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जज्चा और बच्चा दोनों को कोरोना संक्रमण से बचाना है तो वैक्सीनेशन जरूरी

locationगुनाPublished: Jul 24, 2021 12:40:00 am

Submitted by:

Narendra Kushwah

6 माह बाद शुरू हो सका गर्भवती महिलाओं का कोविड वैक्सीनेशनएएनसी क्लीनिक में आई महिलाओं को बताए टीका लगवाने के फायदे

जज्चा और बच्चा दोनों को कोरोना संक्रमण से बचाना है तो वैक्सीनेशन जरूरी

जज्चा और बच्चा दोनों को कोरोना संक्रमण से बचाना है तो वैक्सीनेशन जरूरी

गुना। शुक्रवार से पहली बार गर्भवती महिलाओं का कोविड वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया है। पहले दिन जिला मुख्यालय पर सिर्फ एक ही सेंटर पर टीकाकरण किया गया। वहीं अंचल में सिर्फ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया गया। जिला मुख्यालय पर जिला अस्पताल परिसर स्थित डीईआईसी भवन में एएनसी क्लीनिक पर ही कोविड वैक्सीनेशन किया गया। जहां सबसे पहला टीका पुरानी छावनी निवासी सोनम कुशवाह को ठीक 11.07 पर लगाया गया। इससे पहले उन्हें वैक्सीनेशन से जुड़ी सभी तरह की जानकारी दी गई। साथ ही उनकी सहमति लेेने के बाद ही वैक्सीनेशन किया गया।
जानकारी के मुताबिक पूरे देश भर में कोविड वैक्सीनेशन 16 जनवरी से शुरू हुआ था। जिले में इसकी शुरूआत जिला मुख्यालय से ही हुई थी। जब कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आया तो तहसील और ग्रामीण अंचल मेें भी वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया। वैक्सीनेशन के लिए सबसे पहले हैल्थ केयर वर्कर को चुना गया था। इसके बाद फ्रंट लाइन वर्कर, फिर 60+ तथा 45 से 60 साल के लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। इसके बाद 18+का वैक्सीनेशन कराया गया। इन सभी वर्गों का वैक्सीनेशन कराने के करीब 6 माह बाद गर्भवती महिलाओं का वैक्सीनेशन 23 जुलाई से शुरू हुआ है।
खास बात यह है महिलाओं को वैक्सीनेशन के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी न आए तथा साइड इफेक्ट होने पर उसे तुरंत कंट्रोल किया जा सका। इस बात को ध्यान में रखते हुए पहले दिन जिला अस्पताल के अलावा सिर्फ सामुदायिक स्वास्थ्य केद्रों पर ही वैक्सीनशन किया गया।

यहां बता दें कि जिला अस्पताल के डीईआईसी भवन में संचालित एएनसी क्लीनिक को वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया था। क्योंकि यहां हर मंगलवार और शुक्रवार को गर्भवती महिलाएं प्रसव पूर्व जांच कराने आती हैं। टीकाकरण निर्धारित समय सुबह 11 बजे से शुरू नहीं हो सका। इसकी वजह कलेक्टर का समय पर न पहुंचना रहा। अधिकारियों ने बताया कि कलेक्टर साहब ही टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। लेकिन जब उन्हें आने में देरी हुई तो वरिष्ठ अधिकारियों से फोन पर मार्गदर्शन लेने के बाद टीकाकरण शुरू करवा दिया।
यहां बता दें कि वैक्सीनेशन सेंटर पर मेडिकल स्टाफ समय से पहले ही पहुंच चुका था। 9 बजे से टीकाकरण शुरू होना था लेकिन गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने से पहले कई तरह के प्रोटोकॉल का पालन करना आवश्यक था। जैसे कि पहले महिलाओं को टीकाकरण से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी दी जाए। उन्हें टीका के फायदे व साइड इफेक्ट से भी अवगत कराया जाए। उनकी जरूरी जांचें करने के बाद उनकी सहमति उपरांत ही टीकाकरण किया जाना था। इसी प्रोसेस की वजह से पहले दिन टीकाकरण सामान्य दिनों की तरह रफ्तार से नहीं हुआ। हालांकि 12 बजे के बाद गति बढ़ती चली गई। दोपहर 1 बजे 49 जबकि 2 बजे 66 महिलाओं ने वैक्सीन लगवाई।

टीका लगाने से पहले से इन स्टेप को किया फॉलो
गर्भवती महिलाओं का वजन मापा गया। बीपी चेक किया गया। मेडिकल स्टाफ ने उनके गर्भ के समय, डिलीवरी की जानकारी ली। हीमोग्लोबिन की जांच रिपोर्ट के बाद ही टीका लगवाने की अनुमति दी गयी।

कई महिलाएं जांचों के चक्कर में बिना टीका लगवाए वापस लौटी
गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के मामले में मेडिकल स्टाफ ने कोई कोताही नहीं बरती। जिन महिलाओं के पास जरूरी जांच रिपोर्ट नहीं थी, उन्हें जांच कराने के लिए कहा गया। इन जांचों के चक्कर में कई महिलाएं बिना टीका लगवाए ही वापस चली गईं। यहां बता दें कि सामान्य व्यक्तियों की तुलना गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के लिए अलग प्रोटोकॉल है। जिसे तहत वैक्सीनेशन के लिए केवल आधार कार्ड से काम नहीं चलेगा। महिलाओं को एंटीनेटल क्लिनिक में कराई गई जांच रिपोर्ट दिखानी होंगी। इसके बाद उन्हें टीका लगवाने की अनुमति दी जाएगी।

ऑन स्पॉट पंजीयन में मोबाइल न होने से आई दिक्कत
एएनसी क्लीनिक पर वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जाने का फैसला प्रशासन का सही रहा। लेकिन यहां आने वाली महिलाओं को यह जानकारी नहीं थी कि शुक्रवार से यहां कोविड वैक्सीनेशन किया जाएगाा। जिसके लिए मोबाइल होना जरूरी है। क्योंकि ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन करते समय मोबाइल पर ओटीपी आता है। जिसके जरिए ही पंजीयन पूर्ण होता है। ऐसे में पंजीयन करने वाले स्टाफ को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। जिन महिलाओं के पास मोबाइल नहीं थे उनसे उनके परिजनों का नंबर पूछा गया, इस दौरान कई महिलाओं को नंबर याद भी नहीं था। जिन्होंने नंबर बता दिया उन्हें खुद के मोबाइल से फोन लगाकर ओटीपी नंबर पूछना पड़ा। इसी प्रोसेस की वजह से वैक्सीनेशन में काफी देरी भी हुई। वहीं कुछ महिलाएं चाहकर भी टीका नहीं लगवा सकीं।

इसलिए गर्भवती महिलाओं का वैक्सीनेशन शुरू हुआ
सरकार ने तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए इससे पहले ही गर्भवती महिलाओं को वैक्सीनेट करने का प्लान तैयार किया है। अधिकारियों का कहना है कि अभी तक गर्भवती महिलाओं को इसलिए वैक्सीन के लिए नहीं चुना गया था क्योंकि वैक्सीन के प्रभाव और दुष्प्रभाव को लेकर कोई डेटा उपलब्ध नहीं था। जैसे ही यह डेटा उपलब्ध हो गया तो वैक्सीनेशन शुरू कर दिया गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भवती महिलाओं के लिए कोवैक्सीन और कोवीशील्ड दोनों ही वैक्सीन सुरक्षित हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए दो वजहों से कोवैक्सीन को ही चुना गया है। पहला कारण कोवैक्सिन की दूसरी डोज 28 दिन के अंतराल पर लगती है, जबकि कोवीशील्ड के लिए 84 दिन का अंतर चाहिए। जानकारों ने तीसरी लहर आने के लिए समय सीमा सितंबर बताई है। इसे देखते हुए कोवैक्सीन लगाने का निर्णय लिया गया है।

काउंसलिंग में महिलाओं को यह दी गई जानकारी
गर्भवती महिलाओं को दूसरे लोगों की तुलना में संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है। इसलिए जज्चा-बच्चा दोनों के लिए टीकाकरण एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। वैक्सीन गर्भावस्था के किसी भी महीने लगवाई जा सकती है। यदि पहला डोज प्रसव के पहले लग रहा है तो दूसरा डिलीवरी के बाद भी लग सकता है। गर्भवती महिलाओं को वैक्सीनेशन के लिए विशेष व्यवस्था के तहत ऑन द स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा रखी गई है। यही नहीं उन्हें बताया गया कि गर्भवती महिलाओं को अन्य किसी सेंटर पर जाने की जरूरत नहीं है उन्हें उसी स्थान पर टीका लगाया जाएगा जहां वे अमूमन अपनी जांच कराने
के लिए जाती हैं। जैसे जिला अस्पताल, सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। गर्भवती महिलाओं को टीका लगवाने से पहले पूरी तरह से आश्वस्त किया गया कि वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। गर्भ में पल रहे शिशु पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा।
यह लक्षण दिखें तो घबराने की जरूरत नहीं
स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक वैक्सीन लगवाने के बाद यदि हल्का बुखार, सुई लगने वाली जगह पर दर्द, सिर दर्द हो तो घबराने की कोई जरूरत नहीं हैं। क्योंकि यह सामान्य लक्षण हैं। वैसे तो वैक्सीनेशन सेंटर पर टीका लगने के बाद 30 मिनट ऑबजर्वेशन में रखा जाता है। जहां मेडिकल स्टाफ के अलाव डॉक्टर्स मौजूद रहते हैं। यदि फिर भी घर पहुंचने के बाद यदि किसी को गंभीर परेशानी महसूस हो तो वह हेल्पलाइन नंबर 1075 या 104 कॉल कर सकता है।

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