गुना जिला चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की अधिकारिक एजेंसी रेडक्रॉस के माध्यम से यह इंजेक्शन 156 8 रुपए में उपलब्ध है। इंजेक्शन को खरीदने वाले ज्यादातर मरीजों के परिजन इस बात से संतुष्ट हैं कि उन्हें सरकार और जिला प्रशासन के सहयोग से इंजेक्शन आसानी से उपलब्ध होने लगा हैं। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर ज्यादातर मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए ली जाने वाली राशि को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन पर एमआरपी 8 99 रुपए लिखी हुई है। ऐसे में रेडक्रॉस द्वारा 156 8 रुपए क्यों और किस मद में लिए जा रहे हैं, यह समझ नहीं आता है। यदि रेडक्रॉस यह मानता है कि निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाली सभी मरीज आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि निजी अस्पतालों में भर्ती अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जिन्हें शासकीय जिला अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं होने की वजह से मजबूरी में निजी अस्पतालों की शरण लेना पड़ी। ऐसे में गरीब तबके के इन मरीजों को आर्थिक परेशानियों का सामना पहले से करना पड़ रहा है। इसके बाद एमआरपी से अधिक दर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने से उनकी आर्थिक कमर टूट गई है।
निजी अस्पतालों में भर्ती कुछ मरीजों के परिजनों ने बताया कि उन्हें चिकित्सक की सलाह पर एक फॉर्म भरकर रेडक्रॉस में देना होता है। इसके बाद वहां बैठे अधिकारी उपलब्ध होने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन उन्हें देते हैं। कोविड से पीडि़त मरीज को पहले डोज के रूप में एक साथ दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं। अगले दिन यदि आवश्यकता है तो एक-एक करके इंजेक्शन लगाए जाते हैं। रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन लिए उन्हें 3136 रुपए कीमत चुकाना पड़ रही है। निजी अस्पतालों के भारी-भरकम बिलों से परेशान मरीज रेमडेसिविर के लिए भी एमआरपी से ज्यादा भुगतान करने मजबूर हैं। कोरोना संक्रमण का निजी अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों के परिजनों की शासन और प्रशासन से मांग है कि उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन एमआरपी पर उपलब्ध कराया जाए, ताकि उनपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।