इतना ही नहीं बहुमंजिला इमारतें, शैक्षणिक संस्थानों में भी खुद के सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। फायर ब्रिगेड का आलम ये है कि उनके पास न तो पर्याप्त दमकल है और ना ही प्रशिक्षित स्टॉफ है। कुल मिलाकर ये है कि यदि आग लग जाए तो जान बचाना मुश्किल हो जाएगा। दिल्ली में रविवार को हुए अग्नि हादसे में भी घटनास्थल पर फायर ब्रिगेड का वाहन नहीं पहुंच सका था।
आग की घटनाओं पर काबू पाने गुना नगर पालिका की दमकलों का उपयोग किया जाता है। हकीकत यह है कि ये दमकल जरा सी आग पर भी काबू पाने में फेल हो जाती हैं। ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके न तो नपा ने अपने साधनों को अपडेट किया और ना ही गुना के बाजार समेत शिक्षण संस्थाओं और बहुमंजिला इमारतों में फायर फाइटिंग के इंतजाम कराए।
शहर की गलियों में लोगों ने अतिक्रमण कर लिए, जहां से दमकल ले जाना भी मुश्किल है।दरअसल, हर वर्ष गर्मियों में रोजाना दो से तीन जगहों पर आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं। उसे बुझाने जब नपा की दमकल पहुंचती है तो उसका दम निकल जाता है। कभी उसका पानी खत्म हो जाता है तो कभी मशीनरी काम नहीं करती है, जिससे पानी का प्रेशर कम हो जाता है। इससे आग पर काबू नहीं कर पाते है। दिल्ली में लगी आग से हुई जनहानि के बाद पत्रिका टीम ने अलग-अलग बाजार और क्षेत्रों में जाकर आग से होने वाले हादसे के समय फायर सेफ्टी सिस्टम या फायर ब्रिगेड की तैयारियों को बारीकी से देखा तो कई बाजारों में अग्नि हादसे के समय फायर ब्रिगेड तक पहुंचने का सुगम रास्ता ही नजर आया। वहीं बहुमंजिला इमारतें में फायर सेफ्टी सिस्टम ही नजर नहीं आए।
तंग गलियों में दमकल नहीं पहुंच सकती: नपा के पास तीन दमकल वाहन हैं। यह क्रमश: साढ़े ३ हजार, साढ़े ५ हजार और साढ़े 6 हजार लीटर क्षमता के हैं। छोटे बाजार, अनुराधा गली, सत्य नारायण मंदिर गली, बताशा गली, हनुमान गली और सौकत गली,जैन मंदिर वाली गली, सराफा बाजार, छोटी मस्जिद गली, मुरली धोकल गली, उदासी आश्रम गली, बतासा गली में दमकल पहुंचना मुश्किल होता है। कुछ दिन पहले जीनघर की दुकान में लग गई थी। दमकल को रोड पर ही रखना पड़ा था।
तंग गलियों में दमकल नहीं पहुंच सकती: नपा के पास तीन दमकल वाहन हैं। यह क्रमश: साढ़े ३ हजार, साढ़े ५ हजार और साढ़े 6 हजार लीटर क्षमता के हैं। छोटे बाजार, अनुराधा गली, सत्य नारायण मंदिर गली, बताशा गली, हनुमान गली और सौकत गली,जैन मंदिर वाली गली, सराफा बाजार, छोटी मस्जिद गली, मुरली धोकल गली, उदासी आश्रम गली, बतासा गली में दमकल पहुंचना मुश्किल होता है। कुछ दिन पहले जीनघर की दुकान में लग गई थी। दमकल को रोड पर ही रखना पड़ा था।
बहुमंजिला इमारतों में नहीं बुझा पाएंगे आग उधर, शहर में ५० से ज्यादा बहुमंजिला इमारतें है और चार मॉल हैं। जिनकी ऊंचाई 50 से लेकर ७0 फीट तक है, लेकिन पालिका अग्निशमन के पास केवल फीट फीट की ही सीढ़ी है। ऊपरी मंजिल से लोगों को सुरक्षित नीचे उतारने के लिए रस्से, जाल, पर्याप्त सीढ़ी, हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म आदि के इंतजाम तक नहीं है। सूरत हादसे के बाद गुना में भी ऐसे कई कोचिंग संस्थान है जो दूसरी व तीसरी मंजिल पर संचालित है, लेकिन वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। गुना में एसडीएम शिवानी गर्ग ने कोचिंग संस्थानों के खिलाफ जांच कर रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन ये कार्रवाई कागजों में ही सिमटकर रह गई। इससे और अधिक खतरा बढ़ गया है।