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विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जिले के कई स्कूल, स्कूल खुले दो माह गुजरा लेकिन आज तक नहीं हो पाई शिक्षकों की व्यवस्था

locationगुनाPublished: Sep 23, 2021 11:23:58 am

Submitted by:

Narendra Kushwah

– बच्चे बोले, बिना पढ़े कैसे देंगे पेपर
शिक्षक और बच्चों की कमी से टूट रहा सोशल डिस्टेंस

विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जिले के कई स्कूल,  स्कूल खुले दो माह गुजरा लेकिन आज तक नहीं हो पाई शिक्षकों की व्यवस्था

विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी से जूझ रहे जिले के कई स्कूल, स्कूल खुले दो माह गुजरा लेकिन आज तक नहीं हो पाई शिक्षकों की व्यवस्था

गुना. जिले में स्कूल खुले दो माह का समय पूरा हो चुका है। वर्तमान में कक्षा 1 से 12 वीं तक की कक्षाएं लग रही हैं। इनमें कुछ क्लासेस के टेस्ट तो कुछ के पेपर चल रहे हैं। वहीं आगामी समय में भी परीक्षाएं होने वाली हैं। इस दौरान बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी कुछ विषयों को लेकर आ रही है। क्योंकि उन विषयों केे शिक्षक ही स्कूल में मौजूद नहीं हैं। स्थिति यह है कि विद्यालय प्रबंधन के पास भी ऐसा कोई विकल्प मौजूद नहीं है जिससे इसे कमी को दूर किया जा सके। यही कारण है कि स्कूल खुलने की दिनांक से लेकर अब तक कई विषयों के पीरियड तक नहीं लगे हैं। ऐसे में बच्चों को इस बात की चिंता सता रही है कि उन्होंने जैसे-तैसे टेस्ट तो दे दिए लेकिन आगामी समय में परीक्षाएं कैसे देंगे। वहीं स्कूल प्रबंधन ने शिक्षा विभाग को उक्त समस्या से लिखित रूप में अवगत कराकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। लेकिन विषय विशेषज्ञ शिक्षक की कमी का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
जानकारी के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग की गलत नीतियों व जिले के शिक्षा विभाग के स्वार्थपूर्ण रवैए के कारण जिला मुख्यालय से लेकर ्रग्रामीण अंचल के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। वहीं कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं जहां बच्चों की संख्या के हिसाब से ज्यादा शिक्षक भी मौजूद हैं। इसी तरह की अव्यवस्था के कारण कई स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी बनी हुई है। जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
नियमित रूप से स्कूल जाने वाले बच्चों को पढ़ाई में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह जानने के लिए पत्रिका टीम ने अलग-अलग स्कूलों के बच्चों से चर्चा की। इस दौरान विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी का मामला सामने आया है। जिला मुख्यालय स्थित कैंट के गल्र्स हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्राओं ने बताया कि उन्हें एक दिन छोड़कर स्कूल बुलाया जाता है। सुबह 11 से शाम साढ़े 4 बजे तक क्लास में रहना होता है। लंच भी क्लास में करते हैं। लेकिन जो हमारे पूरे विषय है उन सभी के पीरियड नहीं लग रहे हैं। टीचर का कहना है कि स्कूल में संस्कृत पढ़ाने वाली जो मेडम हैं उनका दूसरी जगह स्थानांतरण हो गया है इसलिए प्रिंसीपल मेम अन्य स्कूल से उक्त टीचर की व्यवस्था कर रही हैं। वहीं अंग्रेजी विषय का पीरियड तो स्कूल खुलने के बाद से अब तक एक भी बार नहीं लगा है। जबकि कक्षा 9 के 24 सितंबर से पेपर शुरू हो रहे हैं। पहला पेपर भी अंग्रेजी का ही है। जब से परीक्षा होने की जानकारी मिली है तब से ही पूरे समय एक ही चिंता रहती है कि जिस विषय की अब तक पढ़ाई ही नहीं हुई है उसका पेपर कैसे देंगे।

शिक्षक और बच्चों की कमी से टूट रहा सोशल डिस्टेंस
स्कूल खुले भले ही 60 दिन हो चुके हैं। लेकिन अभी तक शिक्षण व्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर नहीं आ सकी है। स्कूल शिक्षा विभाग ने कोविड गाइड लाइन का पालन करने के लिए कक्षा 1 से 12 वीं तक की कक्षाओं में कुल विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से 50 प्रतिशत बच्चों को बिठाने की अनुमति दी है। ऐसे में एक -एक दिन छोड़कर बच्चों को बुलेाया जा रहा है। अभी तक की स्थिति में क्लासेस में बच्चों की उपस्थिति 50 प्रतिशत तक नहीं पहुंच सकी है। बच्चों की कम संख्या को देखते हुए सभी बच्चों को एक ही कक्ष में बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। इसी तरह जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है वहां भी अलग-अलग क्लास के बच्चों को एक साथ बिठाकर शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इस तरह के हालात की वजह से सोशल डिस्टेंस का पालन क्लास में नहीं हो रहा है। जिसकी हकीकत जिला शिक्षा अधिकारी के औचक निरीक्षण में सामने आ चुकी है।
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