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महामारी के बीच यह कैसी व्यवस्था, रेमडेसिविर इंजेक्शन सरकारी अस्पताल के मरीज को फ्री प्राइवेट को एमआरपी से भी ज्यादा

शासन-प्रशासन का दावा, अब गरीब को प्राइवेट में भी मिलेगा फ्री इलाजलोग बोले नि:शुल्क न सही, कम से कम एमआरपी पर तो उपलब्ध हो रेमडेसिविर8 99 का इंजेक्शन 156 8 रुपए में खरीदने को मजबूर मरीज

गुनाMay 13, 2021 / 12:39 am

Narendra Kushwah

गुना. कोरोना संकट काल में मरीज प्रशासनिक आदेशों में उलझता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां शासन-प्रशासन गरीब मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में फ्री इलाज मुहैया कराने की बात कह रहा है।वहीं जरूरी दवाओं को लेकर प्रशासन द्वारा जो व्यवस्था बनाई गई है उसमें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती आर्थिक रूप से कमजोर मरीज परेशानी का सामना कर रहा है।
गंभीर मरीजों को दिए जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन उसे एमआरपी रेट से कहीं अधिक कीमत पर खरीदना पड़ रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि इस व्यवस्था को प्रशासन दान में ली गई राशि निरुपित कर रहा है। जबकि गंभीर मरीज के परिजन पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यही नहीं प्राइवेट मेडिकल पर दी जाने वाली दवाओं का बिल भी नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में मरीज हर तरफ से शोषण का शिकार हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमण के दौरान उपचार करा रहे मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन रामबाण की तरह लग रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग यह समझ रहे हैं कि इस इंजेक्शन के लगवाते ही वह संक्रमण से मुक्ति पा लेंगे। हालांकि ऐसा नहीं हैं। जिसे लेकर कई वरिष्ठ चिकित्सक व स्वयं कलेक्टर भी लगातार कहते आ रहे हैं कि इसे बेहद जरूरत होने पर ही लगाया जाए। कोरोना के उपचार के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन उन लोगों को लगाने की सलाह दी जा रही है, जिन्हें चिकित्सक सलाह देते हैं। ऐसे में अधिक से अधिक लोगों द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने की जल्दी की वजह से इस इंजेक्शन की अचानक किल्लत भी दिखाई देने लगी थी। इसके बावजूद मध्यप्रदेश में कुछ ही दिनों के अंदर सरकार ने इस संकट को हल कर लिया है और वर्तमान समय में इंजेक्शन आसानी से मरीजों को उपलब्ध हो रहा है।
गुना जिला चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को स्वास्थ्य विभाग की अधिकारिक एजेंसी रेडक्रॉस के माध्यम से यह इंजेक्शन 156 8 रुपए में उपलब्ध है। इंजेक्शन को खरीदने वाले ज्यादातर मरीजों के परिजन इस बात से संतुष्ट हैं कि उन्हें सरकार और जिला प्रशासन के सहयोग से इंजेक्शन आसानी से उपलब्ध होने लगा हैं। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर ज्यादातर मरीजों के परिजन इंजेक्शन के लिए ली जाने वाली राशि को गलत मानते हैं। उनका कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन पर एमआरपी 8 99 रुपए लिखी हुई है। ऐसे में रेडक्रॉस द्वारा 156 8 रुपए क्यों और किस मद में लिए जा रहे हैं, यह समझ नहीं आता है। यदि रेडक्रॉस यह मानता है कि निजी अस्पतालों में भर्ती होने वाली सभी मरीज आर्थिक रूप से सक्षम हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि निजी अस्पतालों में भर्ती अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जिन्हें शासकीय जिला अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं होने की वजह से मजबूरी में निजी अस्पतालों की शरण लेना पड़ी। ऐसे में गरीब तबके के इन मरीजों को आर्थिक परेशानियों का सामना पहले से करना पड़ रहा है। इसके बाद एमआरपी से अधिक दर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने से उनकी आर्थिक कमर टूट गई है।
निजी अस्पतालों में भर्ती कुछ मरीजों के परिजनों ने बताया कि उन्हें चिकित्सक की सलाह पर एक फॉर्म भरकर रेडक्रॉस में देना होता है। इसके बाद वहां बैठे अधिकारी उपलब्ध होने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन उन्हें देते हैं। कोविड से पीडि़त मरीज को पहले डोज के रूप में एक साथ दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं। अगले दिन यदि आवश्यकता है तो एक-एक करके इंजेक्शन लगाए जाते हैं। रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन लिए उन्हें 3136 रुपए कीमत चुकाना पड़ रही है। निजी अस्पतालों के भारी-भरकम बिलों से परेशान मरीज रेमडेसिविर के लिए भी एमआरपी से ज्यादा भुगतान करने मजबूर हैं। कोरोना संक्रमण का निजी अस्पतालों में उपचार कराने वाले मरीजों के परिजनों की शासन और प्रशासन से मांग है कि उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन एमआरपी पर उपलब्ध कराया जाए, ताकि उनपर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।

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