अच्छी फसल के लिए गाय की 4-5 दिन पुरानी गोबर, 15 दिन पुराना गौ मूत्र, विभिन्न प्रकार के पौधों की पत्तियों से तैयार अर्क आदि का उपयोग किया जाता है। इससे उत्पादन लागत कम होती है। गौ मूत्र में कीटनाशक के गुण पाए जाते हैं। गाय के 1 ग्राम ताजा गोबर में करोड़ों जीवाणु पाए जाते हैं। नीम की पत्ती में एजाडीरेक्टिन कीटनाशक तत्व पाया जाता है। इसी प्रकार तंबाखू, धतुरा, बेशरम, सीताफल की पत्तियों में कीट नियंत्रण के लिए आवश्यक तत्व पाए जाते हैं। इनसे जैविक कीटनाशक तैयार किए जा सकते हैं। एक गाय से 30 एकड़ की प्राकृतिक खेती संभव है।
शून्य बजट प्राकृतिक खेती में जीवामृत जो कि मिट्टी में सूक्ष्म जीवों और केंचुओं की संख्या में वृद्धि करता है। बीजामृत फंगस और मिट्टी से होने वाली बीमारियों से नई जड़ों की रक्षा करता है। आच्छादन से खरपतवार की वृद्धि को रोकने और नमी बनाए रखने के लिए पौधों को ढंकना। वाफसा में सिंचाई की जरूरत कम होती है। इंटर क्रॉपिंग से एक फसल के साथ दूसरी फसल को उगाया जाता है। मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार, इनपुट लागत में कमी आती है।
एक दिवसीय प्रशिक्षण में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मंडी, आत्मा, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक एवं कृषकों को मास्टर ट्रेनर ने प्राकृतिक कृषि करने के लिए बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रहमास्त्र, अग्निअस्त्र आदि तैयार करने के लिए प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया। केंचुए से भूमि का सुधार होता है। केंचुआ जमीन के अंदर रहता है, उसको भोजन मिलेगा तो वह ऊपर आ जाएगा। जीवामृत, घन जीवामृत खेत में डालने के बाद 10 से 12 दिन बाद ऊपर आकर कार्य करने लगते है। केंचुए की विस्टा में 5 गुना नाइट्रोजन, 8 गुना फास्फोरस, 13 गुना पोटाश एवं कई प्रकार के वृद्धि हार्मोन पाए जाते हैं। भारतीय देशी नस्ल की गाय साहिवाल, गिर के गोबर में कई प्रकार के जीवाणु, पोषक तत्व पाए जाते हैं। इससे मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। एक ग्राम देशी गाय की गोबर में 300 करोड़ से ज्यादा जीवाणु पाए गए हैं। नीमास्त्र का उपयोग रस चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के किए किया जाता है। इसका उपयोग 6 माह तक कर सकते हैं। नीमास्त्र तैयार करने के लिए 5 किग्रा नीम के पत्ते, देशी गाय का 5 लीटर गौ मूत्र, देशी का गोबर 1 किग्रा पानी 100 लीटर जरूरी है।