परिवार पर पंचायत का सितम
जनसुनवाई में पहुंचे बुजुर्ग हीरालाल घोषी ने बताया कि वो और उनका परिवार शहर के शिवाजी नगर में रहता है। उनकी पुश्तैनी जमीन पर समाज का मंदिर बन रहा है जिसके लिए उन्होंने आधी जमीन दान भी दे दी है लेकिन मंदिर के लिए पूरी जमीन देने का दबाव बनाया जा रहा है। जबकि आधी जमीन पर वो और उनका भाई रहता है। बुजुर्ग हीरालाल घोषी का कहना है कि पंचायत ने उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया है और किसी भी शादी व अंतिम संस्कार में शामिल होने पर रोक लगा दी है। अब शर्त रखी गई है कि समाज में वापस आना है तो पगड़ी पैरों में रखनी पड़ेगी..जूते सिर पर रखने होंगे..गौमूत्र पीना होगा और परिवार के पुरुषों को दाढ़ी कटवानी होगी।
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सुख-दुख में समाज नहीं हुआ शामिल
हीरालाल ने इंसाफ की गुहार लगाते हुए कलेक्टर को बताया कि समाज से बहिष्कृत होने के कारण उनके सुख दुख में समाज का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं होता। कोरोना से भाई की मौत हुई थी तब भी कोई कंधा देने नहीं आया। घर में शादी हुई तब भी समाज के लोगों ने आने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि समाज की पंचायत ने बकायदा पंचनामा बनाकर उनके परिवार को बहिष्कृत कर दिया है जो कि सरासर अन्याय है।
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