इन क्षेत्रों में नहीं हुआ सुधार
अतिक्रमण : शहर के प्रमुख मार्ग सहित सार्वजनिक स्थलों पर अस्थायी अतिक्रमण आज भी बना हुआ है। जिससे ट्रेफिक व्यवस्था तो बिगड़ ही रही है साथ ही वाहन चालकों व पैदल राहगीरों को चलने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हनुमान चौराहा से निकले चारों रास्तों पर दोनों ओर अतिक्रमण है। नानाखेड़ी रोड तक फुटपाथ पर कब्जा कर गुमठियां रख ली गई हैं। हाट रोड पर प्रतिदिन प्रशासन हाथ ठेलों को हांकने में जुटा हुआ है। लेकिन उन्हें खड़े होने स्थायी जगह पहले से नहीं बनाई गई। जिससे ठेले वाले इधर उधर घूम रहे हैं। नपा की टीम को दिन रात मशक्कत करनी पड़ रही है। ठेले वाले और नपा कर्मचारियों के बीच झूमाझटकी तक की नौबत आ रही है। प्रशासन द्वारा लगातार मॉनीटरिंग करने की वजह से फिलहाल भले ही ठेले वाले हाट रोड पर एक जगह खड़े नहीं हो पा रहे हैं लेकिन इस व्यवस्था में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा। ऐसी ही स्थिति स्टेशन रोड, जयस्तंभ चौराहा, कोतवाली रोड, अस्पताल रोड, सदर बाजार सहित अन्य मार्गों पर बनी हुई है।
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पार्किंग : बीते पांच सालों में प्रशासन शहर में एक भी जगह स्थायी पार्किंग नहीं बना सका है। ऐसे में प्रत्येक प्रमुख मार्ग पर सड़क किनारे ही दो पहिया व चार पहिया वाहन खड़े किए जा रहे हैं। टे्रफिक पुलिस की कार्रवाई का शिकार गरीब, ग्रामीण और बाहर से आने वाले नागरिक हो रहे हैं।
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मंडी : शहर में चार जगह मंडी संचालित हो रही हैं लेकिन इनमें से एक भी मंंडी सुव्यवस्थित नहीं है। सबसे पहले बात करें शास्त्री पार्क स्थित सब्जी मंडी। जिसे सुव्यवस्थित करने के लिए तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सलूजा ने परिसर में टीनशेड और चबूतरे बनवाए थे। जिन पर कुछ ही दिन सब्जी विक्रेता बैठे, बाद में सब जमीन पर आ गए। जिससे टीनशेड वाला इलाका उपयोग विहीन हो गया। जिसका इस्तेमाल टॉयलेट के लिए किया जाने लगा। जो आज भी जारी है। इस अव्यवस्था को सुधारने का काम तत्कालीन एसडीएम शिवानी गर्ग ने किया था, वह काफी हद तक सफल भी हुईं लेकिन उनके जाते ही व्यवस्था ढर्रे पर आ गई, जिसे आज तक कोई नया अधिकारी नहीं सुधार सका।
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अतिक्रमण : शहर के प्रमुख मार्ग सहित सार्वजनिक स्थलों पर अस्थायी अतिक्रमण आज भी बना हुआ है। जिससे ट्रेफिक व्यवस्था तो बिगड़ ही रही है साथ ही वाहन चालकों व पैदल राहगीरों को चलने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हनुमान चौराहा से निकले चारों रास्तों पर दोनों ओर अतिक्रमण है। नानाखेड़ी रोड तक फुटपाथ पर कब्जा कर गुमठियां रख ली गई हैं। हाट रोड पर प्रतिदिन प्रशासन हाथ ठेलों को हांकने में जुटा हुआ है। लेकिन उन्हें खड़े होने स्थायी जगह पहले से नहीं बनाई गई। जिससे ठेले वाले इधर उधर घूम रहे हैं। नपा की टीम को दिन रात मशक्कत करनी पड़ रही है। ठेले वाले और नपा कर्मचारियों के बीच झूमाझटकी तक की नौबत आ रही है। प्रशासन द्वारा लगातार मॉनीटरिंग करने की वजह से फिलहाल भले ही ठेले वाले हाट रोड पर एक जगह खड़े नहीं हो पा रहे हैं लेकिन इस व्यवस्था में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा। ऐसी ही स्थिति स्टेशन रोड, जयस्तंभ चौराहा, कोतवाली रोड, अस्पताल रोड, सदर बाजार सहित अन्य मार्गों पर बनी हुई है।
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पार्किंग : बीते पांच सालों में प्रशासन शहर में एक भी जगह स्थायी पार्किंग नहीं बना सका है। ऐसे में प्रत्येक प्रमुख मार्ग पर सड़क किनारे ही दो पहिया व चार पहिया वाहन खड़े किए जा रहे हैं। टे्रफिक पुलिस की कार्रवाई का शिकार गरीब, ग्रामीण और बाहर से आने वाले नागरिक हो रहे हैं।
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मंडी : शहर में चार जगह मंडी संचालित हो रही हैं लेकिन इनमें से एक भी मंंडी सुव्यवस्थित नहीं है। सबसे पहले बात करें शास्त्री पार्क स्थित सब्जी मंडी। जिसे सुव्यवस्थित करने के लिए तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सलूजा ने परिसर में टीनशेड और चबूतरे बनवाए थे। जिन पर कुछ ही दिन सब्जी विक्रेता बैठे, बाद में सब जमीन पर आ गए। जिससे टीनशेड वाला इलाका उपयोग विहीन हो गया। जिसका इस्तेमाल टॉयलेट के लिए किया जाने लगा। जो आज भी जारी है। इस अव्यवस्था को सुधारने का काम तत्कालीन एसडीएम शिवानी गर्ग ने किया था, वह काफी हद तक सफल भी हुईं लेकिन उनके जाते ही व्यवस्था ढर्रे पर आ गई, जिसे आज तक कोई नया अधिकारी नहीं सुधार सका।
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पुरानी गल्ला मंडी : इस स्थान पर पहले अनाज मंडी थी। जो नानाखेड़ी में नई मंडी बनने के बाद वहां शिफ्ट हो गई। यहां बनी दुकानों को किराए पर दे दिया गया तथा कुछ बेच दी गईं। वहीं खाली परिसर में सब्जी मंडी संचालित होती है। इस पूरे मंडी परिसर की सफाई व्यवस्था का ठेका एक व्यक्ति को दिया गया है। लेकिन सफाई के हालात ज्यादा ठीक नहीं हैं। वहीं सड़क, पानी और टॉयलेट के इंतजाम भी सही नहीं हैं। परिसर के छोटे हिस्से में थोक फल-सब्जी मंडी सुबह के समय संचालित होती है। जिससे यहां कचरा अधिक फैलता है। वाहनों की आवाजाही ज्यादा होती है। हाट रोड जाम की स्थिति निर्मित होती है।
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थोक फल-सब्जी मंडी : एक समय यह मंडी शहर के रिहायशी इलाके हाट रोड के रपटे पर संचालित होती थी। कोरोना ने इसे ऊमरी रोड पर पहुंचा था। यहां अव्यवस्था और सुविधाओं के अभाव में संचालित हो रही है। जिससे इलाके में गंदगी और जाम की स्थिति निर्मित होती है।
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इन क्षेत्रों में हुआ सुधार
नगर पालिका सीएमओ के अनुसार पिछले दो वर्षों से शहर की स्वच्छता रैंकिंग में लगातार सुधार आ रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में गुना को 79वी रैंक मिली थी। जबकि पिछले वर्ष यह रैंक 163 वीं थी। रैंक सुधरने की वजह नपा द्वारा
लोगों को गीला-सूखा कचरा अलग रखना सिखाना तथा कचरे को डस्टविन या कचरा गाड़ी में ही डालने की आदत विकसित करना है। हालांकि इस काम में अभी पूरी तरह से सफलता नहीं मिली है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था को शुरूआती 15 वार्डों से बढ़ाकर सभी 37 वार्डों तक पहुंचाया गया है। इसके लिए अतिरिक्त वाहनों की खरीदी भी की गई है। पहले की अपेक्षा कचरे के डंपिक एरिया को कम किया गया है।
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ट्रीटमेंट प्लांट : घरों के टैंकों से निकलने वाले मल के लिए ट्रीटमेंट प्लांट सकतपुर पर बनाया गया है। इसके जरिए घरों से निकलने वाले मल का ट्रीटमेंट किया जाता है। उसमें सॉलिड वेस्ट को अलग कर कम्पोस्ट के रूप में बदला जाता है। पानी का ट्रीटमेंट कर उसे सिंचाई के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है। खास बात यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में इस व्यवस्था के 400 अंक निर्धारित हैं।
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एमआरएफ : इस बार मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेन्टर बनकर तैयार हो चुका है। जिस पर काम भी शुरू हो गया है। जिसके जरिए ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पहुंचने वाले कचरे को अलग-अलग किया जाने लगा है। क्योंकि कचरे में मिट्टी, कांच, प्लास्टिक के अलावा अलग-अलग मटेरियल शामिल रहता है। तकनीकी अधिकारी के मुताबिक मिट्टी से कम्पोस्ट तैयार होता है। वहीं मजदूर प्लास्टिक, कांच आदि सामान को कचरे से अलग-अलग करने का काम करते हैं। इसके लिए लगभग 200 अंक सर्वेक्षण में निश्चित किए गए हैं।
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-कचरे की कम्पोस्टिंग : घर से निकलने वाले सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग कर कम्पोस्ट में बदलने का प्लांट ट्रेंचिंग ग्राउंड पर शुरू हो गया है। इस खाद को कई जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। इस व्यवस्था के लिए 150 अंक निर्धातर हैं।
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स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत ऐसे होना है सर्वे
नगर पालिका से मिली जानकारी के अनुसार स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत तीन स्तर पर सर्वे किया जा रहा है। पहले स्तर पर सामान्य सफाई व्यवस्था, टॉयलेट सहित बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी ली जाएगी। नागरिकों से पूछा जाएगा कि साफ-सफाई ठीक हो रही है या नहीं। जहां जरुरत है वहां टॉयलेट हैं या नहीं। उनका इस्तेमाल हो पा रहा है या नहीं। उनकी सफाई ठीक हो रही है या नहीं। नागरिक अपने घरों से निकला कचरा गाडिय़ों में डाल रहे हैं या नहीं।
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ओडीएफ ++ सर्वे : इसके तहत सर्वे टीम शहर में घूमकर जानेगी कि क्या नगर खुले में शौच से मुक्त हुआ या नहीं। घरों से निकलने वाले मल का ट्रीटमेंट हो रहा है या नहीं।
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गार्बेज फ्री सिटी : इस सर्वे में यह देखा जाएगा कि शहर में जो कचरा निकल रहा है, उसका क्या किया जा रहा है। सूखे- गीले कचरे को अलग-अलग किया जा रहा है या नहीं। इसमें से मिट्टी को अलग करना, प्लास्टिक-कांच और अन्य वेस्ट को अलग करना और उसका आगे कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है।
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हमारा फीडबैक डाटा औसत से अधिक
इस पूरे अप्रेल माह में स्वच्छता सर्वे जारी रहेगा। इसलिए यह महीना हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। नपा का पूरा अमला नगर को स्वच्छ बनाने में जुटा हुआ है। वर्तमान में स्वच्छता फीडबैक का डेटा 10110 तक हो चुका है जो सर्वेक्षण के मापदंडों के हिसाब से औसत से अधिक है। इसके तहत करीब तीन प्रतिशत आबादी का ही फीडबैक लेना होता है। मप्र की नगर पालिकाओं में हम दूसरे नंबर पर हैं।
तेज सिंह यादव, सीएमओ
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थोक फल-सब्जी मंडी : एक समय यह मंडी शहर के रिहायशी इलाके हाट रोड के रपटे पर संचालित होती थी। कोरोना ने इसे ऊमरी रोड पर पहुंचा था। यहां अव्यवस्था और सुविधाओं के अभाव में संचालित हो रही है। जिससे इलाके में गंदगी और जाम की स्थिति निर्मित होती है।
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इन क्षेत्रों में हुआ सुधार
नगर पालिका सीएमओ के अनुसार पिछले दो वर्षों से शहर की स्वच्छता रैंकिंग में लगातार सुधार आ रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में गुना को 79वी रैंक मिली थी। जबकि पिछले वर्ष यह रैंक 163 वीं थी। रैंक सुधरने की वजह नपा द्वारा
लोगों को गीला-सूखा कचरा अलग रखना सिखाना तथा कचरे को डस्टविन या कचरा गाड़ी में ही डालने की आदत विकसित करना है। हालांकि इस काम में अभी पूरी तरह से सफलता नहीं मिली है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था को शुरूआती 15 वार्डों से बढ़ाकर सभी 37 वार्डों तक पहुंचाया गया है। इसके लिए अतिरिक्त वाहनों की खरीदी भी की गई है। पहले की अपेक्षा कचरे के डंपिक एरिया को कम किया गया है।
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ट्रीटमेंट प्लांट : घरों के टैंकों से निकलने वाले मल के लिए ट्रीटमेंट प्लांट सकतपुर पर बनाया गया है। इसके जरिए घरों से निकलने वाले मल का ट्रीटमेंट किया जाता है। उसमें सॉलिड वेस्ट को अलग कर कम्पोस्ट के रूप में बदला जाता है। पानी का ट्रीटमेंट कर उसे सिंचाई के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है। खास बात यह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में इस व्यवस्था के 400 अंक निर्धारित हैं।
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एमआरएफ : इस बार मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेन्टर बनकर तैयार हो चुका है। जिस पर काम भी शुरू हो गया है। जिसके जरिए ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पहुंचने वाले कचरे को अलग-अलग किया जाने लगा है। क्योंकि कचरे में मिट्टी, कांच, प्लास्टिक के अलावा अलग-अलग मटेरियल शामिल रहता है। तकनीकी अधिकारी के मुताबिक मिट्टी से कम्पोस्ट तैयार होता है। वहीं मजदूर प्लास्टिक, कांच आदि सामान को कचरे से अलग-अलग करने का काम करते हैं। इसके लिए लगभग 200 अंक सर्वेक्षण में निश्चित किए गए हैं।
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-कचरे की कम्पोस्टिंग : घर से निकलने वाले सूखे व गीले कचरे को अलग-अलग कर कम्पोस्ट में बदलने का प्लांट ट्रेंचिंग ग्राउंड पर शुरू हो गया है। इस खाद को कई जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। इस व्यवस्था के लिए 150 अंक निर्धातर हैं।
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स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत ऐसे होना है सर्वे
नगर पालिका से मिली जानकारी के अनुसार स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत तीन स्तर पर सर्वे किया जा रहा है। पहले स्तर पर सामान्य सफाई व्यवस्था, टॉयलेट सहित बुनियादी सुविधाओं के बारे में जानकारी ली जाएगी। नागरिकों से पूछा जाएगा कि साफ-सफाई ठीक हो रही है या नहीं। जहां जरुरत है वहां टॉयलेट हैं या नहीं। उनका इस्तेमाल हो पा रहा है या नहीं। उनकी सफाई ठीक हो रही है या नहीं। नागरिक अपने घरों से निकला कचरा गाडिय़ों में डाल रहे हैं या नहीं।
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ओडीएफ ++ सर्वे : इसके तहत सर्वे टीम शहर में घूमकर जानेगी कि क्या नगर खुले में शौच से मुक्त हुआ या नहीं। घरों से निकलने वाले मल का ट्रीटमेंट हो रहा है या नहीं।
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गार्बेज फ्री सिटी : इस सर्वे में यह देखा जाएगा कि शहर में जो कचरा निकल रहा है, उसका क्या किया जा रहा है। सूखे- गीले कचरे को अलग-अलग किया जा रहा है या नहीं। इसमें से मिट्टी को अलग करना, प्लास्टिक-कांच और अन्य वेस्ट को अलग करना और उसका आगे कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है।
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हमारा फीडबैक डाटा औसत से अधिक
इस पूरे अप्रेल माह में स्वच्छता सर्वे जारी रहेगा। इसलिए यह महीना हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। नपा का पूरा अमला नगर को स्वच्छ बनाने में जुटा हुआ है। वर्तमान में स्वच्छता फीडबैक का डेटा 10110 तक हो चुका है जो सर्वेक्षण के मापदंडों के हिसाब से औसत से अधिक है। इसके तहत करीब तीन प्रतिशत आबादी का ही फीडबैक लेना होता है। मप्र की नगर पालिकाओं में हम दूसरे नंबर पर हैं।
तेज सिंह यादव, सीएमओ
