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भारत के लिए घुसपैठिए बन गए थे समस्या

– समय रहते इलाज मोदी इलाज नहीं करते तो नासूर बन जाता: संत- धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता, शिक्षा में आमूल परिवर्तन की जरूरत

गुनाDec 21, 2019 / 10:55 am

दीपेश तिवारी

sant ramesh bhai

गुना@प्रवीण मिश्रा की रिपोर्ट…
हिन्दू-धर्म सर्व धर्म समभाव का प्रतीक है। इसमें सभी धर्म समहित है। सभी धर्मों को इस धर्म ने स्वीकार किया है। पूर्व में यहां जो लोग आए, उन्हें इस धर्म dharma ने स्वीकार किया, किन्तु बाद में वह बाप बन गए। चाहे वह मुगल हो या अंग्रेज। इसी तरह यह घुसपैठिए Intruder भी भारत india के लिए बड़ी समस्या बन गए थे। यह बात गुना प्रवास के समय कथा वाचक संत रमेश भाई ओझा ने नागरिकता संशोधन बिल Citizenship amendment bill पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी PM Modi का बगैर नाम लिए कहा कि उन्होंने समय रहते बीमारी का इलाज किया है, अन्यथा यह नासूर बन जाती। उन्होने कहा कि धर्म और राजनीति politics एक ही है। धर्म को राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता है। यह मूर्खता पूर्ण बात है। आज के समय में शिक्षा Education में आमूल परिवर्तन की जरूरत है।
देश हित सबसे ज्यादा जरुरी
संत रमेश भाई ओझा ने कहा कि सबसे ज्यादा जरुरी देश हित Country’s favour है। आज जो लोग राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे है, हिंसा फैला रहे हैं, वह देश का अहित कर रहे है। राजनीतिक politician लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए चिंगारी को आग बनाने की कोशिश की है। उन्होने कहा कि लोकतंत्र को अगर पसंद करते हो तो स्वयं को उसके अनुरुप चलने को तैयार करना होगा।
बिना व्यवस्था के न तो परिवार चलता है और न राष्ट्र।

परिवार मुखिया चलाता है, यहीं स्थिति राष्ट्र की है। वहां यह काम संसद parliament करती है। संत ने कहा जब अपर हाउस, लोक हाउस में चर्चा करने के बाद नागरिकता संशोधन बिल cab पारित किया गया है तो
उसको लेकर असंतोष हो सकता है, शंका हो सकती है। इन शंकाओं का समाधान भी शासन तंत्र Governance ने किया है। इसके बावजूद विरोध हो सकता है तो उसे लोकतांत्रिक तरीके से करना चाहिए। जैसा विरोध प्रदर्शन अभी देखने को मिल रहा है।
वह देश हित में नहीं है। उन्होने इस सवाल से भी असहमति व्यक्त नहीं की, कि यह हिंसा धारा 370, श्रीराम मंदिर निर्माण के फैसले से दबे आक्रोश का भी प्रगटीकरण हो सकती है।
शिक्षा पद्वति को बदलना जरुरी
संत ने कहा कि शिक्षा पद्वति को बदलने की सर्वाधिक आवश्यकता बताई। किसी व्यक्ति या देश को ताकत के बल पर कुछ समय तक गुलाम बनाकर रखा जा सकता है, किन्तु उसकी शिक्षा पद्वति के जरिए उसे लंबे समय तक गुलाम बनाया जा सकता है। अंग्रेजों ने यहीं किया।
इसलिए अंगे्रज चले गए, किन्तु अंग्रेजियत रह गई। रमेश भाई के मुताबिक निर्भया, हैदराबाद जैसी घटना इसी मैकाले शिक्षा पद्वति की देन है। हमने डॉक्टर बनाए, इंजीनियर बनाए, आईटी मैन बनाए, किन्तु इंसान नहीं बनाए। इंसान नैतिक शिक्षा, संस्कारित शिक्षा से बन सकते है। वरना निर्भया, हैदराबाद जैसी घटनाओं का कोई अंत नहीं है।
कथा के व्यवसायीकरण को उन्होने गलत बताया, किन्तु कथाकारों की बढ़ती सं या पर वह सहमत दिखे। उन्होंने कहा कि जितने विद्यार्थी होंगे, उतने शिक्षक होना जरुरी है। उन्होंने न सिर्फ गली-गली,बल्कि घर-घर में श्रीमद् भागवत एवं रामायण कथा की जरुरत बताई।

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