कोरोना काल में जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती जा रही हैं। इसके हर दिन उदाहरण सामने आ रहे हैं। लेकिन इन्हें सुधारने की ओर न तो प्रबंधन और न ही प्रशासन ध्यान दे रहा है। बुधवार को अस्पताल के मेडिकल वार्ड में भर्ती एक मरीज की मौत हो गई। उसके बेटे गोलू जाटव निवासी गुलाबगंज ने बताया कि उसके पिता कोमप्रसाद जाटव ने 7 अप्रैल को वेक्सीन लगवाई थी। जिसके बाद उन्हें लगातार बुखार आ रहा था। उन्होंने प्राइवेट डॉक्टर को भी घर पर दिखाया।लेकिन कोई लाभ नहीं मिला तो वही जिला अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां उन्हें मेडिकल वार्ड के आईसीयू में भर्ती कराया गया। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने कहा कि बुखार आने से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने जो दवा पर्चे पर लिखी थी वह स्टाफ नर्स ने वार्ड में भर्ती होने के बाद दे दी। गोलू के अनुसार उनके कहने पर ऑक्सीजन भी चालू कर दी।लेकिन अगले दिन तक कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आए। हालत बिगडऩे के बाद उनके पिता ने दम तोड़ दिया। वह पेशे से मजदूर थे तथा उनकी उम्र करीब 47 साल थी।
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ग्वालियर और इंदौर में दो की मौत
बुधवार को सुबह से शाम तक मौतों की खबरें मिलती रहीं। एक दिन में हुई कुल मौतों में गुना के दो व्यक्ति का निधन इंदौर और ग्वालियर में इलाज के दौरान हुआ। भाजपा से जुड़े नरेश अग्रवाल का ग्वालियर में तथा अयूब खान का इंदौर में निधन हुआ। दोनों ही कैंट क्षेत्र के निवासी हैं।
बजरंगगढ़ में कोरोना से शिक्षक की मौत
गुना तहसील में आने वाले ग्राम बजरंगगढ़ में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत हो गई। जो पेशे से शिक्षक थे। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शिक्षक का नाम अशफाक अली है। जिनकी कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ी थी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां जांच में वह पॉजिटिव पाए गए तथा बुधवार को उनकी मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार बजरंगगढ़ में किया गया। अशफाक बजरंगगढ़ के तकिया मोहल्ला के निवासी थे।