राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय युवा संकल्प शिविर के अंतर्गत लगाई जा रही प्रदर्शनी स्वदेशानुराग का शुभारंभ गुरुवार दोपहर एक बजे वीर सावरकर नगर में होगा। प्रदर्शनी में भारत के राष्ट्र गौरव को दर्शाते हुए 8 विषयों पर आधारित 250 से अधिक पेंटिंग प्रदर्शित की जाएंगी। इनमें भारतीय समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह की वीरता एवं जीवन को पेंटिंग्स के माध्यम से दर्शाया है।
उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं
गौरतलब है कि उन्होंने मुगलों या उनके सहयोगियों जैसे शिवालिक पहाडिय़ों के राजा के साथ 15 युद्ध लड़े। धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान उन्होंने किया। इसके लिए उन्हें सर्ववंशदानी भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं।
बचाने की दिशा में काम कर रहा
इस प्रदर्शनी में भी गुरु गोविंद सिंह के जीवन एवं वीरता पर आधारित 30 पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया जाएगा। प्रदर्शनियों में जल एवं जीवन पर आधारित पेंटिंग्स के साथ-साथ समरसता पर आधारित 28 पेंटिंग्स भी प्रदर्शित की जाएंगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार सामाजिक समरसता एवं पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम कर रहा है।
कार्टून भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए जाएंगे
इस प्रदर्शनी में भी संघ के उद्देश्यों को दर्शाया जाएगा। देश के पराक्रम एवं संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के जीवन तथा जनजातीय महापुरुषों के जीवन पर आधारित पेंटिंग्स भी प्रदर्शित की जाएंगी। देश में चल रहे विभिन्न विषयों पर बनाए गए कार्टून भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए जाएंगे।
गुना में पहली शाखा प्रभाकर खैर ने लगाई थी
संघ के इतिहास से गुना का गहरा नाता भी रहा है। यहां सबसे पहली शाखा प्रभाकर खैर ने 1935 में सेठ मुंगालाल के बगीचे में लगाई थी। बाद में ग्वालियर के प्रचारक नारायण राव तर्टे का नियमित प्रवास यहां होने लगा।
नारायणराव तर्टे ने शुरू कराई थी
सर्वप्रथम डॉ प्रभाकर गोविंद घुड़े को जिला प्रचारक के रूप में काम देखने के लिए गुना भेजा गया था। वे मूल रूप से नागपुर के स्वयं सेवक थे। वह चिकित्सा विज्ञान में स् नातक व स्वर्ण पदक विजेता थे। उन्होंने अपनी वसीयत में इस बात का उल्लेख किया था कि उनकी संपत्ति से 250 रुपए प्रतिवर्ष गुरु दक्षिणा के रूप में संघ को दिए जाए। राघौगढ़ की शाखा नारायणराव तर्टे ने शुरू कराई थी। मधुसूदनगढ़ में 1946 से ही संघ का काम चल रहा था।
अधिकारी के रूप में काम करने वाले कार्यकर्ता
जिले में अधिकारी के रूप मेें कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं में जिला संघ चालक प्रीतम सिंह तोमर, देवेंद्र सिंह रघुवंशी, कृष्ण सोमानी, जिला कार्यवाह गजानन श्रीवास्तव, मोती लाल पटौदी, रामजीदास गोयल, जिला प्रचारक प्रभाकर घुड़े, नेमीचंद कक्कड़ और दत्ताजी उननगांवकर का नाम शामिल है।
जब पूरे देश में संघ पर लग गया था प्रतिबंध
1948 मेें गांधीजी की हत्या के बाद पूरे देश में संघ पर प्रतिबंध लगाया गया। इस समय गुना से 25 स्वयं सेवकों ने सत्याग्रह में भाग लिया। जोगलेकर नाम के एक बाल स्वयं सेवक ने भी सत्याग्रह कर गिरफ्तारी देनी चाहिए थी पर पुलिस उसे पकड़ नहीं रही थी, वह आग्रह कर जेल गया था। वर्ष 1947 में गुना शाखा का वार्षिकोत्सव जीनघर मैदान पर मनाया गया था। वर्ष 2004 में मोहन भागवत का गुना आए थे।