तभी कॉलेज पहुंचे एमडी अमित राठौर व संचालक राधेश्याम राठौर को उन्होंने घेर लिया। उन्हें समस्याओं का समाधान करने के लिए कहा। काफी देर तक विद्यार्थियों व कॉलेज प्रबंधन के बीच बहस होती रही। सूचना पर प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रबंधन व विद्यार्थियों के बीच बात करवाई। इस दौरान छात्राओं ने एमडी पर उनके साथ धक्का-मुक्की करने और गालीगलौंच करने का भी आरोप लगाया।
इस मामले में जब एमडी अमित राठौर से बात करने के लिए फोन लगाया गया तो उन्होंने कुछ देर बाद बात करने का कहकर फोन रख दिया।
जिला प्रशासन ने भी एक नहीं सुनी
कॉलेज प्रबंधन से शिकायत करने के अलावा विद्यार्थी जिला प्रशासन के सामने भी अपनी समस्याओं को रख चुके हैं। लेकिन यहां से भी उनके हाथ अब तक निराशा ही लगी है। शिकायत पर जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
नहीं हो रही सुनवाई
कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थियों का आरोप है कि उनसे सालाना ५ लाख फीस ली जा रही है, इसके अलावा हॉस्टल फीस अलग है। लेकिन कॉलेज में न तो पढ़ाने के लिए फेकल्टी है और न ही उपचार करने के लिए मरीज आ रहे हैं। लेब सहित अन्य व्यवस्थाएं भी नहीं है। लेकिन इस मामले में लगातार शिकायतों के बावजूद प्रबंधन उनकी बात नहीं सुन रहा है।
योमे आशुरा के साथ संपन्न हुआ अशरा कार्यक्रम
गुना. दाऊदी बोहरा समाज का दस दिवसीय अशरा कार्यक्रम का गुरूवार को योमे आशुरा के साथ समापन किया । इस दौरान आमिल मुल्ला कुतुब खान बंगलौर वालों ने धार्मिक प्रवचन भी दिए।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर में उन चार महीनों में से एक है जिन्हें हुर्मत वाला कहा जाता है और जिसमें जंग की इजाजत नहीं है। लेकिन कर्बला के दिलसोज हादसे ने मुहर्रम के मायने ही बदल डाले।
आज जब भी मुहर्रम का नाम आता है तसव्वुर में कर्बला की तस्वीर उभर आती है। कर्बला के हादसे ने इंसानियत के दिल पर गहरे निशान छोड़े हैं। एक तरफ जुल्म की हद थी और एक तरफ सब्र की इंतिहा। ज़ुल्म की मिसाल तो आज भी मिल जाती है, मगर सब्र की मिसाल कोई न ला सका। हजरत इमाम हुसैन का जिक्र सुन कर किसी साहिबे ईमान की आंख नम हो जाना एक फितरी अमल है।
उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने अपनी जान की कुर्बानी दे कर ये पैगाम दिया है कि इस्लाम कीमती है, हुसैन की जान नहीं। हथियार बंद दुश्मनों की फौज के बीच तीरों की बरसात में नमाज अदा कर के ये पैगाम दिया है कि आज के बाद नमाज छोडऩे की बड़ी से बड़ी वजह भी इस से बहुत छोटी होगी।