नगर पालिका बस स्टेंड निर्माण पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद यहां के इंतजामों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। यही कारण है कि बस स्टंैड परिसर में आवारा जानवरों का जमघट इतना अधिक बढ़ गया है कि देखने पर नजारा कांजी हाउस जैसा नजर आता है। यहां चौकीदार की व्यवस्था न होने से वाटर कूलर की टोटियां भी उद्घाटन के बाद ही चोरी जा चुकी हैं। आवारा जानवर बस स्टेंड परिसर में न आएं इसके लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इन आवारा जानवरों से यात्रियों को हमेशा खतरा बना रहता है। बस स्टैंड की तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर यात्रियों के अलावा बस ऑपरेटर, तांगा संचालक व दुकानदारों में प्रशासन के प्रति बेहद नाराजी है। उनका कहना है कि बस स्टैंड जैसे महत्वपूर्ण स्थल को साफ-सुथरा नहीं रखा जा रहा है, जिससे हमारे शहर की छवि भी खराब होती है।
बस स्टेंड पर जब से सूत्र सेवा के तहत बसें चालू हुई हैं तब से निजी बस ऑपरेटर व सूत्र सेवा बस ऑपरेटरों में सवारियां बिठाने को लेकर विवाद हो रहे हैं। कई बार यह विवाद मुंहवाद व गाली गलौंच से बढ़कर मारपीट तक जा पहुंच रहे हैं। यही नहीं किराए को लेकर यात्री व क्लीनरों में भी झगड़े सामने आ रहे हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए यहां पुलिस स्टाफ की तैनाती बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि पड़ौसी जिले शिवपुरी के बस स्टेंड पर पुलिस स्टाफ या डायल-100 हमेशा तैनात रहती है। लेकिन गुना बस स्टैंड पर आपात स्थिति में डायल-100 को भी जयस्तंभ चौराहा से बुलाना पड़ता है, जिसमें कभी-कभी देरी भी हो जाती है।