अस्पताल में मां बनने वाली महिलाओं की जांच नहीं होने से उनको बाजार में ७०० रुपए में जांच करानी पड़ रही है। उधर, हद की बात तो यह है कि अस्पताल में सोनोग्राफी की एक ओर महीन प्रसूति वार्ड हैं। एक मशीन खराब होने के बाद भी दूसरे मशीन को उपयोग में नहीं ले रहे हैं। ऐसे स्थिति में लोगों को काफी परेशानी से जूझना पड़ रहा है। इससे लोगों में प्रबंधन के प्रति नाराजगी व्याप्त है। 3 दिन से अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
इसी तरह अस्पताल में डिजीटल एक्स-रे मशीन भी चालू नहीं हो पाई है। यह मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है। इस वजह से घायलों के एक्स-रे नही ंहो पा रहे हैं। जबकि डिजीटल एक्स-रे मशीन की जांच के परिणाम काफी बेहतर बताए जाते हैं, लेकिन सरकारी अस्पताल की मशीन बंद होने से जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। लोगों ने बताया, जांच के लिए काफी परेशानी होती है।
जिला अस्पताल में ये जांच प्रभावित
सोनोग्राफी मशीन: यह मशीन तीन दिन से बंद है।
प्रभाव: हर दिन ३० मरीज प्रभावित हैं। बाजार में ७०० रुपए देकर जांच करानी पड़ती है।
डिजीटल एक्स-रे: वर्षों से यह मशीन बंद पड़ी है।
प्रभाव: मशीन जब से आई है, तब से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। कुछ मशीन चली और फिर खराब हो गई। कलेक्टर के प्रयासों के बाद भी मशीन सुधर नहीं पाई। बाजार में काफी महंगे एक्स-रे होते हैं।
प्रसूति वार्ड की सोनोग्राफी: प्रसूति वार्ड में अलग से सोनोग्राफी मशीन रखी है। यह मां बनने वाली महिलाओं की आपात स्थिति में जांच करने रखी थी।
प्रभाव: मशीन आने के बाद महिला डाक्टरों को ट्रेंड किया, लेकिन यह मशीन भी बंद पड़ी है। इस वजह से इमरजेंसी वाले केसों में डिलेवरी भगवान भरोसे ही की जा रही हैं, इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।