जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल परिसर में जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र स्थापित हुए काफी समय गुजर चुका है। अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 तक विभिन्न विभागों में कुल 9934 मरीजों को उपचार मिल चुका है। लेकिन अभी भी लोगों को डीईआईसी यूनिट के बारे बहुत कम जानकारी है इसलिए वे इसके लाभ से वंचित बने हुए हैं।
विभाग उपचारित मरीज
दंत रोग 2342
नेत्र रोग 2124
स्पीच ऑडियोलॉजी 1747
मानसिक रोग 1613
स्पेशल एजुकेशन 2108
नोट (यह आंकड़े अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 तक के हैं)
विभिन्न मोर्चो पर ऐसे काम करती है टीम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए विभिन्न मोर्चो पर चिकित्सकों व आरबीएसके की टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। जिसके तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है जो सप्ताह में कम से कम एक दिन गांव की आंगनबाड़ी व स्कूल में जाकर ऐसे बच्चों की पहचान करें जो किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त हों। पहचान के पश्चात संबंधित बच्चे को उपचार के लिए जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र लाया जाता है। यहां डीईआईसी की टीम बच्चे की विभिन्न स्तर पर जांच कर इलाज करती है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) के माध्यम से 0 से 18 वर्ष के बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच करना है। जिसमें जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट की जांच शामिल है। कमियों से प्रभावित बच्चों के लिए एनआरएचएम के तहत तृतीयक स्तर पर नि:शुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार करना है।
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तो आज मेरा बच्चा विकलांग नहीं होता
मेरे बच्चे का जन्म सरकारी अस्पताल में हुआ था। उस समय ऐसी व्यवस्था नहीं थी कि जन्म के बाद बच्चे में सामने आने वाली बीमारी को तुरंत पहचान लिया जाता और उसका सही समय पर उचित उपचार भी मिल जाता। इसी कमी के चलते मेरा बच्चा आज विकलांग है। तत्समय मैंने सरकारी जिला अस्पताल से लेकर बड़े से बड़े प्राइवेट अस्पताल में भी इलाज कराया लेकिन देरी होने के कारण बीमारी दूर नहीं हो सकी।
गजराम कुशवाह, पिता
अभी भी है जानकारी का अभाव
गुना अस्पताल में भले ही डीईआईसी केंद्र खुले काफी समय हो गया है लेकिन अभी भी अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। मेरी बहू प्रसूता वार्ड में भर्ती थी इस दौरान मैं तीन दिन तक अस्पताल में रहा लेकिन डीईआईसी के बारे में कुछ पता नहीं चला।
रणधीर सिंह, ग्रामीण
डीईआईसी में इन बीमारियों का होता है इलाज
01 . जन्मजात रीढ़ की हड्डी में फोड़ा या घाव होना
02. डाऊन सिंड्रोम या मंगोल चाइल्ड
03. कटे फटे होंट एवं तालू
04. जन्मजात पैरों का मुड़े होना
05. जन्मजात हिप ज्वाइंट का डिशलोकेशन
06. जन्मजात आंख में मोतियाबिंद
07. जन्मजात सुनाई नहीं होती
08. जन्मजात दिल की बीमारियां
09. कम दिनों के बच्चों में आंख के पर्दे में खराबी
10. गंभीर रक्त की कमी
11. बिटामिन ए की कमी
12. बिटामिन डी की कमी
13. अत्यधिक कुपोषण का शिकार होना
14. गले के मध्य में गांठ होना
15. त्वचा की बीमारियां होना
16. कान का रुक रुक कर बहना
17. रियूमेटिक दिल की बीमारी
18. सांस लेने में तकलीफ
19. दंत संबंधी बीमारियां
20. झटके आने की बीमारी
21. आंख से कम दिखाई देना
22. कानों से कम सुनाई देना
23. जन्मजात चलने फिरने में असमर्थ होना
24. बच्चों का देर से बैठना, खड़े होना तथा देर से चलना
25. कॉगनेटिव खराबी
26. देर से बोलना
27. व्यवहार परिवर्तन संबंधी बीमारियां
28. सीखने में अक्षमता
29. मन एकाग्रता में कमी एवं हाथ पैर चलाते रहना
30. बढ़वार में कमी होना
31. ड्रग एडिक्ट
32. अवसाद होना
33. मासिक धर्म का देर से शुरू होना
34. नियमित मासिक धर्म न होना
35. पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस होना
36. सफेद पानी की शिकायत होना
37. मासिक धर्म के समय दर्द होना
इनका कहना है
जन्म के तुरंत बाद ही बीमारी को ट्रेक कर समुचित उपचार कराने की यह बहुत ही अच्छी व्यवस्था है। जिसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी जिलों में डीईआईसी यूनिट (जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र) की स्थापना की है। जहां बच्चों में चार तरह के विकारों की पहचान कर उपचार किया जाता है।
डा हृदेश गुप्ता, प्रभारी जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र गुना