हम बात कर रहे हैं जिला अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस की। जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। पोस्टमार्टम हाउस बीते काफी समय से अव्यवस्था का शिकार है। यहां न तो पीएम करने के लिए पर्याप्त जगह है और न ही आवश्यक सुविधाएं। ऐसी स्थिति में अव्यवस्था के बीच ही पोस्टमार्टम करने पड़ रहे हैं।
यही नहीं तहसील व ग्रामीण अंचल के स्वास्थ्य केंद्रों पर पोस्टमार्टम की सुविधा न होने के कारण जिला अस्पताल के पीएम हाउस पर एक ही दिन में 4 से 6 पोस्टमार्टम तक करना पड़ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक जिला अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस वर्ष 2004 से संचालित है। भवन के नाम पर दो छोटे छोटे कमरे हैं। इनमें से एक कमरे में शव का पोस्टमार्टम किया जाता है जबकि दूसरे कमरे में शव रखने के लिए चार फ्रिजर मौजूद हैं। इनमें से तीन फ्रिजर कई सालों से खराब पड़े हैं।
वर्तमान में सिर्फ एक फ्रीजर ही उपयोग लायक है। सबसे बड़ी समस्या पर्याप्त जगह का अभाव है। जिस कमरे में शव का पीएम किया जाता है वहां शव रखने के लिए मात्र एक टेबिल ही मौजूद है जबकि आवश्यकता तीन टेबिलों की है। यही नहीं पोस्टमार्टम करने आने वाले डॉक्टर के लिए अलग से कोई कमरा नहीं है।
जहां वे पीएम से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी कर सकें। सुविधा अभाव के कारण डॉक्टर को छोटे से कमरे में पूरे समय खड़े होकर सभी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। यहां बता दें कि जब किसी शव का पीएम डॉक्टर्स के पैनल द्वारा किया जाता है तो उनके समक्ष बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है। यही नहीं कई बार परिजनों की मांग पर पीएम की वीडियोग्राफी भी करानी होती है लेकिन जगह के अभाव में यह काम भी ठीक से नहीं हो पाता है।
एक से अधिक शव रखने जगह तक नहीं
जिला अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस पर प्रतिदिन एक से अधिक शव आते हैं। कई बार ऐसे मौके भी आते हैं जब शाम के समय इन शवों को यहां लाया जाता है। निर्धारित गाइड लाइन के मुताबिक शाम 5 बजे के बाद पीएम नहीं किया जाता है।
ऐसे में इन शवों को सुरक्षित रखवाने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होती है। लेकिन वर्तमान में पीएम हाउस में एक से अधिक शवों को सुरक्षित रखने के कोई इंतजाम ही नहीं है। सूत्र बताते हैं कि एक ही फ्रीजर में दो शवों को रख दिया जाता है। इससे अधिक होने पर शव को उसी कमरे में असुरक्षित तरीके से रखना पड़ता है।
क्योंकि अभी तक किसी भी परिजन द्वारा शव को नुकसान पहुंचने की शिकायत सामने नहीं आई है इसलिए अस्पताल प्रबंधन पोस्टमार्टम हाउस की अव्यवस्थाओं के प्रति उदासीन बना हुआ है। बताया जाता है कि किसी भी शव का पीएम तो स्वीपर द्वारा ही किया जाता है, देखने दिखाने को ड्यूटी डॉक्टर कुछ समय वहां खड़े होकर अपनी औपचारिकता पूरी कर देते हैं। यही वजह है कि उक्त डॉक्टर को पीएम हाउस की असुविधाओं व अव्यवस्थाओं से कोई लेना देना नहीं है।
पीएम हाउस के सामने ट्रेचिंग ग्राउंड
स्वच्छता के बलबूते कायाकल्प अभियान में अपनी दावेदारी पेश करने वाले जिला अस्पताल प्रबंधन ने पीएम हाउस के सामने खाली पड़े स्थान को टे्रचिंग ग्राउंड में तब्दील कर दिया है। जहां अस्पताल के विभिन्न वार्डों से निकलने वाले हानिकारक कचरे को सफाईकर्मियों द्वारा डंप कराया जा रहा है। जिससे पोस्टमार्टम हाउस तक जाने वाले मार्ग में बड़ी मात्रा में गंदगी पड़ी रहती है। पजिजनों को शव को पीएम हाउस तक लेे जाने में बहुत कष्टदायक स्थिति का सामना करना पड़ता है।
म्याना और बमोरी में नहीं है पीएम की सुविधा
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले की सभी तहसील मुख्यालयों के अलावा एबी रोड स्थित ग्राम म्याना पर भी सामुदायिक स्वास्थ्य है। इनमें से बमोरी व म्याना के सीएससी पर पीएम हाउस की सुविधा नहंी है।
इसके अलावा जिन स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधा है वहां का स्टाफ कोई न कोई कमी बताकर पीएम के लिए जिला अस्पताल रैफर कर देता है। बताया जाता है कि पीएम के लिए स्वीपर की जरुरत होती है लेकिन ग्रामीण अंचल के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित स्वीपर न होने से पीएम की सुविधा नहीं मिल पा रही है।