बार-बार बनी है विवाद की स्थिति
ऑटो में स्कूली बच्चों को क्षमता से अधिक बिठाने के मामले पर पुलिस-अभिभावक और ऑटो चालकों में कई बार मतभेद व विवाद की स्थिति बनी है। यातायात पुलिस यदा-कदा लापरवाही करने वाले ऑटो चालकों पर कार्रवाई करती है तो यूनियनों के माध्यम से यह प्रदर्शन करने और हंगामा करने उतर आते हैं। यातायात पुलिस के तत्कालीन प्रभारी सुनील शर्मा के कार्यकाल में ऑटो चालकों की हड़ताल से काफी दिनों तक बच्चे और अभिभावक परेशान हुए थे। इसके बाद सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में भी यह मुद्दा बार-बार उठाया जाता है। लेकिन कोई सकारात्मक पहल या नतीजा अभी तक नहीं निकला है। ऑटो चालक और अभिभावकों में किराए में बढ़ोत्तरी के मामले में एकराय न होना पाना इस विवाद की सबसे बड़ी वजह है। ऑटो चालक खर्चे के मुताबिक प्रति बच्चे का किराया बढ़ाने की मांग करते हैं। लेकिन पालक किराए में बढ़ोत्तरी पर सहमत नहीं होते हैं और पूरा मामला फिर विवाद की भेंट चढ़ जाता है। जिसमें सामंजरू के लिए हस्तक्षेप जरूरी है।
ऐसे हैं हालात
बच्चों की सुरक्षा और सुविधा से आटोचालकों को कोई सरोकार नहीं है। स्कूली बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरा जा रहा है, जिसमें चालक सीट के दोनों ओर बच्चों को बैठाया जा रहा है। आटो की पिछली सीट के आगे लकड़ी का पटिया लगाकर सवारियों को बैठाकर सफर को खतरनाक बनाया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश आटो में चार बच्चे बैठाने का है, लेकिन नियम-आदेशों को धता बताकर बेखौफ आटो सड़कों पर दौड़ते हैं। स्कूली बच्चों के यह हालात हैं, तो सवारियां ढोते समय क्या हालात होंगे! रास्ते में आटो रोकना और ओवरलोड सवारियां भरने का क्रम लगातार जारी है।