ऐसी समस्याएं बता रहे हैं लोग
– नालियां नहीं होने से क्षेत्र में भरा रहता है पानी
-सीमेन्ट कांक्रीट नहीं हैं।
-पानी नियमित नहीं आता है।
-बीपीएल कार्ड बनवाए जाएं।
-कुटीर दिलवाई जाए।
-पक्का नाला बनवाया जाए।
-संपत्ति कर बढ़ाया जाए
गुना शहर में अधर में लटके हैं ये प्रोजेक्ट
– हनुमान चौराहे पर अंडर ब्रिज बनने का काम
-रिंग रोड बनने का काम।
-बड़े पुल पर अंडर ब्रिज का निर्माण ।
-सातों दिन चौबीस घंटे पानी देने की योजना।
जनता के लिए कुछ न कर पाने का गम
गुना नगर पालिका में पार्षद रहे कुछ लोगों से जब पत्रिका ने पूछा तो उनका कहना था कि हमने जो चुनाव के समय जनता से वादे किए थे, वह पूरे नहीं कर पाए। एक पार्षद ने तो कहा कि मैं अपना वार्ड आदर्श वार्ड बनाना चाहता था, लेकिन आपसी विवाद में आदर्श वार्ड तो दूर विकास भी नहीं करा पाए। अधिकतर पार्षदों ने अपने वार्ड में विकास न कराने के लिए विवाद को कारण बताया। पुन: चुनाव मैदान में उतरने की बात भी कही।
मार्च-अप्रैल में हो सकते हैं नगरीय निकाय के चुनाव
नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जनवरी २०२१ में नगरीय निकाय के चुनाव कराने की पूरी तैयारी थी। लेकिन ऐन वक्त पर यह चुनाव टाल दिए गए। नगरीय निकाय के चुनाव अब मार्च-अप्रैल में हो सकते हैं। गुना नगर पालिका परिषद के चुनाव के लिए ३७ सीटों में ५४ प्रतिशत सवर्ण, २७ प्रतिशत ओबीसी एवं १८ प्रतिशत एससी और एसटी उम्मीदवार तय किए जाना है। इसमें ५० प्रतिशत सीटों पर महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी। इसके बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तिथि घोषित हो सकती है।
ऐसे तय होती है प्रत्याशियों की संख्या
-नगर पालिका में ३७ वार्ड हैं, जहां पार्षद लड़ेंगे।
-सवर्णों का ५४ प्रतिशत में वार्ड २१आते हैं जिन पर चुन
ाव लड़ा जाएगा।
-ओबीसी के २७ प्रतिशत आरक्षण में वार्ड ९ आते हैं।
-एससीएसटी के १८ प्रतिशत आरक्षण में वार्ड ७ आते हैं।
-कुल ३७ सीटों में से ५० प्रतिशत पर महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी।
चौपालों पर तेज हुई चर्चाएं
सूत्रों ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की भी तिथि अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन यहां के चुनाव के लिए राजनीतिक माहौल काफी तेजी से गरमाने लगा है। कई गांवों में चौपालों पर सरपंच, पंच, जनपद सदस्य आदि को लेकर अलग-अलग चर्चाएं चल निकली हैं। जानकार बताते हैं कि कई गांव ऐसे हैं जहां सरपंच पद के लिए आरक्षण अनुसार एक या दो ही व्यक्ति उस गांव में निवास कर रहे हैं, उनको ही मनाने और चुनाव में उतारने के लिए गांव के अलग-अलग गुट प्रयासों में जुट गए हैं। इसके साथ ही चुनाव नजदीक आते ही दूसरे गुटों के लोगों को फंसाने का खेल भी गांव-गांव में शुरू हो गया है। सरपंच या पंच पद के दावेदारों के गलत कृत्यों की शिकायत कलेक्टर और एसपी तक पहुंचाने का काम भी तेज हो गया है।