न पानी को निकाला न ही फोगिंग की
बारिश से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए आमतौर पर अगस्त माह में स्वास्थ्य विभाग का मलेरिया महकमा सक्रिय हो जाता है और नगर पालिका के साथ मिलकर जल भराव को रोकने के इंतजाम में जुट जाता है। साथ ही कॉलोनी की गलियों में फोगिंग भी की जाती है। लेकिन इस बार दोनों ही विभाग अपनी जिम्मेदारी के प्रति उदासीन बने हुए हैं। अब तक न तो रुके हुए पानी को निकाला गया है और न ही फोगिंग की जा रही है।
आदेशों का नहीं हुआ पालन
शहर में कई जगहों पर प्लॉट खाली पड़े हैं। जिनमें बारिश का पानी जमा हो गया है। जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों की आशंका बढ़ गई है। शासन के नियमानुसार प्लाट मालिक को खाली पड़े प्लाटों की चारदीवारी कराना जरूरी है। जिससे कोई भी व्यक्ति प्लॉट के अंदर कूड़ा न डाल सके ताकि गंदगी के कारण होने वाली बीमारियों को रोका जा सके।
स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है कि वह लार्वा विनष्टीकरण के लिए एक टीम बनाए, जो नगर सहित जिले में जाकर लार्वा को ढूंढे तथा उसे एंटी लार्वा स्प्रे से नष्ट करे। जिससे समय रहते बीमारियों को रोका जा सके।
ये हो सकती हैं बीमारियां
बारिश से पैदा होने वाली सबसे मुख्य बीमारी त्वचा रोगों से जुड़ी हैं। इसके अलावा खाली प्लाटों में जमा पानी कई ऐसी बीमारियों को जन्म दे सकता है जो जानलेवा साबित हो सकती हैं। इनमें सबसे ज्यादा कॉमन डेंगू और मलेरिया हैं। यदि यह पानी किसी पानी की पाइप लाइन के साथ मिलकर रिसाव हो जाए तो पीलिया और हैजा जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
बीमारियों को रोकने स्वास्थ्य महकमा गंभीर नहीं
पानी से पैदा होने वाली बीमारियां डेंगू, मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग कतई गंभीर नहीं है। इसका ताजा उदाहरण बुधवार को देखने को मिला। जिला मलेरिया कार्यालय पर दोपहर ढाई बजे ताला लगा हुआ था। जबकि ऑफिस के निर्धारित टाइम टेबिल के मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता है।
बीमारी से बचने यह इंतजाम जरूरी
पानी को उबाल कर पिएं। पीने के पानी को स्वच्छ कपड़े से छान लें या फिल्टर का प्रयोग करें। कुएं के पानी को कीटाणु रहित करने के लिए उचित मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग प्रभावी रहता है। समय-समय पर लाल दवा डालते रहना चाहिए।
ये लक्षण देखकर पहचानें बीमारी
मलेरिया : मादा एनाफ्लीज मच्छर के काटने से होने वाला यह एक संक्रामक रोग है। तेज बुखार, पसीना आना, सर्दी लगने से कंपकपी छूटना, सिरदर्द व मांसपेशियों में दर्द। थकान, घबराहट, कमजोरी आना, उल्टी-दस्त लगना इसके लक्षण हैं। बरसात के दिनों में मलेरिया बुखार का प्रकोप बढ़ जाता है।
डेंगू, चिकनगुनिया : डेंगू एडीस मच्छर के काटने से फैलता है। तेज बुखार, छाती के ऊपर हिस्से में दाने निकलना, सिर में तेज दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, शरीर व जोड़ों में दर्द, भूख नहीं लगना व उल्टी आना इसके लक्षण हैं। घर व आसपास पास जलभराव न होने देना ही बचाव है। चिकनगुनिया के लक्षण भी इनसे मिलते-जुलते हैं।
हैजा : दूषित पानी और भोजन के सेवन से फैलने वाला यह रोग दस्त और उल्टिया लाता है। पेट में दर्द बढऩे लगता है। रोगी को बैचैनी महसूस होती है और बहुत प्यास लगने लगती है। पानी उबालकर पिएं, बासी भोजन बिल्कुल न खाएं।
टाइफाइड : दूषित खानपान से यह रोग होता है। तेज बुखार रुक-रुककर आना इसकी पहचान है। यह संक्रामक रोग है। मरीज का तुरंत इलाज बहुत जरूरी है। टाइफाइड होने पर तरल व पौष्टिक पदार्थ सेवन करना चाहिए।
सर्दी, जुकाम, बुखार : मानसून के दौरान सर्दी, जुकाम और बुखार का होना सामान्य है। बुखार, गले में खराश और लगातार छींकना इस बीमारी के लक्षण हैं। बारिश में भीगने से बचें। ठंडे पदार्थो का सेवन करने से बचें। लक्षण दिखने पर इलाज कराएं ।
मच्छरों से बचाव के उपाय
घर व ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें।
बर्तन, टायर आदि में पानी एकत्र न होने दें।
साफ. सफाई का विशेष ख्याल रखें।
रात्रि में मच्छरदानी लगाकर सोएं।
घर के अंदर मच्छर मारने वाली दवा छिड़कें।
दरवाजों व खिड़कियों पर महीन जाली लगवाएं।
शरीर को ढकने वाले सूती परिधान पहनें।
बच्चों को इन्फेक्शन व मच्छरों से बचाएं
मौसम बदलने (ठंड व गर्म) की वजह से इन दिनों वायरल फीवर हो रहा है। खासकर इसका शिकार बच्चे हो रहे हैं। बुखार से पीडि़त बच्चे को अन्य बच्चों से दो से तीन दिन तक दूर रखें। साथ ही मच्छरों से बचाने के पूरे इंतजाम रखें।
डॉ मनीष जैन, शिशु रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल गुना
यह बोले जिम्मेदार
जल भराव को लेकर हमने करीब 35 भूखंड मालिकों को नोटिस दिए हैं। साथ ही जिन स्थानों पर जल निकासी के अभाव में जल भराव हो गया था, वहां जेसीबी से रास्ता बनाकर पानी को निकाला गया है। मौसम खुलते ही फॉगिंग कार्य भी शुरू हो जाएगा।
संजय श्रीवास्तव, सीएमओ नगर पालिका गुना