक्षक कुर्सी पर बैठा हुआ था। उसने बताया कि यहां पुलिसकर्मी की भी ड्यूटी है लेकिन वह इस समय नहीं हैं। उनकी कुर्सी भी चोरी हो चुकी है।

न आने जाने में रोक टोक, सामान लेने में भी आसानी
राजस्थान की ओर से धरनावदा में आने वाले लोगों की संख्या अधिक होने की वजह पत्रिका ने जब पता की तो सामने आया कि गांव में भले ही कफ्र्यू लागू है। लेकिन यहां पुुलिस प्रशासन की ओर से बिल्कुल भी सख्ती नहीं है। यही वजह है कि दुकानदार आसानी से दुकान खोलकर सामान बेच रहे हैं। राजस्थान सीमा में स्थित बापचा थाना क्षेत्र में सख्ती के चलते वहां की दुकानें नहीं खुल पा रही हैं।ऐसे में लोग जरूरी सामान लेने धरनावदा आ रहे हंंै। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शादी समारोह में शामिल होने के लिए गुना आने इसी बॉर्डर का उपयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर यह सभी स्थितियां ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक संक्रमण को बढ़ाने में सहायक बन सकती हैं।
प्रत्येक घर में एक सदस्य बीमार
राजस्थान बॉर्डर से लगे धरनावदा ग्राम पंचायत में कई लोगों से जानकारी लेने पर पता चला कि यहां शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां परिवार का एक सदस्य बीमार न हो। यहां के लोग झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे हैं। सरकारी अस्पताल में कोविड के संदिग्ध व संक्रमित मरीजों का इलाज होने की वजह से कोई भी ग्रामीण वहां नहीं जाना चाहता। ज्यादातर ग्रामीण झोलाछाप चिकित्सकों से दवा लेकर ही अपना इलाज करवा रहे हैं। ऐसे में कई ग्रामीणों की हालत बिगड़ भी रही है। फिर भी वह शहर जाकर इलाज नहीं कराना चाहते।

सामुदायिक संक्रमण के यह हैं संकेत
अप्रैल माह की शुरूआत से लेकर अब तक कोरोना के जितने भी केस सामने आए हैं उनमें ग्रामीण क्षेत्र के मरीज ज्यादा हैं। एक ही परिवार के 5 से 6 सदस्य भी शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भले ही कोरोना पॉजिटिव व्यक्तियों की जानकारी छुपाना शुरू कर दी है लेकिन ग्वालियर मेडिकल कॉलेज से जारी होने वाले हैल्थ बुलेटिन इसे उजागर कर दिया है। जिसमें हर दिन ग्रामीण क्षेत्र के केस बहुत अधिक संख्या में आ रहे हैें। यह स्थिति तो तब है जब यहां सैंपलिंग की रफ्तार न के बराबर है। अधिकांश लोग न तो जांच करा रहे हैं और न ही इलाज।
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