ठगी का ऐसा मामला पहले कभी नहीं सुना होगा
गुनाPublished: Sep 18, 2022 12:33:07 am
आरोपी ने दोस्त की गाड़ी को अपनी बताकर रख दी गिरवीक्रेता को ठगी का एहसास तब हुआ जब भोपाल पुलिस कार जप्त कर ले गई
ठगी का ऐसा मामला पहले कभी नहीं सुना होगा
गुना. ठगी का एक अनोखा मामला सामने आया है। जिसमें आरोपी ने दोस्त की ही गाड़ी को अपनी बताकर गिरवी रख दी। जिसे बाद में भोपाल पुलिस जप्त कर ले गई। इस मामले में शिकायत के बाद बजरंगगढ़ थाने में तीन आरोपियों पर मामला दर्ज कर लिया गया है।
हुआ यूं कि गुना के एक युवक को कार लेनी थी। उसका भोपाल के एक व्यक्ति से संपर्क हुआ। उसने कार बेचने की जगह गिरवी रख 3 लाख में एग्रीमेंट कर लिया। युवक को ठगी का पता तब चला जब भोपाल पुलिस कार को लेने के लिए आ गयी। कार को बजरंगगढ़ थाने में जप्त कर लिया गया। इसके बाद ही पीड़ित को पूरी कहानी समझ में आईं कि कार उस व्यक्ति की थी ही नहीं। असल में वह अपने दोस्त की कार लेकर आया और उसे गिरवी रख दी। अब युवक अपने पैसे वापस पाने के लिए भटक रहा है। उसने बजरंगगढ़ थाने में मामला दर्ज करा दिया है।
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इस तरह हुआ ठगी का शिकार
बजरंगगढ़ के ग्राम खूजा निवासी राहुल तिवारी (32) ने पुलिस को दिए शिकायती आवेदन में बताया है कि मुझे व मेरे भाई सतीश तिवारी को चार पहिया वाहन की आवश्यकता थी। हमारे पास नया वाहन खरीदने का बजट नहीं था इसलिये पुरानी गाडी तलाश कर रहे थे। एक दिन मेरा भाई सतीश अपनी ससुराल सिरोंज गया था। वहां उनके परिचित गोपाल प्रजापति से भैया ने पुरानी गाड़ी खरीदने के विषय में चर्चा की। उसने कहा कि आप 9229224040 नंबर पर अनूप श्रीवास्तव से बात कर लेना। यह आपको कोई अच्छी सी गाडी दिलवा देंगे। सतीश ने मुझे नंबर दिया और मैंने 4 अप्रेल को अनूप श्रीवास्तव से सेकेंड हेंड गाडी के बारे में बात की। उसने मेरे व्हाट्सएप पर स्विफ्ट गाडी के फोटो भेज दिए। मैंने गाडी देख कर पसंद कर ली। इसके बाद मैंने अनूप श्रीवास्तव से फोन पर बात की तो उसने कहा कि यह मेरे दोस्त की गाडी है। गाडी की कीमत 3.68 लाख है। मैंने कहा मेरे पास सिर्फ 3 लाख रुपए हैं।
अनूप बोला कि मेरे दोस्त को पैसे की जरूरत है। वह गाड़ी नहीं बेचना चाहता, लेकिन अभी आप तीन लाख रुपए देकर तीन महीने के एग्रीमेंट पर गिरवी रख लो। अगर तीन महीने में उसने आपके पैसे वापस लौटा दिए, तो आप गाडी वापस कर देना और वह अगर पैसे नहीं लौटाता है तो आप 68 हजार रुपए और देकर गाडी को अपने नाम पर करा लेना। मैंने हां भर दी और अनूप श्रीवास्तव को गुना आने की कह दी।
21 मई को अनूप श्रीवास्तव का फोन आया, वह बोला मैं गाडी लेकर आ गया हूँ। मैंने कहा कि आप बजरंगगढ आ जाओ, अपन यहीं बात कर लेंगे। मेरे व्हाट्सएप नंबर पर डाले गए फोटो वाली स्विफ्ट गाडी से तीन व्यक्ति मुझे बजरंगगढ बायपास पर मिले। उनमे से एक ने अपना नाम अनूप श्रीवास्तव व दूसरे ने अपना नाम श्रवण कुमार मगरदे बताया। तीसरे से मेरी बातचीत नहीं हुई। फिर मैं अपनी मोटर सायकल से मेरे बहनोई अवधेश भार्गव के साथ रजिस्ट्रार ऑफिस गुना पहुंचा, जहां तीनों व्यक्ति भी पहुंच गए।
मैंने एग्रीमेंट करने से पूर्व अनूप श्रीवास्तव को तीन लाख रुपए दे दिए और उसके बाद व्यक्ति श्रवण कुमार मगरदे के साथ मैंने स्टांप शुल्क भर कर नोटरी कर अनुबंध पत्र तैयार करवाया था। उस पर मेरे व श्रवण कुमार मगरदे एवं साक्षी अवधेश भार्गव व अनूप श्रीवास्तव के हस्ताक्षर हुए थे। इस एग्रीमेंट को करते समय गाडी का रजिस्ट्रेशन व श्रवण कुमार मगरदे के मूल आधार कार्ड एवं इंश्योरेंस की कॉपी मुझे दी थी। सेल लेटर फर्म नंबर 29 व 30 पर श्रवण कुमार मगरदे ने हस्ताक्षर किए। फिर गाडी को लेकर हम अपने घर आ गए और उसका उपयोग करने लगे।
इसी दौरान कुछ लोग अनूप श्रीवास्तव के साथ मेरे गांव आए। जिसमें से एक ने अपना नाम मोनार्क पुत्र श्रवण कुमार मगरदे बताया। अन्य दो व्यक्तियों से मेरी चर्चा नहीं हुई थी। मुझसे कहने लगे कि यह गाडी मेरे पापा की है। जिस आदमी ने एग्रीमेंट कराया है वह आदमी फ्रॉड है। मैंने सोचा कि यह लोग झूठ बोल रहे हों इसलिए मैं थाने पर नहीं आया। 9 सितंबर को मुझे बजरंगगढ़ थाने पर गाड़ी सहित बुलाया। गाडी भोपाल पुलिस के अपराध में जप्त करवाई गयी तब मझे पता चल कि मेरे साथ अनुबंध करने वाला व्यक्ति फ्रॉड था। जिसने अपना नाम श्रवण कुमार मगरदे बताया था। अनूप श्रीवास्तव व उसके साथ एग्रीमेंट के समय आए एक अन्य व्यक्ति ने झूठे कागजात पेश कर झूठे नाम से मुझे किसी अन्य व्यक्ति की गाडी का एग्रीमेंट करा लिया। इस तरह मुझसे तीन लाख रुपए की ठगी अंजाम दी गई।