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छात्रावासों में न सीसीटीवी कैमरा और ना ही गार्ड, कैसे हो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा

locationगुनाPublished: Jan 20, 2020 10:01:05 am

Submitted by:

Bhanu Pratap Thakur

पत्रिका पड़ताल: हास्टलों में नहीं रुकते रात में अधीक्षकपत्रिका ने की पड़ताल तो उजागर हुई सुरक्षा संबंधी खामियां

छात्रावासों में न सीसीटीवी कैमरा और ना ही गार्ड, कैसे हो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा

छात्रावासों में न सीसीटीवी कैमरा और ना ही गार्ड, कैसे हो छात्र-छात्राओं की सुरक्षा

गुना. मध्य प्रदेश को भोपाल के हॉस्टल में सात वर्षीय बच्चे की मौत ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। छात्रावासों में न तो बच्चों की सुरक्षा है और ना ही उनके लिए सुविधाएं।
पत्रिका ने शनिवार को शहर में संचालित आदिम जाति कल्याण और शिक्षा विभाग के छात्रावाओं की पड़ताल की तो सुरक्षा का अभाव दिखा। न तो हास्टलों में सीसीटीवी कैमरा लग पाए और ना ही सुरक्षा गार्ड तैनात हैं।
इतना ही नहीं बच्चों के लिए सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। जबकि उनके नाम पर लाखों रुपए का बजट हर महीने ठिकाने लगाया जाता है। हद तो ये है कि रात के समय अधीक्षक छात्रावासों से नदारद रहते हैं।
जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग और पिछड़ा वर्ग अल्प संख्यक विभाग के 72 और शिक्षा विभाग के 10 से अधिक छात्रावास संचालित हैं। जहां हजारों बच्चे रहते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर अफसर चिंतित नहीं हैं।
बिल्डिंग जर्जर, नहीं लगे सीसीटीवी कैमरा
संभागीय संस्था एकलव्य आवासीय स्कूल में 250 बच्चे रहते हैं। इनमें 90 छात्राएं हैं। हाइवे और शहर से दूर संचालित इस स्कूल में अब तक सीसीटीवी कैमरा नहीं लगवाए हैं। सुरक्षा के नाम पर यहां पर 4 चौकीदार हैं।
बच्चों के लिए सुविधाओं का भी अभाव हैं। यहां 50 पलंग और गद्दे कम हैं। ग्वालियर संभाग में एक संस्था होने के बाद भी यहां सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दो साल पहले बनाकर सौंपा हॉस्टल और स्कूल का भवन जर्जर हो गया है।
प्राचार्य डीडी मिश्रा ने बताया, हमने 50 पलंग और सीसीटीवी कैमरे का आर्डर दिया है। स्कूल में गार्ड नहीं हैं। चौकीदार ही सुरक्षा में रहते हैं। स्टॉप के आवास स्कूल परिसर में ही हैं।
छोटे बच्चों की सुरक्षा चौकीदार के भरोसे
आदिम जाति कल्याण विभाग का एबी रोड बाइपास स्थित आदिवासी अंग्रेजी माध्यम आश्रम है। यहां भी सुरक्षा के नाम पर चौकीदार है। 50 सीटर इस हॉस्टल में कक्षा एक से ५वीं तक के बच्चे रहते हैं और इसी स्थान पर स्कूल लगता है।
अधीक्षक प्रभाकर मांडरे ने बताया, वे यहां रुकते हैं और पूरे समय आते-जाते बने रहते हैं। सीसीटीवी कैमरे का प्रावधान नहीं है। रात के समय पूरे समय चौकीदार रहता है। यहां चालू थे कैमरे: मॉडल स्कूल के सामने कस्तूरबा गांधी हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरा चालू मिले।
लेकिन यहां पर भी बच्चियों की सुरक्षा महिला चौकीदारों के भरोसे हैं। रात में अधीक्षिका भी नहीं रुकती हैं। इन छात्रावासों की सुरक्षा को लेकर आदिम जाति विभाग के संयोजक राजेंद्र कुमार से बात करनी चाही, लेकिन उन्होंने फोन रिसीब नहीं किया।
न सामान मिला ना ही सुरक्षा के इंतजाम
आदिम जाति विभाग ने एक्सीलेंस हॉस्टल बनाया है। यहां बच्चों को प्रवेश के लिए परीक्षा देना होती है। लेकिन यहां भी सुविधाओं का टोटा है। महीनें से गंदे चादर नहीं धुलावाए गए। यहां न तो वार्डन रुकते हैं और ना ही बच्चों को सुविधाएं।
यहां एक बच्चा बीमार मिला, उसे देखने वाला कोई नहीं था। 50 सीटर इस हॉस्टल में कक्षा ९ से १२वीं तक के बच्चे रहते हैं। यहां बच्चों को भोजन में दाल और रोटी दी गईं। बच्चों ने बताया, आधी जली और कच्ची रोटी दे दी जाती हैं।
इस तरह की स्थिति जगजीवन राम हास्टल की है। जहां बच्चों की सुरक्षा में कोई अधीक्षक नहीं रुकता है। रात के समय उनको सबसे ज्यादा दिक्कत होती है।

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