किस कार्यालय की क्या है स्थिति
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रिकार्ड शाखा : बेहद महत्वपूर्ण यह शाखा वर्तमान में पुरानी कलेक्ट्रेट के भवन में है। जिसकी हालत बेहद जर्जर है। स्थिति यह है कि भवन की दीवारों से सीमेंट का मलबा हर दिन टपक रहा है। छत पुराने जमाने की लकड़ी से निर्मित है। जरा सी बारिश होने पर रिकार्ड रूम में पानी आने लगता है। यह देखते हुए स्टाफ ने रिकार्ड को बचाने बरसाती चढ़ा रखी है। लेकिन यदि तेज और लगातार बारिश हो गई तो यह इंतजाम रिकार्ड को सुरक्षित रखने में नाकाम साबित होंगे। वहींं यहां कार्यरत स्टाफ को टॉयलेट व शौचालय की व्यवस्था इस भवन में नहीं है। पुरानी कलेक्टे्रट के भवन के एक हिस्से में मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई गुना-2 के महाप्रबंधक का कार्यालय भी है। जिसकी छत से भी कुछ जगह पानी टपकता है। पत्रिका टीम जब यहां पहुंची तो कुछ कर्मचारियों ने छत से पानी आने की बात तो कही लेकिन बाद में वह डर गए। उन्हें आशंका थी कि समस्या सामने आने के बाद संबंधित विभाग के मुखिया कहीं उनसे ही पूछताछ न करने लगें।
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तहसील कार्यालय गुना ग्रामीण
स्थिति : यह कार्यालय एबी रोड पर उद्योग विभाग के ठीक सामने स्थित है। वर्षों पुराने भवन में यह कार्यालय संचालित है। छत पर टीनशेड चढ़ा है। तेज बारिश होने पर कुछ जगहों से पानी रिसकर आता है। तहसील प्रांगण में छाया और बारिश से बचने कोई इंतजाम नहीं है। स्टाफ से लेकर ग्रामीणों को धूप और बारिश से बचने अपने स्तर पर ही व्यवस्था देखनी पड़ती है। वाहनों को रखने के लिए भी कोई व्यवस्थित इंतजाम नहीं किए गए हंै।
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नई कलेक्ट्रेट भवन : इसके निर्माण पर करीब 22 करोड रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद यह भवन बारिश से सुरक्षित नही है। यहां बना डॉम काफी समय पहले तेज आंधी और बारिश से फट चुका है। जिसे अभी तक सुधारा भी नहीं जा सका। जिसके कारण इस समय बारिश होने पर प्रथम तल पर पानी जमा हो रहा है। बिल्डिंग निर्माण में सबसे बड़ी खामी जल निकासी की है। इस वजह से बारिश के पानी को बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं।
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रिकार्ड शाखा : बेहद महत्वपूर्ण यह शाखा वर्तमान में पुरानी कलेक्ट्रेट के भवन में है। जिसकी हालत बेहद जर्जर है। स्थिति यह है कि भवन की दीवारों से सीमेंट का मलबा हर दिन टपक रहा है। छत पुराने जमाने की लकड़ी से निर्मित है। जरा सी बारिश होने पर रिकार्ड रूम में पानी आने लगता है। यह देखते हुए स्टाफ ने रिकार्ड को बचाने बरसाती चढ़ा रखी है। लेकिन यदि तेज और लगातार बारिश हो गई तो यह इंतजाम रिकार्ड को सुरक्षित रखने में नाकाम साबित होंगे। वहींं यहां कार्यरत स्टाफ को टॉयलेट व शौचालय की व्यवस्था इस भवन में नहीं है। पुरानी कलेक्टे्रट के भवन के एक हिस्से में मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई गुना-2 के महाप्रबंधक का कार्यालय भी है। जिसकी छत से भी कुछ जगह पानी टपकता है। पत्रिका टीम जब यहां पहुंची तो कुछ कर्मचारियों ने छत से पानी आने की बात तो कही लेकिन बाद में वह डर गए। उन्हें आशंका थी कि समस्या सामने आने के बाद संबंधित विभाग के मुखिया कहीं उनसे ही पूछताछ न करने लगें।
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तहसील कार्यालय गुना ग्रामीण
स्थिति : यह कार्यालय एबी रोड पर उद्योग विभाग के ठीक सामने स्थित है। वर्षों पुराने भवन में यह कार्यालय संचालित है। छत पर टीनशेड चढ़ा है। तेज बारिश होने पर कुछ जगहों से पानी रिसकर आता है। तहसील प्रांगण में छाया और बारिश से बचने कोई इंतजाम नहीं है। स्टाफ से लेकर ग्रामीणों को धूप और बारिश से बचने अपने स्तर पर ही व्यवस्था देखनी पड़ती है। वाहनों को रखने के लिए भी कोई व्यवस्थित इंतजाम नहीं किए गए हंै।
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नई कलेक्ट्रेट भवन : इसके निर्माण पर करीब 22 करोड रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद यह भवन बारिश से सुरक्षित नही है। यहां बना डॉम काफी समय पहले तेज आंधी और बारिश से फट चुका है। जिसे अभी तक सुधारा भी नहीं जा सका। जिसके कारण इस समय बारिश होने पर प्रथम तल पर पानी जमा हो रहा है। बिल्डिंग निर्माण में सबसे बड़ी खामी जल निकासी की है। इस वजह से बारिश के पानी को बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं।
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फायर स्टेशन : पुलिस कंट्रोल रूम के पास गोपालपुरा मैदान है। इसके एक छोर पर फायर स्टेशन कार्यालय का निर्माण नगर पालिका ने लाखों रुपए खर्च कर कराया है। इसे बने हुए एक साल होने को है लेकिन इसका उपयोग आज तक नहीं हो सका है। इसकी सबसे बड़ी वजह गलत स्थान चयन है। इसके ठीक पास में नपा का ट्रेंचिंग ग्राउंड है। जहां शहर के एक बड़े हिस्से का कचरा कलेक्शन करने के बाद डंप किया जाता है। इस वजह से पूरे इलाके में बदबू आती रहती है। वहीं फायर स्टेशन के चारों ओर न तो बाउंड्रीवॉल बनाई गई है और न ही फायर बिग्रेड रखने टीनशेड लगाया गया है। सबसे गंभीर बात तो यह है कि फायर स्टेशन तक जाने के लिए पहुंच मार्ग तक नहीं है। मैदान की जो हालत है उसमें फायर बिग्रेड बीच रास्ते में ही फंस जाएगी। इस तरह उपयोगविहीन फायर स्टेशन कार्यालय धीरे-धीरे खंडहर होता जा रहा है। वर्तमान में यहां बने टॉयलेट व शौचालय के गेट टूट चुके हैं। सामान एक-एककर चोरी होने लगा है। वहीं दूसरी ओर करोड़ों रुपए के फायर बिग्रेड वाहन खुले में रखने से धूप और बारिश का सामना कर खराब हो रहे हैं। इस समय फायर स्टेशन कार्यालय बेहद जर्जर भवन से संचालित हो रहा है। जहां कार्यरत स्टाफ को हर समय खतरा बना हुआ है। भवन की दीवारों में काफी चौड़ी दरारें आ चुकी हैं। फर्श जमीन में धंसता जा रहा है। इस भवन की यह हालत बीते तीन सालों से है। जिसकी जानकारी नपा के जिम्मेदार अधिकारियों को है, फिर भी वह सब कुछ जानकर अनजान बने हुए हैं। वर्तमान में फायर स्टेशन कार्यालय जिला यातायात कार्यालय परिसर में बने भवन में संचालित है।
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अति आवश्यक वाहनों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी
गुना नगर पालिका परिषद के पास तीन फायर बिग्रेड हैं। जिनकी कीमत लाखों रुपए है लेकिन इनकी सुरक्षा का कतई ख्याल नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को नही है। यही कारण है कि इतने सालों से फायर बिग्रेड वाहनों को गर्मी के मौसम में धूप तथा बारिश के दिनों में पानी से बचाने के लिए टीनशेड तक नहीं लगवाया गया। जिसके कारण वाहनों में अंदरुनी खराबी के साथ-साथ बाहर की बॉडी भी प्रभावित हो रही है। तकनीकी जानकारी बताते हैं कि इतने कीमती और महंगे वाहनों को लगातार धूप और बारिश से बचाए जाना जरूरी है। इसका फर्क इनकी सर्विस पर भी पड़ता है। वहीं इनका मेंटनेंस बहुत महंगा रहता है। एक बार वाहन में खराबी आई तो उसे ठीक कराने में बहुत परेशानी आती है।
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अति आवश्यक वाहनों की सुरक्षा भी बेहद जरूरी
गुना नगर पालिका परिषद के पास तीन फायर बिग्रेड हैं। जिनकी कीमत लाखों रुपए है लेकिन इनकी सुरक्षा का कतई ख्याल नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को नही है। यही कारण है कि इतने सालों से फायर बिग्रेड वाहनों को गर्मी के मौसम में धूप तथा बारिश के दिनों में पानी से बचाने के लिए टीनशेड तक नहीं लगवाया गया। जिसके कारण वाहनों में अंदरुनी खराबी के साथ-साथ बाहर की बॉडी भी प्रभावित हो रही है। तकनीकी जानकारी बताते हैं कि इतने कीमती और महंगे वाहनों को लगातार धूप और बारिश से बचाए जाना जरूरी है। इसका फर्क इनकी सर्विस पर भी पड़ता है। वहीं इनका मेंटनेंस बहुत महंगा रहता है। एक बार वाहन में खराबी आई तो उसे ठीक कराने में बहुत परेशानी आती है।





