सुई के बराबर परिग्रह का त्याग है उत्तम आकिंचन धर्म : मुनिश्री पदम सागर
पर्यूषण पर्व के नौंवे दिन मना उत्तम आकिंचन धर्म, आज होगा समापन
सुई के बराबर परिग्रह का त्याग है उत्तम आकिंचन धर्म : मुनिश्री पदम सागर
गुना। उत्तम आकिंचन का मतलब सुई के बराबर भी परिग्रह न होना है। साथ ही मन, वचन और काय से अंतरंग एवं बाह्य परिग्रह का त्याग करना है। पांच पापों, सप्त व्यसनों और पच्चीस कषायों केे त्याग किए बिना उत्तम आकिंचन धर्म आ नहीं सकता। श्रावक भी नियमों एवं व्रतों को धारण कर उत्तम आकिंचन धर्म प्राप्त को प्राप्त कर सकता है।
उक्त धर्मोपदेश मुनिश्री पदम सागरजी महाराज ने चौधरी मोहल्ला स्थित महावीर भवन में पर्यूषण पर्व के नौंवे दिन उत्तम आकिंचन (अपरिग्रह) धर्म पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने कहा कि जिस तरह लकड़ी का टुकड़ा पानी में डूबता नहीं है और लोहे का टुकड़ा शीघ्र ही डूब जाता है। इसी तरह सांसरिक जीवन में धन अर्जन की मनाई नहीं है। लेकिन न्यायनीति पूर्वक धन अर्जित हो। किसी का दिल न दुखाते हुए धन अर्जन कर परिवार में अपना कर्तव्य निभाएं। मुनिश्री ने कहा कि मात्र खुद का और परिवार पेट भरने के उद्देश्य से ही धन न कमाएं। प्राप्त धन में से कुछ हिस्सा धार्मिक कार्यों में दान, दीन दुखियों, असहायों, साधर्मी की सहायता करने में भी लगाएं। जिससे जो पुण्य फल प्राप्त होगा, वो अगले भव में हमें कई गुणा फलित होकर कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मुनिश्री ने कहा कि अपने जीवन में धन, मकान, जायदाद, आभूषणों आदि का एक सीमा तक संग्रह का नियम लें। इससे आकिंचन धर्म का पालन हो सकेगा। कार्यक्रम के दौरान मुनिश्री विस्वाक्ष सागरजी महाराज ने भी संबोधित किया। इस मौके पर जैन समाज के महेन्द्र बांझल ने बताया कि दस दिवसीय पर्वाधिराज पयूषण पर्व का समापन रविवार को होगा। इस मौके पर दोपहर 1.30 बजे महावीर भवन में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, फूलमाला, मुनिश्री के प्रवचन, संयमी का सम्मान कार्यक्रम होगा। वहीं कोविड-19 गाईडलाईन के चलते चल समारोह का आयोजन स्थगित कर दिया गया है।
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