एटलस साइकिल फैक्ट्री और मुर्गी पालन केन्द्र की जमीन कौडिय़ों में खरीदने की तैयारी
बस स्टैण्ड जैसी अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को खरीदने वालों का बना गठजोड़
-बीस दिन में बस स्टैण्ड की जमीन 32 करोड़ में खरीदकर 52 करोड़ में बेची और 20 करोड़ का कमाया था मुनाफा था खरीदने वालों में,हाईकोर्ट में दो मई को सुनवाई
गुना
Published: April 25, 2022 01:32:23 pm
गुना। गुना शहर और उसके आसपास की रापनि के बस स्टैण्ड जैसी अनुपयोगी सरकारी जमीन को कौडिय़ों के भाव में खरीदकर उसको तत्काल बेचकर मुनाफा कमा लेने वालों का एक गठजोड़ शहर में बन गया है। इस गठजोड़ में अवैध कमाई का पैसा खपाने वाले अफसर, राजनेता और बिल्डर शामिल हैं। इस गठजोड़ में शामिल लोग ऐसी सरकारी संपत्तियां देख रहे हैं जो अनुपयोगी है, उनको कौडिय़ों के दामों में खरीदकर अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की तैयारी में लग गए हैं। इसी बीच बस स्टैण्ड की जमीन कौडिय़ों में खरीदने के बाद शहर की दो सरकारी संपत्तियां एटलस साइकिल फैक्टरी और मुर्गी पालन केन्द्र जो अनुपयोगी हैं उनको अपने पसंदीदा राजनेता के जरिए नीलामी करवाने में जुट गए हैं, जिससे उन संपत्तियों को कौडिय़ों के भाव में खरीदकर कुछ ही दिनों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सके। संभावना ये जताई जा रही है कि इनकी भी जल्द नीलामी हो सकती है।
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बस स्टैण्ड 63 से घटकर 32 करोड़ में बिका
गुना शहर में रापनि का बस स्टैण्ड जिसका टेण्डर पूर्व में अशोक रघुवंशी जमरा के नाम से 63 करोड़ रुपए में खुला। कोरोना कार्यकाल के चलते रघुवंशी पैसा नहीं भर पाए, उन्होंने नियमानुसार छह माह पैसा जमा करने के लिए समय मांगा, उनको समय नहीं मिला। वहीं रघुवंशी का बस स्टैण्ड की इस बेशकीमती जमीन को खरीदना भी रास नहीं आया। कौडिय़ों के भाव में बस स्टेण्ड खरीदने वालों ने एक राजनेता के जरिए प्रदेश सरकार तक पैठ बनाई और बस स्टैण्ड की जमीन 63 करोड़ से घटाकर 32 करोड़ में बेचने का टेण्डर भी निकलवाया। इसमें एक आईएएस अधिकारी भी शामिल रहे, जो पूर्व में यहां कलेक्टर रहे हैं। इस जमीन का टेण्डर आधी रेट में बिकवाने के लिए निकलवा कर शासन को 31करोड़ की आर्थिक चपत लगवाने में वो गठजोड़ सफल हुआ और बगैर विज्ञप्ति निकले और नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाकर वह टेण्डर बिल्डरों की एक कंपनी ने 32 करोड़ में खरीदी थी। इस गठजोड़ के लोग सक्रिय हुए और मात्र बीस दिन में बस स्टैण्ड की इस जमीन को 32 करोड़ की जगह 52 करोड़ में बिकवाने का सौदा शहर के एक नामी-गिरामी व्यक्ति से हुआ, जबकि यह जमीन खरीदने वालों के नाम अभी तक नहीं हो पाई है।
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हाईकोर्ट में लंबित है यह मामला
बस स्टैण्ड के नाम एक विस्वा जमीन थी, जबकि 8 विस्वा निजी लोगों की जमीन थी। रापनि अधिकारियों ने अपने स्वार्थ के खातिर और दूसरों को आर्थिक लाभ देने के लिए वह निजी जमीन भी अपनी बताकर बेच दी। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की हुई है। जिसकी सुनवाई दो मई को होना है। हाईकोर्ट में सुनवाई होती कि इससे पहले वहां पूरी तरह से निर्माण कार्य तोड़ दिया है। यहां तक कि नेकी की दीवार तक वहां तोडफ़ोड़ कराने वालों ने तोड़ दी है।
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दिन में ऑटो स्टैण्ड और रात में खड़ी होती हैं बसें
रापनि का बस स्टैण्ड जहां प्रशासन की देखरेख में तोडफ़ोड़ चल रही है। यहां से दुकान हट गई हों लेकिन रात के समय यहां वैसी ही बसें खड़ी हो रही हैं। दिन में ऑटो स्टेण्ड बन गया है। रात्रि में बसों के आने पर यात्री जन सुविधा केन्द्र न होने से परेशान होते देखे जा सकते हैं।
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एटलस साइकिल फैक्ट्री पर नजर
सूत्रों ने बताया कि एटलस साइकिल फैक्टरी जिसकी जमीन एबी रोड पर सात बीघा है। इस जमीन को सरकारी स्तर पर टेण्डर कराने और खरीदने के लिए गठजोड़ अपने पसंदीदा राजनेता के जरिए सक्रिय हो गया है। गठजोड़ में शामिल अफसर,राजनेता और बिल्डर इस जमीन को येन-केन कौडिय़ों के भाव में खरीदना चाहते हैं। इस भूमि की वास्तविक कीमत लगभग दो सौ से ढाई सौ करोड़ है। जबकि यह गठजोड़ इस प्रयास में है कि टेण्डर के जरिए यह भूमि 70 से 80 करोड़ रुपए में मिल जाए। यह जमीन काफी मुनाफे की है। इस जमीन पर पूर्व में एटलस साइकिल फैक्टरी चलती थी वह कई वर्ष से बंद पड़ी हुई है। यह पूरी तरह खण्डहर में तब्दील हो चुकी है। फिलहाल यह जमीन प्रशासन के कब्जे में हैं।
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मुर्गी फार्म की जमीन पर भी नजर
बताया जाता है कि ऐसे ही इस गठजोड में शामिल कुछ कारोबारियों की नजर कुसमौदा स्थित मुर्गी पालन केन्द्र पर है। वे इस प्रयास में है कि सस्ते दाम पर इस जमीन को बेचने के टेण्डर जारी हो जाएं और जुगत लगाकर वे खरीदकर करोड़पति बन जाएं। जानकारों का कहना है कि इन दोनों सरकारी प्रोजेक्ट की जमीन कौडिय़ों के दामों में बिकने की शासन स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं।

एटलस साइकिल फैक्ट्री और मुर्गी पालन केन्द्र की जमीन कौडिय़ों में खरीदने की तैयारी
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