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डॉग बाइट के इंजेक्शन लगवाने के लिए करना पड़ता है 60 किमी का सफर

पीएससी व सीएससी पर नहीं लग रहे डॉग बाइट इंजेक्शनपीडि़त मरीजों ने बताई व्यथा, मजबूरी में 50 से 60 किमी दूरी तय कर आना पड़ रहा जिला अस्पतालअधिकांश निजी मेडीकल पर उपलब्ध न होने से बढ़ी परेशानी

गुनाOct 08, 2019 / 01:31 pm

Narendra Kushwah

डॉग बाइट के इंजेक्शन लगवाने 60 किमी की दूरी तय कर रहे ग्रामीण

गुना। सरकार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के माध्यम से बिना भेदभाव के हर वर्ग को सभी आवश्यक दवाएं नि:शुल्क रूप से उपलब्ध करवा रही है। खास बात यह है कि इस व्यवस्था पर सरकार प्रति माह लाखों रुपए खर्च कर रही है। इसके बावजूद जरुरतमंद को समय पर इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसकी मुख्य वजह स्थानीय स्तर पर सही मॉनीटरिंग न किया जाना है।

 

जिला अस्पताल में दूरस्थ ग्रामीण अंचल से आने वाले मरीज व उनके परिजनों ने बताया कि इन दिनों शहर से ज्यादा गांव में कुत्तों की संख्या बढ़ गई है, जो प्रतिदिन राह चलते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। शहर के सरकारी अस्पताल व निजी मेडीकल स्टोर पर डॉग बाइट के इंजेक्शन भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र में आ रही है। क्योंकि यहां न तो सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और न ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉग बाइट व टिटनिस के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं।

101 लोगों को डॉग बाइट लगाना पड़ा है

जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल में प्रतिदिन औसतन प्रतिदिन 50 डॉग बाइट के केस आ रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मरीज दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इन दिनों लोग आवारा कुत्तों का इतना अधिक शिकार हो रहे हैं कि इसी माह जिला अस्पताल में एक ही दिन में 101 लोगों को डॉग बाइट लगाना पड़ा है।


हर मेडीकल पर नहीं मिलता इंजेक्शन
जब से सरकार ने डॉग बाइट का इंजेक्शन सभी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क रूप से उपलब्ध कराया है तब से अधिकांश मेडीकल स्टोर्स ने यह दवा रखना बंद कर दी है। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्र की मेडीकल स्टोर्स पर डॉग बाइट का इंजेक्शन अब बहुत कम मिलता है। गांव के मरीजों की दूसरी सबसे बड़ी परेशानी इसकी अधिक कीमत है। क्योंकि एक इंजेक्शन करीब 350 रुपए तक आता है। एक मरीज को कुल पांच इंजेक्शन लगवाना जरूरी होता है। इस तरह यह पूरा डोज बाजार से लेने पर 1750 रुपए का पड़ता है।

 

मरीजों की परेशानी उनकी जुबानी
चांचौड़ा तहसील के ग्राम घोड़ापछार से आए ग्रामीण ने बताया कि उसके बेटे शिवम शर्मा को कल कुत्ते ने काट लिया। सबसे पहले मैं बीनागंज अस्पताल गया तो स्टाफ ने कहा कि हमारे पास न तो डॉग बाइट इंजेक्शन है और न ही टिटनिस का। लगवाना है तो गुना चले जाओ। रास्ते में निजी मेडीकल पर भी पूछा लेकिन नहीं मिला।


कुत्तों की संख्या बहुत अधिक
शहर के कर्नलगंज निवासी छोटू कुशवाह ने बताया कि हमारे क्षेत्र में कुत्तों की संख्या बहुत अधिक है। इलाके में पडऩे वाले पुल के पास करीब 30 कुत्ते झुंड बनाकर घूमते रहते हैं। जो अब तक कई लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं। बिना रपटे वाले पुल से निकलते समय हर समय यह डर सताता रहता है कि यदि इन कुत्तों ने हमला कर दिया तो वाहन चालक पुल से नीचे गिर सकते हैं।

समस्या को लेकर जिम्मेदार उदासीन
शहर सहित ग्रामीण अंचल में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को लेकर न तो शहर की सरकार मतलब नगर पालिका और न ही अंचल में ग्राम पंचायत गंभीर है। स्थिति यह है कि बीते एक साल में किसी ने भी कुत्तों की नसबंदी को लेकर प्रयास नहीं किए हैं। जिससे कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

यह बोले जिम्मेदार
हम जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जरुरत के मुताबिक डॉग बाइट व टिटनिस के इंजेक्शन भिजवा रहे हैं। यदि किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर इंजेक्शन न लगाने की शिकायत आई है तो हम इसकी जानकारी लेकर संबंधित के खिलाफ उचित कार्रवाई करेंगे।
डॉ पी बुनकर, सीएमएचओ

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