हम बात कर रहे हैं शहर के युवा राहुल शर्मा की, इसने गोबर से रोजगार शुरू किया है। गोशालाओं से वह 1500 रुपए ट्रॉली के हिसाब से गोबर खरीदता है और इस गोबर से धूपबत्ती व कंडे बनाता है। साथ ही पॉलीथिन में पैक करके इन्हें इंदौर व महाराष्ट्र के बिकने के लिए भेजता है। राहुल शर्मा ने बताया कि शहर में गोबर के जो कड़े 50 पैसे में मिलते हैं, इंदौर व महाराष्ट्र में 20 रुपए में छह कंडे बिकते हैं। इससे उसे सभी खर्च काटकर 15 से 20 हजार रुपए की बचत होती है और प्रतिदिन 40 किलो धूपबत्ती और तीन हजार कंडे तैयार कराए जाते हैं। साथ ही गोबर के दीपक भी तैयार करके बेचे जाते हैं।
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राहुल शर्मा ने बताया कि उसने यूट्यूब पर गोबर से कंड़े, धूपबत्ती और दीपक बनाना सीखा और मशीन भी देखी। इसके लिए उसने गोशालाओं से संपर्क किया, लेकिन गोशालाओं में कोई रुचि नहीं दिखी तो उसने खुद ही 1.30 लाख रुपए में वियतनाम से मशीन मंगाई और रोजगार शुरू किया। अब पशुपालन विभाग राहुल शर्मा के माध्यम से स्वसहायता समूहों को भी प्रशिक्षण दिला रहा है, ताकि समूह भी इस तरह के रोजगार शुरू कर सकें।