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एक के बाद एक 6 अस्पतालों में ले जाने के बाद भी नहीं बच पाई उमावि के प्राचार्य भगत की जान

locationगुनाPublished: Apr 22, 2021 01:02:42 am

Submitted by:

Narendra Kushwah

यह कैसी स्वास्थ्य सुविधाएंमौंतों का सिलसिला जारी, 13 की मौत, 7 को कोरोना ने लीलाएक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे मरीज फिर भी नहीं बच पा रही जानसरकारी हो या प्राइवेट कहीं भी नहीं मिला वेंटीलेटरकोरोना का डर इतना कि स्वीपर पीपी किट पहनने के बाद भी लाश को गाड़ी में रखने से पीछे हट रहे

एक के बाद एक 6 अस्पतालों में ले जाने के बाद भी नहीं बच पाई उमावि के प्राचार्य भगत की जान

एक के बाद एक 6 अस्पतालों में ले जाने के बाद भी नहीं बच पाई उमावि के प्राचार्य भगत की जान

गुना. शासन-प्रशासन के तमाम दावे झूठे साबित हो रहे हैं। जिले में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को भी 13 लोगों की जान चली गई। इनमें 7 लोगों को कोरोना ने लील लिया। हर दिन हो रही मौतों की वजह से मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार के लिए जगह तक नहीं मिल रही है। स्थिति यह है कि शहर के दोनों प्रमुख मुक्तिधाम पर एक साथ तीन-तीन चिताएं जल रही हैं। इन चिताओं की आग बुझ भी नहीं पाती तब तक एक और शव अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया जाने लगता है। एक के बाद एक हो रही मौतों से अस्पताल का स्टाफ बेहद डरा हुआ है। स्थिति यह है कि स्वीपर पीपी किट पहनने के बाद भी शव को हाथ लगाने से डर रहे हैं।आला अधिकारियों के निर्देश पर ही बमुश्किल शवों को वाहन में रखवा रहे हैं तब जाकर नपा की टीम शवों का अंतिम संस्कार करा पा रही है।
जानकारी के मुताबिक स्थानीय प्रशासन लगातार दावा कर रहा है कि उन्होंने सरकारी अस्पताल से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में ऐसी व्यवस्थाएं जुटा ली हैं जिससे किसी भी मरीज को इलाज कराने में परेशानी नहीं आएगी। लेकिन जमीनी सच्चाई इसके इतर नजर आ रही है। यही कारण है कि हर दिन लोगों की मौतें हो रही हैं। फिर चाहे सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट। लोगों को कहीं भी जरूरी सुविधाएं समय पर नहीं मिल रही हैं। हर दिन कोरोना से 5 तथा अन्य बीमारी के मरीजों को मिलाकर 10 से अधिक मौतें हो रही हैं।

6 अस्पतालों में ले जाने के बाद भी नहीं मिला वेंटीलेटर
कोरोना महामारी के दौर में जिला मुख्यालय के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत क्या है, इसका एक उदाहरण बुधवार को उस समय देखने को मिला जब उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य जयराम भगत को एक के बाद एक 6 अस्पतालों में ले जाने के बाद भी वेंटीलेटर नसीब नहीं हो सका। ऐसे में आखिरकार उनकी इलाज के अभाव में मौत हो गर्ई।
इलाज के लिए ऐसे भटके परिजन
गुना के स्थानीय शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 2 के प्राचार्य जेआर भगत की तबीयत अचानक मंगलवार को करीब दोपहर 2.30 बजे बिगड़ी। उनका ऑक्सीजन लेवल कम होना सामने आया। परिजन सबसे पहले सरकारी जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां थोड़ी देर बाद पता चला कि यहां वेंटीलेटर की सुविधा नहीं है। आनन फानन में आशीर्वाद हॉस्पिटल लेकर पहुंचे लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी। आशीर्वाद के बाद सहयोग तथा सचिन के बाद बालाजी हॉस्पिटल ले जाया गया। यहां बताया गया कि रामहाईटेक अस्पताल में वेंटीलेटर की सुविधा है। लेकिन यहां वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं हो पाया। इतना समय गुजरने के बाद मरीज की तबियत बिगड़ती चली गई और करीब 10 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।
वार्ड में भर्ती करने के बाद देखने नहीं आए डॉक्टर
कोरोना काल में जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती जा रही हैं। इसके हर दिन उदाहरण सामने आ रहे हैं। लेकिन इन्हें सुधारने की ओर न तो प्रबंधन और न ही प्रशासन ध्यान दे रहा है। बुधवार को अस्पताल के मेडिकल वार्ड में भर्ती एक मरीज की मौत हो गई। उसके बेटे गोलू जाटव निवासी गुलाबगंज ने बताया कि उसके पिता कोमप्रसाद जाटव ने 7 अप्रैल को वेक्सीन लगवाई थी। जिसके बाद उन्हें लगातार बुखार आ रहा था। उन्होंने प्राइवेट डॉक्टर को भी घर पर दिखाया।लेकिन कोई लाभ नहीं मिला तो वही जिला अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां उन्हें मेडिकल वार्ड के आईसीयू में भर्ती कराया गया। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने कहा कि बुखार आने से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने जो दवा पर्चे पर लिखी थी वह स्टाफ नर्स ने वार्ड में भर्ती होने के बाद दे दी। गोलू के अनुसार उनके कहने पर ऑक्सीजन भी चालू कर दी।लेकिन अगले दिन तक कोई डॉक्टर उन्हें देखने नहीं आए। हालत बिगडऩे के बाद उनके पिता ने दम तोड़ दिया। वह पेशे से मजदूर थे तथा उनकी उम्र करीब 47 साल थी।

ग्वालियर और इंदौर में दो की मौत
बुधवार को सुबह से शाम तक मौतों की खबरें मिलती रहीं। एक दिन में हुई कुल मौतों में गुना के दो व्यक्ति का निधन इंदौर और ग्वालियर में इलाज के दौरान हुआ। भाजपा से जुड़े नरेश अग्रवाल का ग्वालियर में तथा अयूब खान का इंदौर में निधन हुआ। दोनों ही कैंट क्षेत्र के निवासी हैं।
बजरंगगढ़ में कोरोना से शिक्षक की मौत
गुना तहसील में आने वाले ग्राम बजरंगगढ़ में कोरोना से एक व्यक्ति की मौत हो गई। जो पेशे से शिक्षक थे। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार शिक्षक का नाम अशफाक अली है। जिनकी कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ी थी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। जहां जांच में वह पॉजिटिव पाए गए तथा बुधवार को उनकी मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार बजरंगगढ़ में किया गया। अशफाक बजरंगगढ़ के तकिया मोहल्ला के निवासी थे।
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