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कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब अपनाया जाएगा केरल मॉडल

locationगुनाPublished: Jun 04, 2020 01:49:07 pm

Submitted by:

Narendra Kushwah

प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे को करना होगा 13 बिन्दुओं पर कामटेस्ट, ट्रेस, आइसोलेट एंड सपोर्ट के आधार पर तैयार की जानी है रणनीति

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब अपनाया जाएगा केरल मॉडल

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अब अपनाया जाएगा केरल मॉडल

गुना. कोरोना वायरस कोविड-19 की रोकथाम के लिए अब जिला प्रशासन को केरल मॉडल अपनाकर अपने यहां व्यवस्थाएं जुटानी होंगी। इस संबंध में संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल ने सभी कलेक्टर, सीएमएचओ व सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक को लिखित पत्र जारी कर दिए हैं। जिसमें बताया गया है कि भारत मेें केरल राज्य के मॉडल को सबसे उपयुक्त माना गया है। जिनके द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रोटोकॉल टेस्ट, ट्रेस, आइसोलेट एंड सपोर्ट के आधार पर रणनीति तैयार कर लागू की गई थी। अब मप्र में भी इसी तर्ज पर आईआईटीटी (आइसोलेट, टेस्ट एंड ट्रीटमेंट) की रणनीति के तहत जिले द्वारा कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों प्रवासी श्रमिक जिले में वापसी कर चुके हैं। जिन पर नियमित पर्यवेक्षण रखा जाना आवश्यक है ताकि लक्षण उत्पन्न होने पर जल्द से जल्द टेस्टिंग , कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, होम आइसोलेशन व क्वॉरंटीन की कार्यवाही की जाकर संभावित चेन को तोड़ा जा सके।
प्रशासन को इन 13 बिन्दुओं पर करना है काम
मैदानी स्तर पर तैयारी : आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी वर्कर, गांव में आरएमपी तथा परंपरागत पद्धतियों से इलाज करने वाले व्यक्तियों को इस संबंध में अवगत कराया जाना है। क्योंकि अधिकांश लोग सबसे पहले इनके संपर्क में आते हैं। यह फस्र्ट प्वाइंट ऑफ कॉन्टेक्ट होने के कारण जल्द से जल्द सूचना दे सकते हैं ताकि समय रहते संभावित संक्रमित व्यक्ति की प्रोटोकॉल अनुसार आगामी कार्यवाही की जा सके।

फीवर क्लीनिक : जिला अस्पताल सहित अंचल के स्वास्थ्य केंद्रों पर फीवर क्लीनिक की स्थापना की जानी है। जहां कार्यरत चिकित्सक, लैब टेक्नीशियन तथा अन्य स्टाफ को स्वयं के बचाव संबंधी समस्त प्रोटोकॉल के लिए प्रशिक्षित किया जाए। सभी क्लीनिकों पर थर्मल गन, पल्स ऑक्सीमीटर, फेस मास्क, गलब्ज, हैंड सेनेटाइजर, टेबल साफ करने के लिए डिसइंफेक्टेड होना चाहिए। फीवर क्लीनिकों का पर्याप्त प्रचार-प्रसार किया जाना जरूरी है। होम आइसोलेशन व्यक्ति को आरोग्य सेतु एप्स को डाउनलोड करना आवश्यक है।

जिले के हीट मैप तैयार कर उसकी निगरानी रखना : जिले में विशेषकर नगरीय क्षेत्र तथा कस्बों में आबादी के घनत्व को देखते हुए हीट मैप तैयार किए जाएं। पूर्व में तैयार किए गए हीट मैप की समीक्षा कर इन पर विशेष निगरानी रखी जाए। आबादी के अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों में वायरस का फैलाव अधिक तेजी से होता है। इसे कंट्रोल मुश्किल होता है इसलिए ऐसे क्षेत्रों में एसएआरआई व आईएलआई के प्रकरणों पर विशेष ध्यान देना होगा।
आरआरटी, एसएआरआई, एमएमयू दल : इन दलों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में प्रकरण बढऩे की स्थिति मं कॉन्टेकट ट्रेसिंग, सैंपलिंग करनी होगी। जिसके लिए वर्तमान में गठित दल कम पड़ सकते हैं।

आरबीएसके दलों का उपयोग : जिले में आरबीएसके अंतर्गत मेडिकल ऑफीसरों के दल गठित हैं। जिनका कार्यक्षेत्र विकासखंड है। उक्त दलों का उपयोग स्वास्थ्य परीक्षण एवं सैंपलिंग कार्य के लिए किया जा सकता है। इसके लिए इन्हें प्रशिक्षित किया जाकर आवश्यकता पडऩे पर ग्रामीण क्षेत्र के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग दल : केरल राज्य में शिक्षक तथा स्थानीय स्तर के शासकीय सेवकों को कॉन्टेक्ट टे्रसिंग के लिए प्रशिक्षित कर उनका उपयोग किया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में भी विकासखंड वार वास्तविक आवश्यकता का आकलन कर दलों का गठन कर प्रर्शििक्षत किया जाए ताकि कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा सके। यह ट्रेसिंग संबंधित व्यक्ति में लक्षण आने के दो दिन पहले से की जानी है। बिना लक्षण के प्रकरणों में सैंपल लेने के दो दिन पहले से कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जाना है।

पॉजिटिव मरीजों का उपचार एवं चिकित्सकीय प्रबंधन : 80 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव मरीज या तो बिना किसी लक्षण के होते हैं या कम लक्षण वाले होते हैं। उन्हें आइसोलेशन के लिए सरकारी संस्थाओं एवं परिसरों में कोविड केयर सेंटर बनाए जाएं। यहां ध्यान रखना है कि कोविड संदिग्ध व पॉजिटिव मरीज को अलग-अलग आइसोलेट किया जाना है।

प्रचार प्रसार : कोरोना वायरस के संबंध में भ्रांतियों को दूर करने के लिए विस्तृत प्रचार प्रसार संबंधी निर्देश व पैम्पलेट जारी किए जाएं। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, होम क्वॉरंटीन, कंटेनमेंट एरिया के निवासियों के लिए विशिष्ट आईईसी मटेरियल तैयार किया जाकर इसे पर्याप्त संख्या में छपवाकर दलों को उनकी जानकारी के लिए दिया जाए।

हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का वितरण : प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल सुपरवीजन पर हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की गोलियां व आयुर्वेदिक विभाग द्वारा तैयार किए गए काढ़े का वितरण किया जाए।

वित्तीय प्रबंधन : कोविड-19 की रोकथाम के लिए एंबूलेंस किराए पर लिया जाना, मोबिलिटी सपोर्ट, सैंपल एकत्रीकरण एवं जांच, उपचार एवं सामग्री, कोविड केयर सेंटर का प्रबंधन, क्वॉरंटीन सेंटर का प्रबंधन, कोविड-19 के लिए अतिरिक्त मानव संसाधन, प्रशिक्षण एवं मरीजों के लिए भोजन व्यवस्था के लिए बजट जारी किया जा चुका है। इनके अनुरूप वित्तीय प्रबंधन सुनिश्चित करें।

निजी क्षेत्र में एसएआरआई/आईएलआई प्रकरणों की रिपोर्टिंग व्यवस्था : सभी शासकीय तथा निजी अस्पतालों में एसएआरआई/आईएलआई के प्रकरणों की जानकारी सीएमएचओ कार्यालय को देना है। एमपी ऑनलाइन के माध्यम से विशेष एप्लीकेशन तैयार किया गया है, जो मोबाइल फ्रेंडली भी है। सभी चिकित्सक व दवा दुकान विक्रेता एसएआरआई/आईएलआई के मरीजों ऐसे व्यक्ति जिन्होंने इससे संबंधी दवा खरीदी है की जानकारी देंगे।

संदिग्ध मृत्यु प्रकरण : सभी ऐसे प्रकरण जहां संदिग्ध मृत्यु हुई है। उनके परिवारजनों की टेस्टिंग कराई जाए। संदिग्ध मृत्यु का क्रियाकर्म निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करते हुए करने की जानकारी ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र के श्मशान घाट, कब्रिस्तान के कर्मचारी तथा धार्मिक गुरू जो अंतिम संस्कार करते हैं, को दिशा निर्देशों से अवगत कराया जाए।

संक्रमित व्यक्ति का मृत्यु प्रकरण : प्रमाणित संक्रमित व्यक्ति तथा संभावित संक्रमित व्यक्तियों जिनकी रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है, उनका क्रियाकर्म सावधानी बरतते हुए होना चाहिए। क्योंकि इससे पहले ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं कि संक्रमित व्यक्तियों का क्रियाकर्म बिना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किए जाने से अन्य लोगों में भी संक्रमण फैला है।
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