मरीजों की संख्या देख स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को सलाह दे रहे हैं कि बीमारी से बचने अपने घर के आसपास पानी को अधिक दिनों तक जमा न होने दें। क्योंकि रुके हुए पानी में ही लार्वा पैदा होता है।
700 घरों में मलेरिया का लार्वा मिला
जानकारी के मुताबिक मलेरिया विभाग की टीम ने 4 माह में जिले के 10 हजार लोगों के घरों पर जाकर लार्वा सर्वे किया। इस दौरान 700 घरों में मलेरिया का लार्वा मिला है। जिसे टीम ने दवा डालकर व अन्य तरीकों से नष्ट कर दिया है। लेकिन इसके बाद भी खतरा टला नहीं है क्योंकि इस बार अधिक बारिश होने के कारण जल भराव की स्थिति सबसे ज्यादा है। ऐसे में लंबे समय तक पानी रुका रहने के कारण फिर से लार्वा पनप सकता है।
मलेरिया को इन लक्षणों से पहचानें
सहायक मलेरिया अधिकारी विष्णु रघुवंशी के मुताबिक मलेरिया आजकल एक आम रोग बन गया है। यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है। साथ ही इसके होने के कुछ अन्य कारण भी हैं। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो शरीर में ठंड लगने के साथ आता है। कई बार मलेरिया में कंपकंपी की शिकायत भी हो सकती है।
मलेरिया में रोगी को रोजाना या एक दिन छोड़कर तेज बुखार आता है। तेज बुखार सहित फ्लू जैसे कई लक्षण सामने आते हैं। इनमें ठंड के साथ जोर की कंपकंपी, सिर में दर्द, मांशपेशियों में दर्द, थकावट आदि शामिल हैं। मितली, उल्टी, डायरिया जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। खून की कमी और आंखों के पीला होने जैसी स्थितियां भी आ सकती हैं।
सुबह या शाम को ही काटता है मच्छर
एनॉफिलीज मच्छर सामान्यत: शाम को अंधेरा होते वक्त या फिर सुबह के वक्त काटते हैं। इसलिए सोते समय मच्छरदानी लगाएं। पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें और मच्छर भगाने वाली वस्तुओं का इस्तेमाल करें।
मलेरिया से बचने यह उपाय जरूरी
व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण प्रकट होने पर उसे तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए। पीडि़त मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पीना जरूरी है। डेंगू, मलेरिया का मच्छर साफ ठहरे हुए पानी में अंडे देता है। जैसे घर की छत पर रखे पुराने मटके, टायर या गाय को पानी के लिए रखी टंकी में भी अंडे दे सकता है।
कूलर, फ्रीज के पीछे पानी की भरी ट्रे, गमले आदि किसी भी वस्तु में सात दिन से ज्यादा तक पानी न ठहरने दें। घर के आसपास के गड्ढे में मिट्टी का तेल, जला हुआ ऑयल डालें।
खास समय में न निकलें बाहर
विशेषज्ञ चिकित्सक के मुताबिक ऐसी जगह जहां पर कूड़ा या गंदगी पड़ी हो, वहां पर ना जाएं क्योंकि वह जगह मच्छरों के पनपने की अच्छी जगहें होती हैं। साथ ही शाम के समय भी पार्क आदि में न जाएं।
हल्के रंग के कपड़ों पर मच्छर कम पास आते हैं जबकि गहरे रंग के कपड़ों पर वे आकर्षित होते हैं। इसलिए हल्के रंगे के तथा फुल आस्तीन के कपड़े पहन कर मलेरिया से बचे रह सकते हैं। अपने दरवाजे और खिड़की पर पतली जालियां लगवाएं व घर में भी मच्छरदानी के अंदर ही सोएं। छोटे बच्चों के प्रति विशेष सावधानी रखें।
मच्छरों को न पनपने दें
मच्छरों की संख्या बढऩे के साथ ही मलेरिया का संक्रमण भी बढऩे लगता है। इसलिये मच्छरों की रोकथाम बेहद जरूरी है। मच्छरों के प्रजनन के लिये बारिश का मौसम सबसे अनुकूल होता है। पानी को खुले स्थानों पर इकट्ठा न होने दें, नालियों की साफ सफाई रखें और कूलर के पानी को हर हफ्ते बदलें। इससे मादा मच्छर अण्डे नहीं दे पाएंगी। घरेलू उपचार के तौर पर रोजाना तुलसी की पत्तियों को चबाकर खाने से भी मलेरिया से बचाव किया जा सकता है। मलेरिया में हल्का भोजन करना ही बेहतर रहता है।
यह बोले जिम्मेदार
बीते साल की अपेक्षा इस बार मलेरिया का प्रकोप कम है। क्योंकि इस बार बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। वहीं ज्यादा दिनों तक रुके हुए पानी में ही लार्वा पैदा होता है।
विष्णु प्रताप रघुवंशी, सहायक मलेरिया अधिकारी