स्थानीय निवासियों के अनुसार गुना अथवा कोटा की तरफ से आने वाली किसी ट्रेन के गुजर जाने के बाद दूसरी ट्रेन काफी देर बाद आती है। इस बीच के अंतर में रेलवे फाटक के पास खड़े रहने वाले लोग फाटक खुलने का इंतजार करते हैं। लेकिन जब तक दो या तीन ट्रेनें नहीं निकल जाती हैं तब तक फाटक नहीं खोला जाता है। ऐसी परिस्थिति में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एम्बूलेंस भी रह जाती है फंसकर
रेलवे फाटक पर मौजूद सुरेश कुमार वंशकार, विवेक कुचवदिया और भव्य अग्रवाल ने बताया कि उनका लगभग रोजाना फाटक के उस पार जाने का सिलसिला है। इस दौरान उन्होंने कई बार एम्बूलेंस और जननी वाहन को भी फाटक बंद होने की वजह से यहां फंसते देखा है। हैरानी की बात यह है कि रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी रोजाना ऐसे नजारे देखते हैं, लेकिन आज तक किसी ने भी इस समस्या को लेकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को संदेश नहीं भिजवाया।