scriptगांव हो या शहर, घर-घर दस्तक देने पहुंच रहे हैं नेताजी | Netaji is reaching home to knock the village or the city | Patrika News

गांव हो या शहर, घर-घर दस्तक देने पहुंच रहे हैं नेताजी

locationगुनाPublished: Jan 23, 2021 09:36:49 pm

Submitted by:

praveen mishra

-वोटरों से बढ़ा रहे नजदीकियां, समस्या सुनकर लगा रहे हैं अफसरों को फोन, दावेदारों की बढ़ती जा रही है संख्या

गांव हो या शहर, घर-घर दस्तक देने पहुंच रहे हैं नेताजी

गांव हो या शहर, घर-घर दस्तक देने पहुंच रहे हैं नेताजी

गुना। सुबह हो या शाम। गांव हो या शहर। किसी न किसी बहाने मिलने पहुंच रहे हैं नेताजी। दादा, चाची, चाचा, भैय्या,भाभी कहकर नमस्कार करने के साथ चरण वंदना कर रहे हैं, उनकी एक ही गुहार रहती है कि बस आपका आशीर्वाद इस चुनाव में मिल जाए, पूरे पांच साल आपके क्षेत्र की करुंगा सेवा। जैसे ही कोई वोटर उनको समस्या बताता है तो पार्षद या सरपंच या पंच पद के दावेदार देरी न करके संबंधित अफसर को फोन लगाकर उस समस्या का तत्काल निराकरण करने के आग्रह के साथ-साथ संबंधित वोटर को प्रभावित करन में भी पीछे नहीं हैं। ऐसा नजारा छबड़ा कॉलोनी या राधा कॉलोनी में नहीं गुना शहर के अधिकतर कॉलोनियों व मोहल्लों में ही नहीं छोटे-छोटे गांवों में देखा जा सकता है। नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के चुनाव में अपना भाग्य आजमाने वाले पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। भले ही अभी नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई हो। गुना शहर में देखा जाए तो अध्यक्ष पद के दावेदारों के अलावा एक-एक वार्ड में पार्षद पद के लिए आठ से दस दावेदार दिखाई दे रहे हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में सरपंच और पंच पद के लिए तीन से चार दावेदार पूरी सक्रियता के साथ संबंधित ग्राम पंचायत में घूमते हुए देखे जा सकते हैं।
इस बार हर वार्ड में पार्षद पद के लिए आठ से दस दावेदार बताए जा रहे हैं। नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपने-अपने गुट का पार्षद, सरपंच और पंच बनाने की कवायद तेज हो गई है।
एक साल पहले कार्यकाल हो गया था खत्म
गुना नगर पालिका का कार्यकाल जनवरी २०२० में पूरा हो गया था। उसके बाद शासन ने नगर पालिका में प्रशासक के पद पर सबसे पहली नियुक्ति तत्कालीन कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार की हुई थी, उसके बाद प्रशासक के रूप में तत्कालीन कलेक्टर एस. विश्वनाथन बने, तीसरे प्रशासक के रूप में वर्तमान कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम नियुक्त हैं। कुमार पुरुषोत्तम ने नगर पालिका की जहां एक ओर आर्थिक स्थिति सुधारने का प्रयास कराया वहीं दूसरी ओर शहर को सुन्दर व सुव्यवस्थित बनाने के लिए कई निर्णय लिए। गुना नगर पालिका के अलावा कुंभराज, चांचौड़ा, बीनागंज, आरोन की नगर परिषद के चुनाव होना है।
दावेदारों की संख्या कहीं कम नहीं
गुना नगर पालिका परिषद में अध्यक्ष पद के दावेदारों की संख्या भाजपा में सिंधिया समर्थकों के आ जाने से यह संख्या ३८ से अधिक हो गई है। जबकि कांग्रेस में अध्यक्ष पद के दावेदारों की संख्या आधा दर्जन भी नहीं पहुंच पाई है। अध्यक्ष पद के लिए सबसे अधिक मारामारी तो सिंधिया समर्थकों में आपस में ही हो रही है। ऐसे ही पार्षद पद के दावेदारों के मामले में देखा जाए तो भाजपा की ओर से हर वार्ड में आठ से दस दावेदारों के नाम और चेहरे सामने आने लगे हैं। जबकि कुछ वार्ड तो ऐसे हैं जहां कांग्रेस को ढूंढ़े हुए पार्षद पद के दो दावेदार भी नहीं मिल रहे हैं।

ऐसी समस्याएं बता रहे हैं लोग
– नालियां नहीं होने से क्षेत्र में भरा रहता है पानी
-सीमेन्ट कांक्रीट नहीं हैं।
-पानी नियमित नहीं आता है।
-बीपीएल कार्ड बनवाए जाएं।
-कुटीर दिलवाई जाए।
-पक्का नाला बनवाया जाए।
-संपत्ति कर बढ़ाया जाए
गुना शहर में अधर में लटके हैं ये प्रोजेक्ट
– हनुमान चौराहे पर अंडर ब्रिज बनने का काम
-रिंग रोड बनने का काम।
-बड़े पुल पर अंडर ब्रिज का निर्माण ।
-सातों दिन चौबीस घंटे पानी देने की योजना।
जनता के लिए कुछ न कर पाने का गम
गुना नगर पालिका में पार्षद रहे कुछ लोगों से जब पत्रिका ने पूछा तो उनका कहना था कि हमने जो चुनाव के समय जनता से वादे किए थे, वह पूरे नहीं कर पाए। एक पार्षद ने तो कहा कि मैं अपना वार्ड आदर्श वार्ड बनाना चाहता था, लेकिन आपसी विवाद में आदर्श वार्ड तो दूर विकास भी नहीं करा पाए। अधिकतर पार्षदों ने अपने वार्ड में विकास न कराने के लिए विवाद को कारण बताया। पुन: चुनाव मैदान में उतरने की बात भी कही।
मार्च-अप्रैल में हो सकते हैं नगरीय निकाय के चुनाव
नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जनवरी २०२१ में नगरीय निकाय के चुनाव कराने की पूरी तैयारी थी। लेकिन ऐन वक्त पर यह चुनाव टाल दिए गए। नगरीय निकाय के चुनाव अब मार्च-अप्रैल में हो सकते हैं। गुना नगर पालिका परिषद के चुनाव के लिए ३७ सीटों में ५४ प्रतिशत सवर्ण, २७ प्रतिशत ओबीसी एवं १८ प्रतिशत एससी और एसटी उम्मीदवार तय किए जाना है। इसमें ५० प्रतिशत सीटों पर महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी। इसके बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तिथि घोषित हो सकती है।
ऐसे तय होती है प्रत्याशियों की संख्या
-नगर पालिका में ३७ वार्ड हैं, जहां पार्षद लड़ेंगे।
-सवर्णों का ५४ प्रतिशत में वार्ड २१आते हैं जिन पर चुन
ाव लड़ा जाएगा।
-ओबीसी के २७ प्रतिशत आरक्षण में वार्ड ९ आते हैं।
-एससीएसटी के १८ प्रतिशत आरक्षण में वार्ड ७ आते हैं।
-कुल ३७ सीटों में से ५० प्रतिशत पर महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी।
चौपालों पर तेज हुई चर्चाएं
सूत्रों ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की भी तिथि अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन यहां के चुनाव के लिए राजनीतिक माहौल काफी तेजी से गरमाने लगा है। कई गांवों में चौपालों पर सरपंच, पंच, जनपद सदस्य आदि को लेकर अलग-अलग चर्चाएं चल निकली हैं। जानकार बताते हैं कि कई गांव ऐसे हैं जहां सरपंच पद के लिए आरक्षण अनुसार एक या दो ही व्यक्ति उस गांव में निवास कर रहे हैं, उनको ही मनाने और चुनाव में उतारने के लिए गांव के अलग-अलग गुट प्रयासों में जुट गए हैं। इसके साथ ही चुनाव नजदीक आते ही दूसरे गुटों के लोगों को फंसाने का खेल भी गांव-गांव में शुरू हो गया है। सरपंच या पंच पद के दावेदारों के गलत कृत्यों की शिकायत कलेक्टर और एसपी तक पहुंचाने का काम भी तेज हो गया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो