scriptमुसीबत बन रहा रेलवे फाटक | Railway gate built in trouble | Patrika News

मुसीबत बन रहा रेलवे फाटक

locationगुनाPublished: Nov 11, 2018 07:12:23 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

रुठियाई जंक्शन के समीप स्थित रेलवे फाटक आवागमन में लोगों की मुसीबत बन चुका है। घंटों तक रेलवे फाटक बंद होने की वजह से वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में रेलवे प्रशासन की उदासीनता भी कठघरे में है।

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रुठियाई जंक्शन के समीप स्थित रेलवे फाटक आवागमन में लोगों की मुसीबत बन चुका है।


धरनावदा. जानकारी के अनुसार रुठियाई रेलवे स्टेशन से 100 मीटर दूरी पर स्थिति रेलवे फाटक के दोनों तरफ दर्जनों गांवों और रुठियाई का रास्ता है। इनके दोनों तरफ आने-जाने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में लोग इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। रुठियाई स्टेशन जंक्शन होने की वजह से यहां रोजाना दर्जनों ट्रेनें रुकती हैं और कुछ क्रॉस भी होती है। इस दौरान रेलवे का फाटक बंद कर दिया जाता है, लेकिन इसे तब तक नहीं खोला जाता, जब कि दो या तीन ट्रेनें नहीं गुजर जाएं। वाहन चालकों के मुताबिक इस तरह की स्थिति दिन में कई बार बनती है। कभी-कभी तो एक घंटे से भी अधिक समय यहां रुकने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इस तरह की समस्या होने के बावजूद न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि और न ही रेलवे प्रशासन ने समस्या की ओर ध्यान दिया। स्थानीय निवासी और गांवों से आने वाले लोग परेशानी का सामना करते रोजाना देखे जा सकते हैं। रविवार को छुट्टी का दिन होने की वजह से दर्जनों वाहन रेलवे फाटक खुलने के इंतजार में फंस गए। लेकिन गुना और कोटा लाइन से कई ट्रेनें गुजर जाने के बाद ही रेलवे फाटक खोला गया।

आवागमन के समय में रहता है अंतर
स्थानीय निवासियों के अनुसार गुना अथवा कोटा की तरफ से आने वाली किसी ट्रेन के गुजर जाने के बाद दूसरी ट्रेन काफी देर बाद आती है। इस बीच के अंतर में रेलवे फाटक के पास खड़े रहने वाले लोग फाटक खुलने का इंतजार करते हैं। लेकिन जब तक दो या तीन ट्रेनें नहीं निकल जाती हैं तब तक फाटक नहीं खोला जाता है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

एम्बूलेंस भी रह जाती है फंसकर
रेलवे फाटक पर मौजूद सुरेश कुमार वंशकार, विवेक कुचवदिया और भव्य अग्रवाल ने बताया कि उनका लगभग रोजाना फाटक के उस पार जाने का सिलसिला है। इस दौरान उन्होंने कई बार एम्बूलेंस और जननी वाहन को भी फाटक बंद होने की वजह से यहां फंसते देखा है। हैरानी की बात यह है कि रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी रोजाना ऐसे नजारे देखते हैं, लेकिन आज तक किसी ने भी इस समस्या को लेकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को संदेश नहीं भिजवाया।
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