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पीएम आवास की आस में बैठे लोग- कछुआ चाल से तैयार हो रहे घर

गुना जिले के सहरियाओंं को आवास के लिए प्रमाण पत्र बांटे थे। दूसरी ओर गुना शहर के जगनपुर चक में बनने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों का काम जो 18 माह में पूरा होना था, वह 50 माह बाद भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है.

गुनाDec 06, 2021 / 02:26 pm

Subodh Tripathi

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गुना. केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को गुना जिले के सहरियाओंं को आवास के लिए प्रमाण पत्र बांटे थे। दूसरी ओर गुना शहर के जगनपुर चक में बनने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों का काम जो 18 माह में पूरा होना था, वह 50 माह बाद भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है, जबकि इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तक गंभीर हैं। भोपाल में बैठे अफसर नगर पालिका के पत्र पर कार्रवाई न कर संबंधित कंपनी के 14 करोड़ रुपए देने को तैयार नहीं है, इसकी वजह से यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया है।

सूत्रों ने बताया कि सन् 2017 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों के लिए मकान बनाने एवं सस्ती दरों पर एमआइजी और एलआइजी फ्लेट्स बनाने का प्रोजेक्ट गुना के लिए स्वीकृत हुआ था। जगनपुर चक पर प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए जमीन चिह्नित कराई थी। तत्कालीन कलेक्टर राजेश जैन ने प्रोजेक्ट के लिए 9 हेक्टेयर जमीन आवंटित की। टेण्डर लिसा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को मिला। लागत लगभग 162 करोड़ रुपए रखी गई थी। प्रोजेक्ट 18 माह में पूरा किए जाने का अनुबंध हुआ था। प्रोजेक्ट के लिए ठेका कंपनी को और जमीन आंवटित हो गई थी।

हितग्राही बोले हमें जल्द दिलवाएं आवास
जगनपुर चक पर केन्द्र सरकार की महती प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले गरीबों के मकानोंं को लेकर कई हितग्राहियों से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि कलेक्टर जो नगर पालिका के प्रशासक हैं वे चाहें तो यहां बनने वाले आवास जल्द बन सकते हैं और संबंधित कंपनी को 14 करोड़ रुपए जो एक साल से फंसे हैं वे मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि हमें आवास के लिए पैसे जमा किए तीन साल से अधिक समय हो गया है, जल्द से जल्द हमें आवास दिलाएं।


कंपनी को समय पर नहीं मिला पैसा
संबंधित ठेका कंपनी अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जाने वाले मकानों के निर्माण पर लगभग 50 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इस राशि में से ठेका कंपनी को लगभग 14 करोड़ रुपए शासन से लेना है। इसके लिए कई बार ठेका कंपनी और नगर पालिका के बीच भुगतान को लेकर पत्राचार होते रहे, लेकिन यह भुगतान अभी तक नहीं हो पाया।


1800 फ्लेट्स, काम 50 फीसदी भी नहीं
प्रधानमंत्री आवास योजना में 1800 फ्लेट्स बन रहे हैं। गरीबों की श्रेणी में आने वाले लोगों के लिए फ्लेट्स बनाए जा रहे हैं। काम 50 फीसदी भी नहीं हुआ है। गरीबों के मकान दो लाख रुपए में और एमआइजी 19 लाख और एलआइजी 16 लाख कीमत के हैं। शहर के लोगों ने बुकिंग की है, लेकिन पैसों के अभाव में प्रोजेक्ट पूरा होता नजर नहीं आ रहा।


समय के साथ सामग्री के दाम भी हुए दोगुने
संबंधित ठेका कंपनी से जुड़े एक प्रतिनिधि ने बताया कि 2017 में निर्माण सामग्री के दाम कम थे, अब निर्माण सामग्री के दाम दोगुने हो गए हैं। समय पर नगर पालिका भुगतान करती रहती तो प्रोजेक्ट काफी पहले ही पूरा हो जाता। कलेक्टर और नगर पालिका के प्रशासक फे्रंक नोबल ए ने कहा कि राज्य शासन से पैसा मांगा जा रहा है। जल्द मिलने पर काम में तेजी लाई जाएगी।


विवाद के बाद बदला था कलर
बजरंगगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना में 50 से अधिक आवास बनवाए थे। तत्कालीन सीईओ ने एक राजनीतिक दल के झंडे का कलर करवा दिया था। विवाद के बाद कलर प्रशासन ने बदला था।


सहरियाओं को मिलना है आवास
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ने बमौरी समेत जिले के 5000 सहरियाओं को आवास स्वीकृत कराए। काम जल्द शुरू होना है। इन आवास के प्रमाणपत्र केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वितरित किए हैं। ग्रामीणों के पीएम आवास योजना का ये हालबीते चार-पांच साल पूर्व ऊमरी में तत्कालीन कलेक्टर के प्रयास से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करोड़ों रुपए की लागत से आधा सैकड़ा से अधिक गरीबों के लिए आवास बनवाए थे। वे अभी तक संबंधित हितग्राहियों को नहीं मिल पाए। विवादित जमीन होने से वहां बने आवासों और शौचालयों से दरवाजे तक अज्ञात लोग तोड़कर ले गए। हितग्राहियों को न मिलने से यहां करोड़ों रुपए की शासन को आर्थिक चपत लग गई। बजरंगगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली कुटीरों को लेकर ग्राम पंचायत पर कई आरोप लगे। इसी तरह हर मंगलवार को होने वाली कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई में कुटीर न मिलने वाले लोग अपने-अपने गांव की पंचायतों के सरपंच व सचिव पर आरोप लगाकर कुटीर दिलाने की गुहार लगाते रहे हैं। आरोन नगर पालिका में कार्यरत एक सफाई दरोगा ने तो अपने ही बेटे को इस योजना के तहत कुटीर दिला दी थी।

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